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मुख्य रेल सुरक्षा आयुक्त ने प्राथमिकता के आधार पर कवच लगाने की सिफारिश की

गैर-एटीपी क्षेत्र में भारतीय रेलवे में लोकोमोटिव कैब में प्रावधान के लिए जीपीएस आधारित टक्कर रोधी प्रणाली की 'खोज' की जाएगी.

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फाइल फोटो. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली:कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना की विस्तृत जांच के बाद मुख्य रेल सुरक्षा आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में स्वचालित ट्रेन-सुरक्षा प्रणाली 'कवच' को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की सिफारिश की है. ईटीवी भारत को उस रिपोर्ट की एक प्रति मिली है. जिसमें मुख्य रेल सुरक्षा आयुक्त ने सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर स्वचालित ट्रेन-सुरक्षा प्रणाली (कवच) के कार्यान्वयन की आवश्यकता की सिफारिश की है.

गैर-सिग्नलिंग आधारित प्रणालियों का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम बनाने और लोको पायलट को प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करना/जीपीएस आधारित टक्कर रोधी प्रणालियों का उपयोग गैर-एटीपी क्षेत्र में भारतीय रेलवे में लोकोमोटिव कैब में प्रावधान के लिए किया जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2019 से मार्च 2024 तक सिग्नल पासिंग के 208 मामले सामने आए, जिनमें से 12 मामले टकराव के कारण हुए, जो क्षेत्रीय रेलवे द्वारा उठाए गए निवारक उपायों की सीमाओं को दर्शाता है.

कवच 4.0 क्या है:यह कवच का उन्नत संस्करण है जिसे इस वर्ष जुलाई में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन द्वारा अनुमोदित किया गया था. सफल परीक्षण के बाद, कवच 4.0 का कार्यान्वयन पश्चिम मध्य रेलवे में कोटा और सवाई माधोपुर के बीच 108 किलोमीटर के खंड पर किया गया.

कवच 4.0 पर कार्य: रेलवे 2030 तक अपने नेटवर्क के लगभग सभी प्रमुख मार्गों पर कवच को तेजी से लागू करने की योजना बना रहा है. वर्तमान में, लोको कवर और ट्रैक साइड का काम प्रगति पर है और लोको कवर के लिए निविदा कार्य प्रगति पर है. दिल्ली-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई सेक्शन के कुल 9090 किलोमीटर और ऑटोमेटिक ब्लॉक सेक्शन तथा अन्य सेक्शन के 5645 किलोमीटर के ट्रैक साइड वर्क के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं, जो इस साल नवंबर में खुलेंगी.

सुरक्षा उपाय: हाल ही में, रेलवे ने ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. कवच 4.0 को शुरू करके, भारतीय रेलवे यात्रियों के लिए रेल यात्रा को और भी सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह कदम रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने और देश भर के रेल नेटवर्क में सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है.

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