रायपुर:छत्तीसगढ़ विधानसभा में गुरुवार को बाघों की मौत को लेकर जमकर हंगामा हुआ. ध्यानाकर्षण के दौरान नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस विषय को सदन में उठाया. उन्होंने विधायकों की कमेटी बनाकर जांच की मांग की. जिस पर वन मंत्री केदार कश्यप ने न्यायिक जांच का हवाला देते हुए अतिरिक्त जांच कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ.
"बनाए गए मंत्री हैं नालायक": सदन की कार्रवाई के बाद पत्रकरों से चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सत्ता पक्ष के विधायकों और मंत्रियों पर जोरदार हमला बोला. चरणदास महंत ने कहा, "सत्ता पक्ष के जवाब से उन्हीं के दल के विधायक संतुष्ट नहीं हैं. उसके दो कारण हैं. एक तो उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, इसलिए खिसायली बिल्ली की तरह खंभा नोच रहे हैं. दूसरी बात, वह बताना चाहते हैं कि जितने मंत्री बनाए हैं, वो बहुत ही नालायक हैं, हम लायक हैं. इस बात को अधिकारियों को समझना चाहिए."
करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं बची बाघ की जान:नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा, " मैने अपने ध्यानाकर्षण के माध्यम से बताया कि गोमर्डा में एक बाघ की हत्या हो गई या मृत्यु हो गई या मार दिया गया. उस बाघ को वन विभाग ने देखा, उसने लगातार 5 दिन 7 दिन ट्रैकिंग किया, उसके बाद ट्रैकिंग में बाघ नहीं आया. फिर वन विभाग ने अपना ट्रैकिंग बंद कर दिया. उसके कुछ दिन बाद यह पाया कि बाघ को मार कर गड्ढ़े में डाल दिया गया है. बाघ को जब निकाल कर पोस्टमार्टम किया गया तो खाल तक नहीं बचा था."
"हुकिंग के जरिए जानवरों को मारा जा रहा": नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा, "मुझे विभाग और वन मंत्री से यह जानना था कि सेलुल वन में बाघ हमारे जनजीवन के लिए, पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण प्राणी हैं और यह लुप्तप्राय होने वाले प्राणियों में से एक है. इसलिए इसकी विशेष चिंता राज्य और केंद्र सरकार कर रही है. करोड़ों रुपए इसमें खर्च किए जा रहे हैं. इस पर आपको कार्रवाई करना चाहिए. इसमें वन विभाग की ओर से घोर लापरवाही हुई है. पूरे प्रदेश में हुकिंग के जरिए जानवरों को मारा जा रहा है. उसमें हाथी भी आ रहे हैं, आदमी भी आ रहे हैं. जशपुर और बलौदा क्षेत्र में जानवरों के अलावा लोगों की भी मौत हुई है. मामले में विधायकों की समिति बनाकर जांच करने की मांग की थी."