पलामूः चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन नक्सल इलाके में बदलाव ला रहा है. नक्सल प्रभावित इलाकों में अब लोग नक्सल और आपराधिक गतिविधि से दूर हो रहे हैं. नक्सल इलाकों में ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़े रखना एक बड़ी चुनौती रही है. इस चुनौती से निपटने में चरित्र प्रमाण पत्र एवं पुलिस वेरिफिकेशन कारगर साबित हो रहा है.
बता दें कि पहले सिर्फ सरकारी नौकरियों में ही चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत होती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्राइवेट सेक्टर में भी चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की शुरुआत हुई है. पलायन करने वाले मजदूरों का भी विभिन्न कंपनियों के द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जा रहा है. जिन शहरों में मजदूर और ग्रामीण नौकरी के लिए जाते हैं वहां भी मकान मालिक उनका पुलिस वेरिफिकेशन करवाते हैं.
एक वर्ष में 6500 लोगों ने बनवाया चरित्र प्रमाण पत्र
पलामू देश के अतिनक्सल प्रभावित जिलों में से एक है. हालांकि हाल के दिनों में इलाके में नक्सल हिंसा में कमी आई है. पलामू की एक बड़ी आबादी नौकरी के लिए बड़े शहरों का रूख करती है. कोविड-19 काल में 53000 प्रवासी मजदूर के आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया था. कोरोना काल से पहले पलामू में नौकरी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या 2500 के करीब थी, जबकि पुलिस वेरिफिकेशन 200 से भी कम था.
2024 में 10 दिसंबर तक पलामू में 6501 व्यक्तियों ने चरित्र प्रमाण पत्र बनवाया है. वहीं 2300 के करीब लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है. दक्षिण और उत्तर भारत की कंपनियों ने सबसे अधिक वेरिफिकेशन के लिए पलामू पुलिस को पत्र लिखा है.
अपराध की दुनिया से लोग खुद कर रहे अलग
चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन को पलामू पुलिस महत्वपूर्ण मान रही है. पलामू पुलिस का मानना है कि चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की वजह से लोग सावधान हो रहे हैं और अपराध की दुनिया से खुद को अलग कर रहे हैं.
इस संबंध में पलामू एसपी रीष्मा रमेशन बताती हैं कि पहले ऐसा नहीं था. बेहद ही कम पुलिस वेरिफिकेशन होती थी. लेकिन हाल के दिनों में बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा समेत कई इलाकों से पुलिस वेरिफिकेशन के लिए कागजात पहुंच रहे हैं. एसपी बताती हैं कि लोगों में जागरुकता बढ़ी है और लोग सावधान हो रहे हैं. लोगों को यह समझ आने लगी है कि आपराधिक और नक्सली गतिविधि में शामिल रहने के बाद नौकरी नहीं मिलेगी. यही वजह है कि लोग धीरे-धीरे नक्सली और आपराधिक गतिविधि से दूर हुए हैं.
ग्रामीण इलाकों में घटी है नक्सल समर्थकों की संख्या
पिछले कुछ वर्षों में पलामू के इलाके में नक्सल गतिविधि में बड़े पैमाने पर कमी आई है. नक्सली समर्थकों की संख्या भी लगातार घट रही है. 2016-17 तक पलामू में 59 इनामी नक्सली हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर दो रह गई है. पलामू के कई ऐसे गांव थे जहां पुलिस ने 12 से 15 लोगों को नक्सल समर्थकों के रूप में चिन्हित किया था, लेकिन अब इन गांव में कोई भी नक्सल समर्थक नहीं बचा है. पिछले दो वर्षों में नक्सली घटनाओं को लेकर पलामू में 13 एफआईआर दर्ज हुई है. जबकि 2020-21 तक यह आंकड़ा 60 से 70 हुआ करता था.