रायपुर: छत्तीसगढ़ के मस्जिदों में प्रत्येक जुमे की नमाज के बाद होने वाली तकरीर के लिए वक्फ बोर्ड से मंजूरी अब लेनी होगी. यह फरमान छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड की ओर से जारी किया गया है. इस फरमान को जारी करने के पीछे क्या वजह रही और ये क्यों जरुरी है इसपर ईटीवी भारत की टीम ने छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज से खास बात की. छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज ने फैसले पर विस्तार से अपना पक्ष रखा. साथ ही ये बताया कि इसका क्या फायदा होगा.
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज ने बताई तकरीर के लिए अनुमति लेने की असली वजह - CG WAQF BOARD CHAIRMAN
शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज के बाद पढ़े जाने वाले खुतबे के लिए अब इजाजत जरुरी.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Nov 18, 2024, 8:42 PM IST
सवाल: तकरीर क्या है ? आपने जो फरमान जारी किया है उसका क्या मकसद है ?
जवाब: तकरीर एक तरह से प्रवचन की तरह होता है. तकरीर नमाज के पूर्व होता है. तकरीर को इमाम या मौलाना साहब बोलते हैं. मौलाना इमाम साहब अपनी तकरीर करें हमें उससे कोई दिक्कत नहीं है. पर जो मुतवल्ली हैं उन्होंने मस्जिद को राजनीति का अखाड़ा बनाया है. उस पर रोक लगाई गई है. तकरीर देने के पहले छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड को अवगत कराना पड़ेगा. ये बताना पड़ेगा कि किस मुद्दे पर बोलना है. सामाजिक सौहार्द नहीं बिगड़े इसका ध्यान रखना है. यह फैसला मुतवल्लियों पर लागू होगा. इमाम और मौलाना पर लागू नहीं होगा.
सवाल: इन दोनों में क्या अंतर है ?
जवाब: इमाम और मौलाना मस्जिद की नमाज पढ़ने का काम करते हैं और कुरान और हदीस की रोशनी में चर्चा करते हैं. जो मुतवल्ली होते हैं वो राजनीतिक और सामाजिक होते हैं. वक्फ बोर्ड ने उसके ऊपर पाबंदी लगाई गई है. आपको जो भी बयान देना है उसको छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड से अप्रूव कराना होगा. सामाजिक सौहार्द नहीं बिगाड़ना चाहिए.
सवाल: प्रदेश में इतनी सारी मस्जिद हैं उसकी कैसे मॉनिटरिंग करेंगे ?
जवाब: यह व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए संभव है. 1 से 100 तक एक व्यक्ति देखेगा, 101 से 200 तक दूसरा देखेगा. इस तरह से ग्रुप बनाए जाएंगे और मॉनिटरिंग होगी.
सवाल: तकरीर होने के बाद आप कैसे पता करेंगे कि जिस विषय पर उन्होंने तकरीर करने की बात कही थी उसी पर बोला गया है ?
जवाब: नमाज से पहले सबको तकरीर भेजना पड़ेगा. आपने जो विषय बोला है तकरीर में वह है या नहीं इसको चेक किया जाएगा. वह हमारी जानकारी में आएगा. 2 घंटे का समय है. 4:00 बजे तक भेजना कंपलसरी है. 4:00 बजे तक नहीं भेजा तो उसके बाद वक्फ बोर्ड के द्वारा उनसे जानकारी मांगी जाएगी.
सवाल:अभी प्रदेश में शांत माहौल है, अचानक इसे लागू करने की क्या वजह है ?
जवाब: मुझे लगा समाज में मुतवल्लियों पर अंकुश लगना चाहिए. मस्जिद को इन्होंने राजनीति का आखाड़ा बनाया है. कुछ भी फतवा जारी हो रहा है. किसको वोट देना है, किस प्रत्याशी को जिताना है ये कहना गलत है. धार्मिक जगह पर इबादत होनी चाहिए, राजनीति नहीं होनी चाहिए.
सवाल: वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने भी यही सवाल उठाया है, ऐसी क्या वजह है कि अचानक से आपको या फरमान जारी करना पड़ा ?
जवाब: पूर्व अध्यक्ष को क्या पता है. हम लोग शासन में बैठे हैं. शासन के पास जानकारी आती है. जो रिपोर्ट आता है उसके आधार पर हमने करवाई की है. पूर्व अध्यक्ष को जानकारी नहीं है उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं. मेरे पास यह जिम्मेदारी है मैं उस पर आगे काम कर रहा हूं.
सवाल: यदि आपकी बातों को मुतवल्लियों ने नहीं मानी तब क्या कार्रवाई की जाएगी ?
जवाब: उसके लिए उनको समझाया जाएगा. जरुरत पड़ने पर हम कार्रवाई करेंगे.
जवाब: इस फरमान का समाज को क्या फायदा मिलेगा ?
जवाब: भाईचारा बढ़ेगा. पत्थरबाजी देश में कम हुई है.जुलूस निकालने के दौरान हंगामा नहीं होगा.
तकरीर पर अब वक्फ बोर्ड की मंजूरी जरुरी: छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड अपने इस फैसले से सुर्खियों में आ गया है. नए निर्देशों के मुताबिक मस्जिदों में प्रत्येक जुमे यानी शुक्रवार की नमाज के बाद होने वाली तकरीर के लिए वक्फ बोर्ड से मंजूरी अनिवार्य होगी. किस मुद्दे पर तकरीर करने जा रहे हैं उसकी जानकारी पूर्व में देनी होगी. बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के तकरीर करने पर कार्रवाई की जाएगी.