नासिक : लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात प्रतिबंध महाराष्ट्र में महागठबंधन को भारी पड़ा था. फिलहाल राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. हर जगह नेताओं के दौरे, बैठकें और सभाओं का दौर चल रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात शुल्क घटाने का फैसला किया है.
हालांकि सरकार के इन कदमों से किसानों को प्याज निर्यात करने में मदद मिलेगी, लेकिन इससे महायुति को कितना फायदा होगा? यह तो समय बताएगा. वहीं सवाल उठ रहा है कि 40 फीसदी निर्यात शुल्क कब हटेगा. प्याज उत्पादक दावा कर रहे हैं कि चूंकि प्याज का निर्यात शुल्क हटाने का फैसला देर से लिया गया, इसलिए अब प्याज उत्पादकों को ज्यादा फायदा नहीं होगा. वहीं केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले से प्याज का निर्यात बढ़ेगा और किसानों का उत्पादन भी बढ़ेगा.
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है. केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था. इससे नासिक जिले के प्याज किसान इसके विरोध में खड़े हो गए थे. वहीं मई में लोकसभा चुनाव के दौरान निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले को पलटते हुए 550 डॉलर प्रति टन का निर्यात मूल्य लगाया गया था. हालांकि, किसानों की संतुष्टि नहीं होने के कारण महाराष्ट्र में महायुति को झटका लगा. लोकसभा चुनाव के बाद उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने नासिक जिले में किसानों की एक सार्वजनिक बैठक में प्याज उत्पादकों से माफी मांगी थी. अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार प्याज किसानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है, ताकि प्याज का मुद्दा विपक्ष के हाथ में न जाए. हालांकि, प्याज के निर्यात पर लागू 40 प्रतिशत शुल्क को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत डिगोले ने मांग की है कि सरकार को प्याज के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. प्याज के निर्यात पर निर्यात शुल्क हटाना सरकार के लिए देर से लिया गया फैसला है. अब ग्रीष्मकालीन प्याज की आवक अंतिम चरण में है. किसानों के पास केवल 40 से 45 प्रतिशत प्याज ही बचा है. वहीं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अब लाल प्याज की आवक शुरू हो गई है. हालांकि, लाल प्याज का निर्यात नहीं किया जाता है. प्याज निर्यातकों ने कहा है कि अगर यह फैसला मार्च, अप्रैल में लिया गया होता, तो बड़ी मात्रा में प्याज निर्यात होने से किसानों और व्यापार को फायदा होता.
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