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दहशत का दूसरा नाम था आनंदपाल, एनकाउंटर के बाद मचा बवाल, कोर्ट ने उठाए सवाल - Anandpal Encounter Case

Anandpal Encounter Case, 24 जुलाई गुरुवार को जोधपुर की ACJM कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान में एक बार फिर गैंगस्टर आनंदपाल को लेकर चर्चा का दौर तेज हो गया. 24 जून, 2017 को चूरू के मालासर गांव में SOG ने आनंदपाल का एनकाउंटर किया था. आनंदपाल के परिजनों ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था. कोर्ट ने इस मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट को संदिग्ध मानते हुए एनकाउंटर में लिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है.

Anandpal Encounter Case
आनंदपाल एनकाउंटर पर बवाल (ETV BHARAT JAIPUR)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 27, 2024, 9:42 PM IST

जयपुर.राजस्थान में कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में सीबीआई की ओर से पेश क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में खारिज हो चुकी है. एसीजेएम कोर्ट ने एनकाउंटर में शामिल सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा चलाने और जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने राहुल बारहठ (तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, चूरू), विद्याप्रकाश (तत्कालीन सीओ कुचामन सिटी), सूर्यवीर सिंह (पुलिस निरीक्षक), हेड कांस्टेबल कैलाशचंद्र और कांस्टेबल सोहनसिंह, कांस्टेबल धर्मपाल और कांस्टेबल धर्मवीर के खिलाफ धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 सहपठित धारा 149 भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध का प्रसंज्ञान लिया है.

एनकाउंटर के बाद सीबीआई जांच की मांग : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का 24 जून, 2017 की रात को पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. इस मामले में सीबीआई ने कोर्ट में जब 2020 में क्लोजर रिपोर्ट पेश की तो आनंदपाल की पत्नी राजकंवर ने इसे चुनौती दी. परिजनों ने कोर्ट में आरोप लगाया कि आनंदपाल को करीब से एक के बाद एक कई गोलियां मारी गईं.

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आनंदपाल सिंह के भाई मंजीत पाल सिंह का आरोप है कि उनके भाई का एनकाउंटर नहीं किया गया, बल्कि उनकी सुनियोजित तरीके से हत्या की गई है. आरोप है कि घटना वाले दिन बड़े भाई रूपेंद्र पाल सिंह को पुलिस अपने साथ लेकर गई थी. रूपेंद्र पाल सिंह को आगे करके आनंदपाल सिंह को सरेंडर करने को बोला गया था, लेकिन जैसे ही आनंदपाल सिंह ने सरेंडर किया, तभी पुलिस अधिकारियों ने उन्हें घेर लिया और उसके साथ मारपीट की. बाद में गोलियों से भूनकर उनकी हत्या कर दी.

दहशत का दूसरा नाम था आनंदपाल :आनंदपाल पर गंभीर अपराध के 24 मुकदमें दर्ज थे और पुलिस ने उस पर इनाम घोषित कर रखा था. आनंदपाल सिंह से 21 लोगों की जान को खतरा बताया जा रहा था. इनमें कई मंत्री, विधायक और अफसर भी शामिल थे. आनंदपाल सिंह 2006 में डीडवाना में जीवनराम गोदारा की हत्या के बाद चर्चा में आया था. उसके बाद आनंदपाल और उसके साथी बलवीर बानूड़ा पर सीकर में गोपाल फोगावट की हत्या का भी आरोप लगा था.

आनंदपाल पर आरोप लगा कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर नानूराम नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी. नानूराम की हत्या के बाद उसके शरीर के टुकड़े कर सबूत मिटाने के लिए एसिड से जला दिया गया था. मर्डर के करीब 6 साल बाद 2012 में आनंदपाल को गिरफ्तार किया था. इसी तरह आनंदपाल सिंह रॉकेट लांचर और एक-47 जैसे ऑटोमेटिक विदेशी हथियार रखने वाला बदमाश था.

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उसकी धर पकड़ में राजस्थान पुलिस का करीब 9 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. आनंदपाल को पकड़ने के लिए पौने दो साल में करीब तीन सौ दबिश दी जा चुकी थी. हर दबिश में एएसपी से लेकर कांस्टेबल तक करीब 50 जवानों की टीम जाती थी. हर दबिश पर औसतन करीब पौने 3 लाख रुपए खर्च होते थे.

फिल्मी अंदाज में पुलिस की गिरफ्त से हुआ था फरार :3 सितंबर, 2015 को अजमेर जेल से डीडवाना में पेशी के बाद वापस ले जाते समय आनंदपाल पुलिस पर हमला कर फरार हो गया था. उसका भाई फिल्मी स्टाइल में अपने साथियों के साथ आया और पुलिस पर हमला कर आनंदपाल को छुड़ा ले गया था. इसके बाद उसकी पुलिस से नागौर में दो बार मुठभेड़ भी हुई, लेकिन दोनों बार वो पुलिस पर फायरिंग कर भाग गया. इस दौरान नागौर में हुई मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी, जबकि दोनों बार गोलियां लगने के कारण पुलिस वाले जख्मी हो गए थे.

क्लोजर रिपोर्ट पर उठे ये सवाल :तत्कालीन सीओ विद्याप्रकाश की ग्लोक पिस्टल से चली गोली का खाली खोल आनंदपाल एनकाउंटर के दौरान घर की छत पर मिला था. बयानों के अनुसार आनंदपाल की मौत होने तक विद्याप्रकाश छत पर और सीढ़ियों पर मौजूद नहीं थे. ऐसे में पिस्टल का खाली खोखा छत पर कैसे पहुंचा. छत पर न सिर्फ विद्याप्रकाश, बल्कि सूर्यवीर सिंह और कैलाश की राइफल और पिस्टल से चली गोलियों के खोखे भी मौजूद थे.

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वहीं, आनंदपाल के जिंदा रहते हुए AK47 से फायरिंग करते वक्त किसी का भी छत पर पहुंचना संभव नहीं था. इसलिए कोर्ट ने माना कि आनंदपाल की मौत से पहले ही पुलिस छत पर पहुंच गई थी. इसी तरह जांच में सामने आया था कि कांस्टेबल सोहन सीढ़ियों पर सबसे आगे था. आमने-सामने की फायरिंग में आनंदपाल मारा गया. यही बयान सोहन सिंह ने दिए, लेकिन 7 फरवरी, 2018 को अपने बयान बदल लिए और कहा कि आनंदपाल के बर्स्ट फायर की गोली दीवार में टकराकर पीठ में लगी थी.

एपी की मौत के बाद उसका दो बार पोस्टमॉर्टम हुआ. पहली बार 25 जून को पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में उसके शरीर पर 41 चोटों के निशान थे. 11 गोलियां लगने की बात थी. 30 जून को जब दूसरी बार पोस्टमॉर्टम हुआ तो दो गोलियां और बरामद हुई. यानी की 6 फीट की दूरी से फायर किए गए थे, जो मुठभेड़ में संभव नहीं है.

श्रद्धांजलि सभा और प्रदर्शन में हुई हिंसा :एनकाउंटर के बाद आनंदपाल का शव उसके पैतृक गांव सांवराद (नागौर) ले जाया गया था, जहां परिजन और समाज के लोगों ने एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग को लेकर शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. करीब तीन सप्ताह तक आनंदपाल के शव को डीप फ्रीजर में रखा गया था. एनकाउंटर के बाद 12 जुलाई को सांवराद में राजपूत समाज की एक सभा हुई, जिसमें सीबीआई जांच की मांग की गई.

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इस सभा के बाद जमकर उपद्रव हुआ. श्रद्धांजलि सभा हिंसक प्रदर्शन में बदल गई. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई इस झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिस की एक गाड़ी भी फूंक दी थी. उपद्रवियों ने तत्कालीन नागौर एसपी की गाड़ी में भी आग लगा दी थी. इसके बाद हिंसा को देखते हुए कुछ जिलों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी.

उग्र लोगों ने सांवराद रेलवे स्टेशन पर न सिर्फ रेलवे ट्रैक को उखाड़ दिया, बल्कि बुकिंग काउंटर पर भी तोड़फोड़ और आगजनी की थी. 20 दिन बाद गांव में कर्फ्यू लगाकर पुलिस ने जबरन शव को कब्जे में लेकर आनंदपाल की लाश का अंतिम संस्कार किया था.

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