लखनऊः बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक बार फिर दोहराया कि लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी अपने बलबूते पर ही लड़ेगी. उसे किसी की जरूरत नहीं है. गठबंधन में धोखा खाकर फिर से गठबंधन करना बिल्कुल भी होशियारी नहीं है. इससे कर्मठ कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है. बहुजन समाज पार्टी ने पिछले गठबंधनों से यह सबक लिया है और इसलिए अकेले दम चुनाव लड़ने का फैसला लिया. वे शनिवार को पार्टी कार्यालय पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि पूरी मेहनत और शिद्दत के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं. हमारी अपनी पार्टी के ही प्रत्याशी पूरे प्रदेश में उतरेंगे. हमारी पार्टी को किसी भी पार्टी के समर्थन की आवश्यकता नहीं है, इसीलिए गठबंधन न करने का फैसला लिया है. उन्होंने धर्म को राजनीति के तौर पर इस्तेमाल करने को लेकर इशारों में भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा.
बहुजन समाज पार्टी ने अब पूरी तरह साफ कर दिया है की इंडिया गठबंधन की कोई भी पार्टी कितने भी प्रयास कर ले. लेकिन, अब बहुजन समाज पार्टी किसी भी पार्टी के साथ किसी कीमत पर गठबंधन करने वाली नहीं है. पार्टी के अपने प्रत्याशी पूरे प्रदेश में चुनाव मैदान में उतरेंगे. शनिवार को आयोजित बैठक में मायावती ने भरोसा दिलाया कि अच्छे प्रत्याशियों का चयन करें. प्रत्याशी अच्छे होंगे तो जीत जरूर मिलेगी. उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किए जाने से हुए नुकसान की भी पूरी जानकारी दी. कहा कि बहुजन समाज पार्टी के साथ जिस पार्टी का गठबंधन होता है, उसे तो फायदा मिल जाता है. बहुजन समाज पार्टी के वोटर समर्थन वाली पार्टी को वोट दे देते हैं. लेकिन, दूसरी पार्टियां बहुजन समाज पार्टी की तरफ अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती. इसका नुकसान बसपा को होता है. ऐसे में फैसला लिया गया कि अकेले दम ही चुनाव मैदान में उतरा जाए.
बसपा सुप्रीमों मायावती ने कहा कि सेक्टर पोलिंग बूथ स्थल पर पार्टी के जनाधार को बढ़ाने और संगठन की मजबूती के लिए छोटी-छोटी कैडर मीटिंग की जाएं. इसमें किसी तरह की भी लापरवाही न बरती जाए. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि पूर्व में राजनीति के अपराधीकरण और अपराध के राजनीतिकरण की तरह वर्तमान में धर्म का चुनावी स्वार्थ के लिए राजनीतिकरण उचित नहीं है, क्योंकि इससे देश व जनहित प्रभावित हो रहा है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि जबरदस्त महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से दुखी और पीड़ित देश के 81 करोड़ से अधिक लोग जीने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज हैं. यह कोई इनकी रोजी-रोटी का स्थाई हल नहीं है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब बिल्कुल भी समय नहीं बचा है. दो माह बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाएगी. ऐसे में अब राजनीतिक दल पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गए हैं. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती काफी पहले से ही घोषणा कर चुकी हैं कि वह लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेंगी. किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करेंगी. इसी के मद्देनजर उन्होंने आज बैठक की.