नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए उचित समय की धारणा के बारे में पूछा. कहा कि क्या 'उचित समय' का मतलब विधानसभा के कार्यकाल का अंत भी हो सकता है. सुनवाई के दौरान पीठ ने जानना चाहा कि अयोग्यता याचिका पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष के पास कितना समय है.
कोर्ट ने लगायी फटकारः न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले में सुनावई की. पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में पार्टियों के अधिकारों को कमजोर नहीं होने दिया जा सकता. पीठ ने कहा, "हम अन्य दो पक्षों का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संसद के अधिनियम को ही कमजोर होने दिया जाए."पीठ ने विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा कि क्या “उचित समय” का मतलब विधानसभा के कार्यकाल का अंत भी हो सकता है. पूछा कि उचित समय की धारणा क्या है?
अगली सुनवाई कब होगीः वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाए. याचिकाकर्ताओं के वकील ने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि “उचित समय” का अर्थ असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर तीन महीने के भीतर होगा. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय की है.