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ब्रह्मपुत्र नदी पर तैरता हुई नाव क्लिनिक, असम के रेतीले इलाकों में लोगों को प्रदान करती है स्वास्थ्य सेवाएं - BOAT CLINIC

ईटीवी भारत के अनूप शर्मा ने असम के सुदूर रेतीले इलाके का दौरा किया,

नाव क्लिनिक में डॉक्टरों से सलाह लेने के लिए कतार में खड़े लोग
नाव क्लिनिक में डॉक्टरों से सलाह लेने के लिए कतार में खड़े लोग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 22, 2024, 3:30 PM IST

मोरीगांव: जब ब्रह्मपुत्र के प्राचीन जल में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, 75 साल के मैनुल हक रेतीले तट पर खड़े थे, और दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए शॉल ओढ़ रखी थी. उनकी निगाहें नाव क्लिनिक की एक झलक पाने के लिए खिंची जा रही थींय यह बोट क्लीनिक उन्हें सांस की समस्याओं से लेकर बढ़ते ब्लड प्रेशर और शुगर की समस्याओं से निजात दिलाने के लिए आई थी. मैनुल और चितलमारी चार पर मौजूद अनगिनत लोगों के लिए, यह सिर्फ एक नाव नहीं थी, बल्कि हेल्दी रहने की उनकी एकमात्र उम्मीद थी.

मध्य असम के मोरीगांव जिले के चितलमारी चार में रहने वाले मैनुल एक सीमांत किसान हैं. उनके साथ उनके बेटे रफीकुल हक भी मौजूद थे, जो खुद भी किसान हैं, रफीकुल तीन बच्चों के पिता भी हैं. वह भी अपनी स्किन इंफेक्शन की जांच करवाने के लिए इंतजार कर रहे थे.

नाव क्लिनिक या अखा के साथ पोज देते बच्चे (ETV Bharat)

मैनुल और उनके बेटे के अलावा कई अन्य निवासी भी नाव क्लिनिक का इंतजार कर रहे थे, जिसे असमिया में 'अखा' या 'आशा' नाम दिया गया है, जो असम के अधिकांश चार निवासियों के लिए उनकी सभी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए एकमात्र आशा है.

चार और चापोरी असम की नदी में फैले रेत के टीले हैं. यहां लगभग 2.5 मिलियन लोग रहते हैं, जिनमें मुख्य रूप से हाशिए पर पड़े किसान शामिल हैं. 3.6 लाख हेक्टेयर में फैले ये सुदूर द्वीप विकास से कटे हुए हैं, यहां सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं. यहां, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंचने का बुनियादी काम एक महंगा, कठिन सफर है.

ब्रह्मपुत्र नदी पर तैरता हुआ नाव क्लिनिक (ETV Bharat)

2005 में सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट स्टडीज एंड पॉलिसी रिसर्च (C-NES) द्वारा शुरू किए गए और बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में इंटिग्रेट किए गए, नाव क्लीनिकों की परिकल्पना इस अंतर को पाटने के लिए की गई थी. ये तैरते हुए क्लीनिक विशाल ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में चलते हैं और दूरदराज के चर समुदायों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं.

अखा बोट क्लिनिक के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्यामजीत बताते हैं, "अकेले मोरीगांव जिले में एक बोट क्लिनिक 10,300 से ज़्यादा आबादी वाले 22 चर गांवों की सेवा करती है. हम हर महीने कम से कम एक बार हर गांव में जाते हैं, नियमित जांच, टीकाकरण और दवाइयां देते हैं. हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्थानीय नेटवर्क के साथ कोर्डिनेशन करके निवासियों को हमारे आगमन की सूचना देते हैं."

बोट क्लीनिक (ETV Bharat)

हर बोट क्लिनिक में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ता होते हैं जो समुदाय की जरूरतों के हिसाब से हेल्थ कैंप आयोजित करते हैं. एडवांस केयर की जरूरत वाले मामलों में मरीजों को जिला अस्पतालों में भेजा जाता है.

श्यामजीत कहते हैं, "सभी रोगियों का डेटा दस्तावेज में दर्ज है और एनएचएम प्रणाली में एकीकृत है." इससे स्वास्थ्य परिणामों पर नजर रखने और हस्तक्षेप की योजना बनाने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है.

दवाइयों को ले जाती स्वास्थ्य टीम (ETV Bharat)

मैनुल जैसे निवासियों के लिए, नाव क्लीनिक अपरिहार्य हैं.मैनुल हक ने कहा, "हमारे लिए निकटतम शहर की यात्रा करना कोई विकल्प नहीं है." वे कहते हैं कि नाव किराए पर लेना महंगा है, हममें से ज़्यादातर लोग इसे वहन नहीं कर सकते. इसलिए नाव क्लिनिक ही हमारे लिए एकमात्र उम्मीद है."

सी-एनईएस में संचार अधिकारी भास्वती गोस्वामी पहल के उद्देश्य पर बात करती हैं. वह कहती हैं, "नाव क्लीनिक का उद्देश्य दुर्गम नदी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना है. अपनी शुरुआत से यह परियोजना असम के 15 जिलों में 4 मिलियन से ज़्यादा लोगों तक पहुंच चुकी है."

डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों और लैब तकनीशियनों सहित 15 सदस्यों वाली ये टीमें मुख्य रूप से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करती हैं. गोस्वामी कहते हैं, "हमारा लक्ष्य संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करना है. हालांकि कई महिलाएं अभी भी घर पर ही प्रसव कराती हैं, लेकिन सुरक्षित तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है."

बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की कमी के कारण अक्सर निवासियों को मरीजों को खाट पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है (ETV Bharat)

उन्होंने कहा कि बोट क्लीनिक चार निवासियों को स्वच्छता, सफाई और सरकारी कल्याण योजनाओं के बारे में भी शिक्षित करती है. इन मुद्दों के बारे में सीमित जागरूकता के कारण, चार निवासियों को जलवायु परिवर्तन के कारण अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

असम में चर निवासियों की समस्याएं अप्रत्याशित मौसम स्थितियों के कारण और भी बढ़ गई हैं. तापमान, अनिश्चित अप्रत्याशित वर्षा पैटर्न और बाढ़ की बढ़ती तीव्रता ने हाशिए पर जीवन जीने वाले लोगों पर असर डालना शुरू कर दिया है. असम के धुबरी जिले में नाव क्लीनिकों का अध्ययन करने वाली शोधकर्ता निमिशा भुयान ने कहा, "अप्रत्याशित मौसम पैटर्न, अनियमित वर्षा और तीव्र बाढ़ ने इन कमजोर समुदायों के लिए जीवन की स्थिति को खराब कर दिया है, जबकि क्लीनिक महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं, उनकी सीमित आवृत्ति विस्तार की आवश्यकता को रेखांकित करती है. अकेले धुबरी जिले में, जहां 400 चर हैं, चुनौतियां बहुत बड़ी हैं."

भुयान ने कहा, "बुनियादी स्वच्छता जागरूकता की कमी स्वास्थ्य समस्याओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है. हालांकि, क्लीनिक एक बार में एक यात्रा करके बदलाव ला रहे हैं. जैसे ही नाव क्लीनिक चितलमारी चर पर पहुंचती है, निवासी इकट्ठा होते हैं, उनके चेहरे पर राहत और उम्मीद का मिश्रण होता है. मैनुल हक और अनगिनत अन्य लोगों के लिए, अखा महज एक नाव नहीं है - यह एक स्वस्थ, अधिक सुरक्षित कल का वादा है.

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