नई दिल्ली :लोकसभा चुनाव में '400 पार' का लक्ष्य पाने के लिए भाजपा जुटी हुई है. इसके लिए पार्टी ने तय किया है कि जो दो बार या उससे ज्यादा टर्म से राज्यसभा सांसद हैं, उनको रिपीट नहीं किया जाएगा. यदि उम्र और लोकप्रियता के साथ ऐसे नेता संसद में आना भी चाहते हैं तो उन्हें राज्यसभा नहीं बल्कि जनता की कसौटी पर खरा उतरना होगा. यानी उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ना होगा.
मोदी सरकार के ऐसे वरिष्ठ मंत्री जो राज्यसभा में 2 कार्यकाल तक रह चुके हैं और जिनका कार्यकाल या तो समाप्त हो रहा है या समाप्त होने वाला है, उनको भी चुनाव लड़ने को कहा गया है. इसके लिए राज्यसभा सांसदों से पार्टी ने कम से कम ऐसी तीन लोकसभा सीटों के नाम बताने को कहा है, जहां से वह चुनाव जीत सकते हैं या जहां उनकी लोकप्रियता है. हालांकि इन सीटों पर पार्टी के इंटरनल सर्वे में भी उन्हें खरा उतरना पड़ेगा.
सूत्रों की मानें तो पार्टी के इन सांसदों में से ज्यादातर ने अपनी पसंद की दो सीटें पार्टी को बताई हैं और आखिर में फैसला पार्टी पर छोड़ दिया है. सूत्रों की मानें तो धर्मेंद्र प्रधान की प्राथमिकता ओडिशा की संबलपुर सीट है और दूसरी ढेंकनाल है.
भूपेंद्र यादव ने हरियाणा की भिवानी महेंद्रगढ़ सीट बताई है. साथ ही राजस्थान की जयपुर ग्रामीण और अलवर सीट जो, रिक्त पड़ीं हैं वो दो सीटें भी बताई हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली प्राथमिकता गुना लोकसभा सीट बताई है जबकि अपनी दूसरी पसंद ग्वालियर सीट बताई है. इसी तरह से मनसुख मांडविया भावनगर सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनकी दूसरी पसंद सूरत सीट है.
सर्बानंद सोनोवालने प्राथमिकता के तौर पर असम की डिब्रूगढ़ और लखीमपुर सीट बताई हैं, क्योंकि वह इन दोनों ही सीट से सांसद रह चुके हैं. इसी तरह राजीव चंद्रशेखर को पार्टी के स्थानीय नेता शशि थरूर के खिलाफ तिरुवनंतपुरम से चुनाव लड़वाना चाहते हैं जबकि खुद उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल की इच्छा पार्टी से जताई है.
वी. मुरलीधरन ने केरल से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. पुरुषोत्तम रूपला ने गुजरात की अमरेली सीट को पहली प्राथमिकता बताया है. पीयूष गोयल मुंबईं की किसी भी सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हैं, लेकिन फैसला पार्टी पर छोड़ दिया है.