भागलपुर/पटना : बिहार में एक नियोजित शिक्षक ने सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की है. भागलपुर के नवगछिया के नियोजित शिक्षक घनश्याम कुमार ने इस संबंध में पीएमओ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और मानवाधिकार आयोग को पत्र भी लिखा है. इस तरह के पत्राचार से हड़कंप मच गया है.
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चे :दरअसल, नियोजित शिक्षक घनश्याम कुमार के दो बेटे DMD यानी ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. जिसमें 80% से अधिक विकलांगता के शिकार हो चुके हैं. इसमें एक का नाम अनिमेष अमन है, जिसकी उम्र 17 साल है और नौवीं का छात्र है. वहीं दूसरे बेटे का नाम अनुराग आनंद है. जिसकी उम्र 9 साल है और वह तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है.
'दोनों बेटा मौत की तरफ बढ़ रहा है' : ईटीवी भारत की टीम शिक्षक घनश्याम कुमार के घर पहुंची. हमने उनके बच्चों को देखा, साथ ही उनसे बात की. घनश्याम कुमार ने बताया कि मेरे कुल 5 बच्चे हैं, इसमें से तीन लड़की और दो लड़के हैं. मेरे दोनों लड़कों को लाइलाज गंभीर बीमारी ने जकड़ रखा है, जिस वजह से दिनों दिन वह मौत की तरफ बढ़ता जा रहा है. मैं नियोजित शिक्षक हूं, अगर मेरा स्थानांतरण होता है तो मेरे दोनों बेटे की देखभाल कौन करेगा?
''अब तक वह 50 से 60 लाख रुपए अपने दोनों बेटों पर खर्च कर चुके हैं, लेकिन उनकी बीमारी अभी तक ठीक नहीं हुई है. देशभर में करीब 6 से 7 राज्यों में इलाज कराकर थक चुका हूं. अब मेरे मन में तरह-तरह की बातें आ रही हैं.''- घनश्याम कुमार, नियोजित शिक्षक
'मेरे बच्चों की देखभाल मुश्किल हो जाएगी' :घनश्याम कुमार ने कहा है कि सक्षमता परीक्षा के बाद अब शिक्षा विभाग नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण की तैयारी में है. वहीं मेरे बच्चों की उम्र के साथ-साथ विकलांगता बढ़ती जा रही है. बच्चों का नित्य क्रिया और दैनिक क्रिया मुझे ही कराना पड़ता है. यदि सरकार ट्रांसफर कहीं दूर कर देती है तो बच्चों की देखभाल मुश्किल हो जाएगी. बच्चे पल-पल घुट-घुटकर दम तोड़ने लगेंगे.
''मैं परिवार में अकेला ही कमाने वाला हूं. अपने दोनों बेटों की देखरेख करता हूं. सुबह स्कूल जाने से पहले अपने दोनों बच्चों को खुद ही खाना खिलाता हूं एवम् उसकी दवाई एवं देखरेख करता हूं. लेकिन स्थानांतरण होने की सूचना से पूरा परिवार हताश हो गया है.''- घनश्याम कुमार, नियोजित शिक्षक