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महाराष्ट्र में BJP के खराब प्रदर्शन की वजह, कई दिग्गज नए कैंडिडेट से क्यों हारे? - Big blow to stalwart leaders of BJP in Maharashtra

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 5, 2024, 9:12 PM IST

Updated : Jun 5, 2024, 9:38 PM IST

BJP performance in Maharashtra: भाजपा को हाल के लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. महाराष्ट्र में बीजेपी सिर्फ 9 सीटें जीत सकी. यानी पार्टी 2009 की स्थिति में पहुंच गई है. इस बार कई दिग्गजों को साधारण उम्मीदवारों ने चुनावी पटखनी दी है. महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीति पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमोरे ने लोकसभा चुनाव में जीत और हार से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला.

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फोटो (ANI)

मुंबई: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका लग चुका है. जिसे देखकर राज्य में एक बार फिर से लोगों की भावनाओं का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. चुनाव केवल जनता के विकास के मुद्दों पर ही लड़ा जाता है. ऐसे में अब बड़े-बड़े राजनीति के धुरंधरों को लगने लगा है कि, जनता को लंबे समय तक हल्के में नहीं लिया जा सकता है. इस पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमोरे की प्रतिक्रिया समझने लायक है. उनका कहना है कि, इस चुनाव से एक बात तो साफ हो गया है कि लंबे समय तक जनता को भावुक कर उन्हें जाति-धर्म के मुद्दों में उलझाकर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि, 2024 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र के कई बड़े दिग्गज और अनुभवी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव हार गए. इस चुनाव ने एक बात तो साफ कर दिया है कि धनबल या दमन का प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहता. इस बार कई साधारण उम्मीदवारों ने दिग्गजों को चुनाव में करारा झटका देते हुए उन्हें चुनाव के मैदान में धूल चटाया है. विजय चोरमोरे ने कहा कि, नासिक निर्वाचन क्षेत्र के राजाभाऊ वाजे और डिंडोरी निर्वाचन क्षेत्र के भास्कर भागरे और अमरावती निर्वाचन क्षेत्र के बलवंत वानखड़े कुछ प्रमुख उदाहरण हैं.

क्यों हारे दिग्गज उम्मीदवार?
नासिक लोकसभा क्षेत्र में, शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार हेमंत गोडसे मौजूदा सांसद थे. इस संसदीय क्षेत्र में उनका काफी प्रभाव है. जातीय समीकरण पर नजर डालें तो चर्चा थी कि मराठा वोटर उनके साथ रहेंगे. लेकिन राजाभाऊ वाजे को ये बड़ा समर्थन मराठा वोटरों के साथ-साथ ओबीसी वोटरों का भी मिला. छगन भुजबल के मैदान में नहीं होने से ऐसा लगता है कि ओबीसी मतदाताओं ने राजाभाऊ वाजे को तरजीह दी है. सिन्नार के एक आम नेता की यह लड़ाई निश्चित रूप से सराहनीय है. वाजे ने नासिक लोकसभा क्षेत्र में कुछ प्रमुख मुद्दों पर अपनी उंगली उठाई है. नासिक के डिंडोरी लोकसभा क्षेत्र में शिक्षक भास्कर भगारे ने पूर्व केंद्रीय मंत्री भारती पवार को हराया. भारती पवार का मतदाताओं से मोहभंग होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में प्याज किसानों का सरकार के प्रति गुस्सा आम शिक्षक उम्मीदवार भास्कर भगारे को फायदा पहुंचा गया. इस कारण जनता ने भास्कर भगारे के स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार को स्वीकार कर लिया और भारती पवार हार गईं.

धनशक्ति बनाम जनशक्ति की लड़ाई
मराठवाड़ा की बीड सीट पर बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे और एनसीपी शरद पवार उम्मीदवार बजरंग सोनावणे के बीच बेहद करीबी मुकाबला देखने को मिला. इस निर्वाचन क्षेत्र में पंकजा मुंडे की अपनी पकड़ के साथ-साथ मौजूदा मंत्री धनंजय मुंडे द्वारा दिए गए समर्थन से उनका जीतना तय माना जा रहा था. लेकिन मराठा आरक्षण का मुद्दा और जारांगे पाटिल के आंदोलन के प्रभाव ने बजरंग सोनावणे की मदद की. मराठा समुदाय ने बजरंग सोनावणे को खूब वोट दिए. इसलिए कहा जाता है कि इस संसदीय क्षेत्र में धनबल और जनबल के बीच लड़ाई थी.

महाराष्ट्र में बीजेपी-एनडीए को नुकसान
वहीं, अमरावती सीट पर मौजूदा सांसद और बीजेपी उम्मीदवार नवनीत राणा के सामने महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार और कांग्रेस उम्मीदवार बलवंत वानखड़े ने बेहद कड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी. 'धनशक्ति बनाम जनशक्ति' का ऐसा ही संघर्ष इस विधानसभा क्षेत्र में भी देखने को मिला. लेकिन स्थानीय मतदाताओं और अल्पसंख्यक मतदाताओं ने कांग्रेस उम्मीदवार के पीछे जो ताकत पैदा की, वह उनकी जीत साबित हुई. वर्धा और रामटेक निर्वाचन क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी और महायुति का गढ़ हैं. वर्धा और रामटेक (एससी) निर्वाचन क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी और महायुति का गढ़ हैं. इन दोनों सीटों पर बीजेपी और शिवसेना का काफी प्रभाव रहा है . हालांकि, कांग्रेस ने यहां बहुत जोरदार प्रचार किया. इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में नए उम्मीदवार उतारे गए. कांग्रेस के उम्मीदवार श्याम कुमार बर्वे और एनसीपी (शरद पवार गुट) के अमर शरदराव काले ने प्रतिद्वंदियों ने कड़ी टक्कर दी और चुनाव जीत गए. इस विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वोटरों और धान किसानों की नाराजगी दिखी. मतदाताओं ने दिग्गज प्रत्याशियों को दरकिनार करते हुए नये प्रत्याशियों पर भरोसा जताया.

जनता को अब हल्के में न लें
इसी तरह चंद्रपुर जिले में भी कांग्रेस की प्रतिभा धानोरकर ने निवर्तमान मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को कड़ी टक्कर दी. प्रचार के दौरान सुधीर मुनगंटीवार की टिप्पणी और महिलाओं के अपमान के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा. प्रतिभा धानोरकर ने शुरू से ही बढ़त बनाई और लोगों की सहानुभूति हासिल की और भारी बहुमत से जीत हासिल की. अहमदनगर लोकसभा क्षेत्र राधाकृष्ण विखे पाटिल का पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता रहा है. ऐसा माना जा रहा था कि विखे पाटिल अपने संगठन और अन्य प्रभाव के कारण इस निर्वाचन क्षेत्र से जीतेंगे. हालांकि, लोगों ने एक बार फिर एक सर्वमान्य नेता पर भरोसा दिखाया. सुजय विखे पाटिल को उनकी सार्वजनिक छवि के कारण ही एक साधारण विधायक नीलेश लंके ने हराया. नीलेश लंके को कोरोना काल में किए गए काम और लोगों से लगातार संपर्क, बेहद लो प्रोफाइल रहकर उनके बीच एक एक्टिविस्ट की तरह व्यवहार करने की वजह से लोगों ने उन्हें काफी पसंद किया.

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Last Updated : Jun 5, 2024, 9:38 PM IST

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