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गरीब नवाज की दरगाह में पेश की गई बसंत, 750 वर्षों से गुरु की परंपरा को आगे बढ़ा रहे शाही कव्वाल - Khwaja Garib Nawaz

देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. शुक्रवार को परंपरा के अनुसार शाही कव्वालों की ओर से दरगाह में बसंत पेश की गई. निजाम गेट से जुलूस के रूप में शाही कव्वाल, दरगाह दीवान और खादिम मिलकर आस्ताने शरीफ पंहुचे. इस बीच शाही कव्वालों ने ढोलक और हारमोनियम की संगत के साथ बसंत के कलाम पेश किए.

ख्वाजा गरीब नवाज
ख्वाजा गरीब नवाज

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 16, 2024, 12:20 PM IST

गरीब नवाज की दरगाह में पेश की गई बसंत

अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शुक्रवार को परंपरा के अनुसार बसंत पेश की गई. इस दौरान दरगाह में शाही कव्वालों ने बसंत पर लिखे अमीर खुसरो के कलाम पेश किए. साथ ही सरसों के फूलों और अन्य मौसमी फलों से बना गुलदस्ता ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर पेश किया गया.

देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. शुक्रवार को परंपरा के अनुसार शाही कव्वालों की ओर से दरगाह में बसंत पेश की गई. निजाम गेट से जुलूस के रूप में शाही कव्वाल, दरगाह दीवान और खादिम मिलकर आस्ताने शरीफ पंहुचे. इस बीच शाही कव्वालों ने ढोलक और हारमोनियम की संगत के साथ बसंत के कलाम पेश किए. दरगाह में मौजूद जायरीन भी इस अवसर पर जुलूस के साथ शामिल हुए. आस्ताने में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर श्रद्धा भाव के साथ फूलों का गुलदस्ता पेश किया गया. इस गुलदस्ते में सरसों के फूल और मौसमी फूल होते हैं, जो बसंत के मौसम में खिलते हैं. मजार पर गुलदस्ता पेश करने के बाद मुल्क में अमन चैन, भाईचारे और खुशहाली की दुआएं की गईं.

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बसंत पेश करने की है परंपरा : दरगाह में शाही कव्वाल सद्दाम हुसैन बताते हैं कि अमीर खुसरो ने अपने पीर निजामुद्दीन औलिया को खुश करने के लिए सरसों और अन्य मौसमी फूलों का गुलदस्ता पेश किया था. साथ ही बसंत पर लिखे कलाम भी उन्हें सुनाए थे. इसके बाद से ही यह परंपरा शाही कव्वाल निजामुद्दीन औलिया और अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में 750 वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते चले आ रहे हैं. शुक्रवार को शाही कव्वालों की ओर से दरगाह में बसंत पर अमीर खुसरो के लिखे हुए कलाम और सरसों के फूलों का गुलदस्ता पेश किया गया. दरगाह में खादिम सैयद नफीस मियां चिश्ती ने बताया कि शाही कव्वाल अमीर खुसरो को अपना गुरु मानते हैं. अपने गुरु की परंपरा को सदियों से शाही कव्वाल पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रहे है. देश में निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा गरीब नवाज समेत कई सूफी दरगाहों में बसंत पेश की जाती है.

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देश का मुसलमान है खुशहाल :दरगाह दीवान जैनुअल आबेद्दीन के साहबजादे सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने बताया कि भारतीय सभ्यता की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि यहां पर सभी धर्म के लोग एक-दूसरे के त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं. इसकी सबसे बड़ी मिसाल बसंत पंचमी है. यह अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह ही नहीं देश की सभी सूफी दरगाहों में बसंत मनाई जाती है. ऐसी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देश में और कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी. यह देश में रहने वाले उन लोगों को करारा जवाब है जो विदेशी ताकतों को खुश करने के लिए यह कहते हैं कि भारत में मुसलमान खुश नहीं है. ऐसे लोगों को आत्म चिंतन करना चाहिए. नॉन अरब देशों में मुस्लिम अपने अधिकार पा रहे हैं और क्या उन्हें वो धार्मिक स्वतंत्रता है जो उन्हें भारत में मिल रही है? ऐसे लोग एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं को भड़का रहे हैं, उन्हें अपनी नापाक हरकतों से बचना चाहिए. हिंदुस्तान में मुसलमान पूरी तरह खुशहाल है.

उन्होंने कहा कि आजकल यह होड़ मच गई है कि एक-दूसरे से अधिक कौन बोल सकता है. ऐसे नापाक लोगों को अपनी हरकतों से बाहर जाना चाहिए. देश में सद्भावना बनी रहे, यह जिम्मेदारी तमाम धर्म गुरुओं, जिम्मेदारों और राजनीतिज्ञों की भी है. विकसित भारत करना है तो सबको साथ मिलकर चलना होगा. जलसों के अंदर जो लोग हेट स्पीच देते हैं, वह अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें और शालीनता लाएं.

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