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बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों की पीएम मोदी से गुहार - 'भारत में मिले शरण..भयानक है हालात' - Bangladesh Crisis - BANGLADESH CRISIS

Bangladesh Minority Hindu : बिहार के किशनगंज की सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर बॉर्डर के उस पार बैठे हजारों बांग्लादेशी अल्पसंख्यक भारत में शरण चाहते हैं. वो टकटकी लगाकर बैठे हैं कि उनके लिए भारत बड़ा दिल दिखाते हुए शरण दे. पीड़ित पीएम मोदी से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें ऐसे भयानक हालात से निकाला जाय..पढ़ें पूरी खबर-

बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की अपील
बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की अपील (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 22, 2024, 3:57 PM IST

किशनगंज: जब से बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ है, वहां पर अल्पसंख्यक हिन्दुओं से मारपीट और अत्याचार की खबरें आ रहीं है. ऐसे में बिहार के किशनगंज जिले की सीमा से महज 20 किमी की दूर पर भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की पेशानी पर चिंता की लकीरें खिंची हुई हैं. यहां के अल्पसंख्यक हिन्दू पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि उन्हें भारत में शरण मिले.

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार : बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद भारत में बॉर्डर पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती है. भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा 4096 किलोमीटर तक फैली हुई है. जिसमें से 936.415 किलोमीटर बीएसएफ के उत्तरी बंगाल फ्रंटियर के अधिकार क्षेत्र में है, जो दक्षिण दिनाजपुर जिले से किशनगंज से सटे उत्तर दिनाजपुर जिले होते हुए कूचबिहार जिले तक, पश्चिम बंगाल के 05 जिलों तक फैली हुई है.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

बीएसएफ ने सीमा पर बढ़ाई निगरानी: उत्तर बंगाल फ्रंटियर ने 04 बीएसएफ सेक्टरों के तहत कुल 18 बीएसएफ बटालियन तैनात की हैं, जिसमें किशनगंज बीएसएफ सेक्टर भी शामिल है. वहीं सभी अब हाई अलर्ट पर हैं. पूरी सीमा के अलावा सभी लैंड कस्टम स्टेशनों (एलसीएस) पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है. बावजूद इसके अलग-अलग इलाकों में हिंसा थम नहीं रही है.

बॉर्डर के उस पार अल्पसंख्यकों में दहशत: बांग्लादेश की हालत को देखते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर BSF द्वारा जवानों की संख्या में बढ़ोतरी कर दी गई है. बीएसएफ के वरीय अधिकारी लगातार सीमा पर नजर बनाए हुए है. अधिकारियों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है. किशनगंज जिले से सटे बंगाल के ग्वाल पोखर थाना क्षेत्र अंतर्गत अलग-अलग बीओपी तीनगांव, नागोर भीटा, घोष पाड़ा पर जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गई है.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

भारत में शरण चाहते हैं बांग्लादेशी अल्पसंख्यक : मिली जानकारी के मुताबिक बीते 5 अगस्त के बाद नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर के अधीन आने वाले कई बीओपी पर बांग्लादेशी नागरिकों का अचानक ही जमावड़ा हो गया था, जो की हिंसा के डर से भारत में शरण लेना चाहते थे. जिन्हे समझा बुझा कर वापस जवानों द्वारा बांग्लादेश भेजा गया है. इधर सीमावर्ती इलाके के ग्रामीणों में बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण : सीमा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया की उनकी जमीन सीमा क्षेत्र में है और जब वो अपनी जमीन पर खेती करने जाते हैं तो बांग्लादेशी नागरिकों से भी बात होती है. ग्वालपोखर थाना क्षेत्र स्थित चकला गढ़ गांव के ग्रामीण श्यामल कुमार पाल, नीम लाल पाल ने बताया की बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग काफी डरे सहमे हुए हैं, जिसकी वजह से वो भारत में शरण लेना चाहते हैं, लेकिन तारबंदी और बीएसएफ की मौजूदगी के कारण भारत में प्रवेश नहीं कर पाते.

बांग्लादेश-भारत बॉर्डर (ETV Bharat)

''बांग्लादेश में रहने वाले अधिकांश हिंदू समुदाय के लोग आवामी लीग के समर्थक हैं. शेख हसीना के तख्तापलट के बाद हिंदू समुदाय के घरों में आग लगायी जा रही है, उनकी हत्या की जा रही है.''- श्यामल कुमार पाल, बॉर्डर पर बसे स्थानीय निवासी

कारोबार पर भी पड़ा असर : ग्रामीण नोनी गोपाल ने बताया की बांग्लादेश की स्थिति भयावह है और इसके कारण व्यापार पर भी असर पड़ा है. भारत बांग्लादेश के बीच कपड़ा, मछली, अनाज, सब्जी सहित अन्य सामानों का आयात निर्यात होता है. ग्रामीणों ने बताया की दोनों देशों के बीच करोड़ों रुपए का कारोबार होता है. भारत के द्वारा सभी फल आदि भेजें जाते हैं, लेकिन इस उथल पुथल के कारण कारोबार ठप हो चुका है.

पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग : ग्रामीणों ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तुरंत हस्तक्षेप करते हुए बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करवाना चाहिए साथ ही शांति बहाली और व्यापार को लेकर ठोस कदम उठाना चाहिए.

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