किशनगंज: जब से बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ है, वहां पर अल्पसंख्यक हिन्दुओं से मारपीट और अत्याचार की खबरें आ रहीं है. ऐसे में बिहार के किशनगंज जिले की सीमा से महज 20 किमी की दूर पर भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की पेशानी पर चिंता की लकीरें खिंची हुई हैं. यहां के अल्पसंख्यक हिन्दू पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि उन्हें भारत में शरण मिले.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार : बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद भारत में बॉर्डर पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती है. भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा 4096 किलोमीटर तक फैली हुई है. जिसमें से 936.415 किलोमीटर बीएसएफ के उत्तरी बंगाल फ्रंटियर के अधिकार क्षेत्र में है, जो दक्षिण दिनाजपुर जिले से किशनगंज से सटे उत्तर दिनाजपुर जिले होते हुए कूचबिहार जिले तक, पश्चिम बंगाल के 05 जिलों तक फैली हुई है.
बीएसएफ ने सीमा पर बढ़ाई निगरानी: उत्तर बंगाल फ्रंटियर ने 04 बीएसएफ सेक्टरों के तहत कुल 18 बीएसएफ बटालियन तैनात की हैं, जिसमें किशनगंज बीएसएफ सेक्टर भी शामिल है. वहीं सभी अब हाई अलर्ट पर हैं. पूरी सीमा के अलावा सभी लैंड कस्टम स्टेशनों (एलसीएस) पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है. बावजूद इसके अलग-अलग इलाकों में हिंसा थम नहीं रही है.
बॉर्डर के उस पार अल्पसंख्यकों में दहशत: बांग्लादेश की हालत को देखते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर BSF द्वारा जवानों की संख्या में बढ़ोतरी कर दी गई है. बीएसएफ के वरीय अधिकारी लगातार सीमा पर नजर बनाए हुए है. अधिकारियों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है. किशनगंज जिले से सटे बंगाल के ग्वाल पोखर थाना क्षेत्र अंतर्गत अलग-अलग बीओपी तीनगांव, नागोर भीटा, घोष पाड़ा पर जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गई है.
भारत में शरण चाहते हैं बांग्लादेशी अल्पसंख्यक : मिली जानकारी के मुताबिक बीते 5 अगस्त के बाद नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर के अधीन आने वाले कई बीओपी पर बांग्लादेशी नागरिकों का अचानक ही जमावड़ा हो गया था, जो की हिंसा के डर से भारत में शरण लेना चाहते थे. जिन्हे समझा बुझा कर वापस जवानों द्वारा बांग्लादेश भेजा गया है. इधर सीमावर्ती इलाके के ग्रामीणों में बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं.