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बदलापुर यौन उत्पीड़न: बॉम्बे हाईकोर्ट के पुलिस से 6 कठिन सवाल, पूछा- आरोपी अक्षय शिंदे के सिर में गोली क्यों मारी गई? - Bombay High Court

Badlapur Sexual Assault: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार 25 सितंबर को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हत्या मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि उसने आरोपी के सिर में गोली क्यों मारी?

बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 25, 2024, 6:02 PM IST

Updated : Sep 25, 2024, 9:11 PM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार 25 सितंबर को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हत्या मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस पर कुछ तीखी टिप्पणियां कीं और पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए.जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि अक्षय शिंदे की गोली मारकर हत्या करने से बचा जा सकता था.

साथ ही कोर्ट ने उसकी मौत की जांच निष्पक्ष तरीके से करने का आग्रह भी किया.पीठ ने आगे कहा कि अगर जांच ठीक से नहीं की गई तो वह उचित आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगी. अदालत ने कहा, "हम पुलिस की गतिविधियों पर संदेह नहीं कर रहे हैं, लेकिन सभी पहलुओं पर स्पष्ट हैं."

3 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को तय तक टाल दी, तब तक पुलिस को अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे द्वारा प्रस्तुत शिकायत पर निर्णय लेना होगा, जिसमें संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है.

बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणियां और सवाल
1-बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि अगर पुलिस ने बदलापुर मामले के आरोपी अक्षय शिंदे को पहले काबू करने की कोशिश की होती तो फायरिंग टाली जा सकती थी. कोर्ट ने कहा कि यह भी मानना बहुत मुश्किल है कि वह पुलिस अधिकारी से पिस्तौल छीनने और गोली चलाने में कामयाब हो गया. हाई कोर्ट ने पूछा कि आरोपी को पहले सिर में गोली क्यों मारी गई, हाथ या पैर में क्यों नहीं?

2- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि वह इस समय कोई संदेह नहीं जता रहा है, लेकिन यह मानना बहुत मुश्किल है कि अक्षय शिंदे ने पुलिस अधिकारी से पिस्तौल छीन ली और गोली चला दी. बेंच ने कहा कि पिस्तौल खोलना और उससे गोली चलाना बहुत आसान नहीं है.

3- राज्य की ओर से पेश हुए मुख्य सरकारी वकील हितेन वेनेगावकर ने कहा कि महाराष्ट्र सीआईडी भी घटना की जांच कर रही है. लाइव लॉ ने वेनेगावकर के हवाले से कहा, "दो एफआईआर दर्ज की गई हैं, एक धारा 307 के तहत और दूसरी दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट. दोनों की जांच सीआईडी कर रही है." इस स्तर पर जस्टिस मोहिते-डेरे ने वेनेगावकर से समयसीमा के बारे में पूछा, उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गोपनीय नहीं है.

4- पीठ ने यह भी पूछा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए कब भेजा गया, क्या इसकी वीडियोग्राफी की गई, मौत का कारण क्या था और मृतक और अधिकारी को लगी चोटों के बारे में क्या जानकारी है. इस पर वेनेगावकर ने कहा, "शव को सुबह 8 बजे जेजे अस्पताल भेजा गया. पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की गई. मौत का कारण खून बहना था. गोली सिर के एक तरफ से घुसी और दूसरी तरफ से निकल गई. अधिकारी को चोट लगी है."

5- जस्टिस चव्हाण ने कहा, " पहली नजर में इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. एक आम आदमी पिस्तौल नहीं चला सकता, जबकि रिवॉल्वर कोई भी बदमाश चला सकता है. एक कमजोर आदमी पिस्तौल लोड नहीं कर सकता, क्योंकि इसके लिए ताकत की जरूरत होती है. क्या आपने कभी पिस्तौल का इस्तेमाल किया है? मैंने इसे 100 बार इस्तेमाल किया है, इसलिए मुझे यह पता है, जब आप किसी ऐसे व्यक्ति को ले जा रहे हैं जिस पर गंभीर अपराधों का आरोप है, तो आप इतने बेफिक्र और लापरवाह क्यों थे? एसओपी क्या है? क्या उसे हथकड़ी लगाई गई थी?"

6- लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने यह भी पूछा, "आपने कहा कि आरोपी ने पुलिस की ओर तीन गोलियां चलाईं. सिर्फ एक गोली पुलिस वाले को लगी, बाकी दो का क्या? आम तौर पर, आत्मरक्षा के लिए हम पैरों पर गोली चलाते हैं. आम तौर पर आत्मरक्षा के लिए कहां गोली चलाई जाती है? शायद हाथ पर या पैर पर." इस पर वेनेगावकर ने कहा कि संबंधित अधिकारी ने इस बारे में नहीं सोचा और उन्होंने सिर्फ रेस्पांस दिया."

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Last Updated : Sep 25, 2024, 9:11 PM IST

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