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गंभीर बीमारी के चलते जम्मू कश्मीर का यह एरिया कंटेनमेंट जोन घोषित, BNSS की धारा 163 लागू - CONTAINMENT ZONE

Jammu Kashmir: राजौरी के बधाल गांव कंटेनमेंट जोन घोषित करके वहां बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी गई है.

Badhaal village of Rajouri declared as a containment zone
राजौरी का बधाल गांव कंटेनमेंट जोन घोषित (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 22, 2025, 2:30 PM IST

श्रीनगर:हाल ही में जम्मू कश्मीर के राजौरी स्थित बधाल गांव में स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है. किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए बीएनएसएस अधिनियम की धारा 163 (पहले सीआरपीसी की धारा 144) के तहत क्षेत्र में कड़े प्रावधान लागू किए गए हैं. प्रभावित परिवारों के घरों को सील कर दिया गया है और बेहतर प्रबंधन के लिए पूरे क्षेत्र को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. साथ ही सभी प्रकार के सार्वजनिक और निजी समारोहों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक कंटेनमेंट जोन में रहने वाले परिवारों को दिए जाने वाले भोजन की क्वालिटी और वितरण की निगरानी के लिए अधिकारियों को तैनात किया गया है. बता दें कि इस गांव में अज्ञात बीमारी से 17 लोगों की मौत हो चुकी है. एक अन्य 25 वर्षीय युवक की तबीयत खराब होने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल भेजा गया. राजौरी के बधाल गांव में रहस्यमयी बीमारी से मरने वालों की संख्या 17 हो गई.

राजौरी का बधाल गांव कंटेनमेंट जोन घोषित (ETV Bharat)

गृह मंत्रालय ने टीम का किया गठन
गृह मंत्री मंत्री अमित शाह ने शनिवार को जम्मू के राजौरी जिले में पिछले छह हफ्तों में 3 घटनाओं में मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए प्रभावित गांव का दौरा करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम के गठन का आदेश दिया. टीम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय के विशेषज्ञ शामिल हैं जो सोमवार को राजौरी पहुंचे.

हेल्थ एक्सपर्ट्स और प्रशासन की बैठक
मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने मंगलवार को यहां राजौरी जिले के बधाल गांव में हुई रहस्यमयी मौतों के पीछे के वास्तविक कारणों की पहचान करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का आकलन को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स और पुलिस विभाग के साथ मंडल और जिला प्रशासन की एक बैठक की. इस बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य और पुलिस विभागों के संबंधित अधिकारियों को संभागीय प्रशासन के परामर्श से कड़े नियंत्रण उपाय करने के लिए कहा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी व्यक्ति की जान का नुकसान न हो.

उन्होंने संबंधितों को गांव के लोगों की निगरानी के लिए उचित एसओपी तैयार करने की सलाह दी. उन्होंने एसओपी में निर्धारित क्या करें और क्या न करें को लागू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और पुलिस दोनों से पर्याप्त जनशक्ति तैनात करने को कहा. डुल्लू ने आगे संभागीय और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वे अपनी सतर्कता में ढील न दें और केवल परीक्षण किए गए खाद्य और गैर-खाद्य पदार्थों को ही संगरोध में रखे गए व्यक्तियों द्वारा उपयोग करने की अनुमति दें.

रिपोर्टों का अध्ययन करने की अपील
उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक इन मौतों के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल जाता, तब तक पुलिस और स्वास्थ्य पेशेवरों को निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार अपनी जांच जारी रखनी चाहिए. उन्होंने उनसे राष्ट्रीय निदान संस्थानों से प्राप्त रिपोर्टों का अध्ययन करने का भी आग्रह किया, जिन्होंने गांव से नमूने लिए थे. साथ ही उन्होंने उन्हें इन ग्रामीणों के जीवन की रक्षा के लिए हर संभव उपाय करने का निर्देश दिया, जब तक कि विष विज्ञान रिपोर्ट इन मौतों के वास्तविक कारणों को इंगित नहीं करती.

उन्होंने पुलिस विभाग की गठित एसआईटी और गृह मंत्रालय की ओर से भेजी गई मंत्रिस्तरीय टीम सहित अन्य जांच एजेंसियों द्वारा अब तक किए गए कार्यों का भी संज्ञान लिया. उन्होंने विशेषज्ञों से संभावित निवारक उपायों के बारे में जानकारी ली, जो आगे के नुकसान को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा सकते हैं.

स्वास्थ्य और चिकित्सा सचिव डॉ सैयद आबिद रशीद शाह ने बैठक में बताया कि परिवारों को अलग-थलग करने और उनकी जांच के बाद उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराने के लिए हर संभव उपाय किए गए हैं. साथ ही किसी भी व्यक्ति में दिखाई देने वाले लक्षणों की निगरानी रखने के लिए स्वास्थ्य दल वहां तैनात हैं. उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय पीएचसी/सीएचसी को तैयार स्थिति में रखा गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी भोजन या खाद्य पदार्थ का आदान-प्रदान न हो क्योंकि परिवारों को उनके घरों से हटा दिया गया था और उनके जीवन की सुरक्षा के लिए निरंतर निगरानी में रखा गया था.

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