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एनसीईआरटी की नई किताब से गोधरा-बाबरी गायब, डायरेक्टर ने बताई ये वजह - Revised NCERT Textbook

Revised NCERT Textbook : एनसीईआरटी की 12वीं की संशोधित किताब बाजार में आ गई है. किताब से बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों से जुड़ी चीजें हटा दी गई हैं. इसे लेकर एनसीईआरटी के डायरेक्टर का कहना है कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में पढ़ाने से नागरिकों पर 'सकारात्मक' प्रभाव नहीं पड़ेगा.

Revised NCERT Textbook
Etv Bharat (File Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 16, 2024, 5:42 PM IST

Updated : Jun 16, 2024, 10:13 PM IST

हैदराबाद :नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की नई किताब में बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों से जुड़े संदर्भ हटा दिए गए हैं. इसे लेकर एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी का बयान भी सामने आया है.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 'पिछले सप्ताह जारी एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान की अपडेट किताब में बाबरी मस्जिद का नाम हटा गया दिया है और इसे 'तीन-गुंबद वाली संरचना' कहा है. संशोधित पाठ्यपुस्तक में अयोध्या प्रकरण दो पेज तक सीमित कर दिया गया है. मस्जिद के विध्वंस के कई संदर्भ हटा दिए गए हैं.

अयोध्या प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण विवरण जिन्हें हटा दिया गया है, उनमें राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्थकों को जुटाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली भाजपा की रथ यात्रा, बाबरी मस्जिद को गिराने में कार सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका, मस्जिद के बाद सांप्रदायिक दंगे शामिल हैं. इसके बजाय यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्रित है जिसने उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जहां दिसंबर 1992 में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा गिराए जाने से पहले विवादित ढांचा खड़ा था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देश में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था. मंदिर में राम मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा इसी वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी. कुछ ऐसा ही गुजरात दंगों को लेकर है. किताब में कई चीजें हटा दी गई हैं.

'दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए' :किताब में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर एनसीईआरटी के डायरेक्टर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति.'

पीटीआई के साथ बातचीत में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि 'पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा हैं और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए.' गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति.'

'बदलावों को लेकर हो-हल्ला अप्रासंगिक' :सकलानी ने कहा कि 'क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बन जाएं? क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें इतने छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए... जब वे बड़े होंगे तो वे इसके बारे में जान सकते हैं लेकिन स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से क्यों? जब वे बड़े हों तो उन्हें समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ. बदलावों को लेकर हो-हल्ला अप्रासंगिक है.'

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Last Updated : Jun 16, 2024, 10:13 PM IST

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