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अवध ओझा ने क्यों ज्वाइन की आम आदमी पार्टी? ईटीवी भारत को बताया, पढ़िए पूरा इंटरव्यू - AWADH OJHA EXCLUSIVE INTERVIEW

आम आदमी पार्टी ने पटपड़गंज विधानसभा से इस बार अवध ओझा को टिकट दिया है. ईटीवी भारत संवाददाता धनंजय ने उनसे खास बातचीत की.

Awadh Ojha Exclusive Interview
Awadh Ojha Exclusive Interview (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 19, 2025, 4:01 PM IST

Updated : Jan 19, 2025, 4:07 PM IST

नई दिल्ली:पटपड़गंज से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी और मशहूर शिक्षक अवध ओझा इन दिनों खासा चर्चा में हैं. आए दिन सोशल मीडिया पर उनकी बात हो रही है. इसके साथ ही, सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले अवध ओझा के राजनीति में उतरने के बाद गैर-राजनीतिक लोगों की नजरें भी उनपर टिकी हुई हैं. उनकी तैयारी और विजन को लेकर ईटीवी भारत ने उनसे बातचीत की, जिसे लेकर उन्होंने कई चौंकाने वाले भी जवाब दिए. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

सवाल: आपने राजनीति में आने का निर्णय कैसे लिया?

जवाब: महात्मा गांधी, सीआर दास समेत बड़े-बड़े वकील राजनीति में आए. वर्ष 1920 के आसपास वह एक सुनवाई के 50 हजार रुपये लेते थे. इतना सब होने के बाद भी वे राजनीति में आए क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि आज देश को पढ़े लिखे लोगों की जरूरत है. जो पढ़ा लिखा तबका है वह दूरदर्शी होता है. वह विजिनरी होता है. उन्हें पता होता है कि देश को क्या जरूरत है, जैसे मेरे पिता को पता था. उन्होंने खेत पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि खेत बेचकर पढ़ाने को कहा. हमारे गांव में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके पास बहुत जमीन है लेकिन उनका कहना ये होता था कि बच्चों को बढ़ा देंगे तो कौन सा वो गवर्नर हो जाएंगे. यही होता है विजन का होना और न होना. जब विजनरी नेता देश में आएगा तो देश का विकास होगा.

शिक्षाविद और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा से खास बातचीत (ETV Bharat)

सवाल: राजनीति में आने से पहले आम आदमी पार्टी में किससे बात हुई थी मनीष सिसोदिया या अरविंद केजरीवाल?

जवाब:हमारी पहले से किसी भी नेता से बात नहीं हुई थी. हमारे एक दोस्त अमेरिका में रहते हैं उनका मेरे पास फोन आया था. उन्होंने कहा कि राजनीति की देवी आपके दरवाजे पर खड़ी हैं. तो मैने कहा कि मैं दरवाजा खोल देता हूं. इसके बाद मेरी अरविंद केजरीवाल से मुलाकात हुई. अरविंद केजरीवाल ने मुझसे ये नहीं कहा कि राजनीति करिए. उन्होंने मुझसे कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मुझे आपसे कुछ आशा है और मैं चाहता हूं कि आप हमारे साथ आएं. मैंने तुरंत हां कर दी. मुझे पार्टी ने चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी है, तो मैं चुनाव लड़ रहा हूं.

सवाल:जिस तरह से परीक्षा से पहले विद्यार्थियों में घबराहट होती है, क्या चुनाव को लेकर अवध ओझा कुछ घबराहट महसूस कर रहे हैं?

जवाब: जिस आदमी को लड़ने की कला पता है, उसके लिए कुछ चुनौती नहीं होती है. हम कौन सा राजा परिवार में पैदा हुए थे. हमारे पिता क्लर्क थे. उन्होंने हमसे कहा कि संघर्ष को अपनी मौज बना लो, दुनिया की कोई चुनौती तुम्हें तोड़ नहीं पाएगी. ये सब तो छोटी मोटी चुनौतियां हैं. अगर ये मुझे विचलित करने लगेंगी तो जीवन कैसे चलेगा. ये तो शुरुआत है. कोई घबराहट नहीं है. लेकिन, एक बात को लेकर मैं कभी-कभी सोचता हूं कि जिस उद्देश्य को लेकर राजनीति में आया हूं, उस उद्देश्य को लेकर मैं बहुत ज्यादा जागरूक रहता हूं कि.

सवाल: राजनीति में आने के बाद आपने शिक्षा को लेकर क्या कोई रोडमैप तैयार किया है?

जवाब: मैं चाहता हूं कि ध्यान, योग और गीता ये तीन चीज स्कूलों में अनिवार्य की जाए, लेकिन पब्लिक की अनुमति से. हम लोगों को बताएं कि गीता क्यों पढ़नी चाहिए. जैसे गीता में सूत्र दिया गया है कि विवेक कैसे बढ़ता है. दुनिया में कोई स्कूल-कॉलेज दावा नहीं कर सकता है कि वे विवेक बढ़ा सकते हैं. गीता में बताया गया है कि जो सेवा करेगा उसका अहंकार घटेगा, अगर विवेक बढ़ाना है तो अहंकार कम कर लो. गीता में इंद्री संयम का सूत्र भी बताया गया है, जिसका विवेक बढ़ गया वह इंद्रियों का स्वामी हो जाएगा.

सवाल: राजनीति में आने के बाद अब तक का सफर कैसा है. लोग कितना प्रभावित हो रहे हैं और उनकी प्रतिक्रिया कैसी आ रही है?

जवाब:मैं पथ प्रदर्शक हूं. मैं तो लड़कों को मोटीवेशन के लिए बोलता हूं कि शरीर पर ध्यान तो एक्सरसाइज करो, योग करो और ताकतवर बनो. ताकतवर शरीर को मोटीवेशन की जरूरत नहीं होती है. जंगल के शेर को किसी मोटीवेशन की जरूरत नहीं होती है. मोटीवेशन की हिरण को जरूरत है. परमात्मा की असीम कृपा है. हर घर से बच्चे जुड़ गए हैं. वहीं बच्चों के जरिए उनके मां बाप भी हमसे जुड़ रहे हैं. लोग आते हैं और बोलते हैं भैया हमारे बच्चे आपके वीडियो देखते हैं और हमे भेजते हैं. जब इस तरह लोग मिल रहें हैं तो उत्साह बढ़ना स्वाभाविक है.

सवाल: जिन युवाओं को आपने पढ़ाया है क्या उनका भी सपोर्ट आपको प्रचार प्रसार व अन्य चीजों में मिल रहा है?

जवाब:बहुत से युवा हमारे लिए प्रचार प्रसार में लगे हैं, जिन्हें हमने पढ़ाया है. कुछ युवा नौकरी से छुट्टी लेकर आए हैं जो चुनाव प्रचार में हमारे लिए काम कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से आए बच्चे हमारे लिए प्रचार प्रसार का काम कर रहे हैं. निश्चित तरूप से इसका फायदा हमें दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिलेगा.

सवाल: चुनावी प्रचार और शिक्षा, दोनों को कैसे मैनेज करते हैं. फिलहाल दोनों में से किस चीज पर प्रभाव पड़ रहा है?

जवाब: मेरा एक रूटीन है कि घंटा दो घंटा जरूर पढ़ना है. चुनाव की व्यस्तता के कारण अभी थोड़ा कम वक्त मिल रहा है. फिर भी मेरे बेडरूम में रामचरित मानस, पॉवर ऑफ नाओ व अन्य किताबें रखी हुई हैं. दुनिया में सब छोड़ सकते हैं, लेकिन किताब नहीं छोड़ सकते हैं. मेरी स्थिति ऐसी थी कि मांगने पर कोई भीख न देता. मेरी जिंदगी बदली है इन शिक्षा ने इन किताबों ने. इनकों कभी नहीं छोड़ सकते हैं.

सवाल: दिल्ली के पटपड़गंज विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं यहां के युवाओं के मोटिवेशन के लिए आपने कुछ घोषणा की है. ये क्या है?

जवाब: चुनाव के बाद हम एक संस्था स्थापित करेंगे जहां पर काउंसलिंग की जाएगी. इसमें ऑनलाइन क्लासेज दी जाएगी. मुख्यतः काउंसलिंग की जाएगी कि क्या पढ़ना चाहिए कैसे पढ़ना चाहिए क्यों पढ़ना चाहिए. जैसे कोई बच्चा नीट की तैयारी कर रहा है तो उसे बताया जाएगा कि पहले चरण में क्या तैयारी करनी चाहिए क्या पढ़ना चाहिए और दूसरे चरण में क्या करना है. कुछ परीक्षाओं के लिए कोचिंग भी दी जाएगी. पटपड़गंज के युवाओं के लिए ये सुविधा फ्री होगी.

सवाल: राजनीति को लेकर देश के युवाओं से क्या कहना चाहेंगे, राजनीति को ध्यान में रखकर युवा क्या करें ?

जवाब:युवाओं से कहेंगे खूब पढ़ो और सुभाष चंद्र बोस की तरह बनो. आईएएस क्वालीफाई करो और फिर राजनीति करो. देश की मुख्यधारा में आओ. ये देश तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है. अगर तुम किसी का इंतजार करोगे तो कभी-कभी इंसान इंतजार ही करता रह जाता है और मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है. आज शिक्षित युवाओं की इस देश को जरूरत है.

सवाल: दिल्ली की राजनिति में फ्री की योजनाओं पर राजनीति हो रही है. हालांकि पहले अरविंद केजरीवाल ने इस तरह की योजना की शुरुआत की. क्या अब दिल्ली की राजनीति फ्री की चीजों पर होगी?

जवाब: एक नामी कंपनी की पानी की बोतल खूब चली तो लोग उसके नाम में थोड़ा परिवर्तन कर दूसकी पानी की बोतल ले आए. लेकिन वह नहीं चली. तो नकल करने से कुछ नहीं होता. जब भाजपा को फ्री की राजनीति करनी थी तो उन राज्यों में करते जहां पर उनकी सरकार है. कितना सकारात्मक संदेश जाता. दिल्ली के लोगों को दिल्ली की बहनों को अपने भाई अरविंद केजरीवाल पर बहुत भरोसा है. वह उनका साथ नहीं छोड़ेंगे.

सवाल:दिल्ली के लिए भाजपा ने सीएम चेहरा नहीं पेश किया है. इसे आप लोग बिन दूल्हे की बारात बता रहे हैं. इसपर क्या कहेंगे?

जवाब:जब पता है कि दूल्हा अरविंद केजरीवाल बन रहे हैं तो डबल दूल्हा लाने की क्या जरूरत है. उनकी समझ देखिए, इसे विवेक कहते हैं. उन्हें पता है कि दूल्हा लाने का कोई फायदा नहीं है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल 60 से अधिक सीट लाकर फिर से मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. ऐसे में भाजपा ने दिल्ली के लिए सीएम का चेहरा पेश नहीं किया.

सवाल: कई राज्यों में भाजपा ने पीएम मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, बताया जा रहा है कि दिल्ली में भी यही तरीका भाजपा अपना रही है. इसपर क्या कहेंगे?

जवाब: जब ऐसा है तो प्रधानमंत्री के नाम पर भाजपा अयोध्या क्यों हार गई. वहां तो ज्यादा वोट मिलना चाहिए था. मैं यही कहना चाहता हूं कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से बड़ा कोई चेहरा नहीं है. अरविंद केजरीवाल फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

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Last Updated : Jan 19, 2025, 4:07 PM IST

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