नई दिल्ली: रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा के बाद से ही दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि भाजपा ने आखिर अपने छह बार, लगातार चार बार, तीन बार और दो बार के कई विधायकों को छोड़कर के पहली बार विधायक बनीं नेता रेखा गुप्ता को ही मुख्यमंत्री क्यों बनाया है, हालांकि लिस्ट लंबी है. आठ बार ऐसा हो चुका है, जब फर्स्ट टाइमर विधायक को सीएम बनने का मौका मिला.
राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगाई इसको लेकर कहते हैं कि इस बात की चर्चा होना ठीक है. लेकिन, यह पार्टी और संगठन का अपना निर्णय है. लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि अगर दिल्ली में पहली बार विधायक बनने वाले नेता के मुख्यमंत्री बनने की बात करें तो दिल्ली में जब भी सत्ता परिवर्तन हुआ है तब अधिकांश पहली बार विधायक बनने वाले नेता ही मुख्यमंत्री बने हैं.
आजादी के बाद से चली आ रही यह परंपरा
दिल्ली में यह परंपरा देश की आजादी के बाद 1952 में पहली बार दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने के साथ ही शुरू हुई थी और अब तक जारी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के आठवीं विधानसभा के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है और उसके बाद रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही यह परंपरा कायम रही.
रेखा गुप्ता से पहले चौधरी ब्रह्म प्रकाश 1952 में, गुरमुख निहाल सिंह 1955 में, 1993 में मदनलाल खुराना, 1996 में साहिब सिंह वर्मा, 1998 में शीला दीक्षित, 2013 में अरविंद केजरीवाल और फिर सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री बनी आतिशी भी पहली बार की ही विधायक थीं. अगर हम देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दिल्ली में वर्ष 1952 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो उस समय भी पहली बार विधायक बने चौधरी ब्रह्म प्रकाश को ही मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था.
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चौधरी ब्रह्म प्रकाश: दिल्ली में आजादी के बाद पहली बार हुए वर्ष 1952 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने देशबंधु गुप्ता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था. लेकिन, इस दौरान विमान दुर्घटना में उनके निधन के बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया. चौधरी ब्रह्म प्रकाश भी उस समय पहली बार ही विधायक बने थे और उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था.
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गुरमुख निहाल सिंह: 1955 में चौधरी ब्रह्म प्रकाश के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बने गुरमुख निहाल सिंह भी 1952 में ही पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. पहले उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था. फिर चौधरी ब्रह्म प्रकाश के बाद उन्हें 13 फरवरी 1955 से 31 अक्टूबर 1956 तक दिल्ली का दूसरा मुख्यमंत्री रहने का मौका मिला. हालांकि, गुरमुख निहाल सिंह के बाद दिल्ली में फिर विधानसभा भंग कर दी गई और 36 साल तक दिल्ली बिना विधानसभा के रही.
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मदनलाल खुराना: वर्ष 1993 में एक बार फिर से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ और फिर से विधानसभा चुनाव हुए. इसमें भाजपा को 49 सीट के साथ पूर्ण बहुमत मिला और मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया गया. उस दौरान मदनलाल खुराना मोती नगर सीट से चुनाव जीत कर पहली बार ही विधायक बने थे.
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साहिब सिंह वर्मा: एक भ्रष्टाचार के आरोप में मदनलाल खुराना ने वर्ष 1996 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया. साहिब सिंह वर्मा भी 1993 में शालीमार बाग विधानसभा सीट से जीतकर पहली बार ही विधायक बने थे.
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शीला दीक्षित: वर्ष 1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री बनाया गया. शीला दीक्षित भी उस दौरान पहली बार ही विधानसभा पहुंची थीं. हालांकि, उससे पहले वह उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोकसभा सांसद रहते हुए राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी थीं. लेकिन, उन्हें मुख्यमंत्री का पद जब मिला तो वह पहली बार की ही विधायक थीं. इसके बाद वह लगातार 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.
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अरविंद केजरीवाल: दिल्ली में लगातार 15 साल तक कांग्रेस की सरकार रहने के बाद जब 2013 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तब शीला दीक्षित को नई दिल्ली सीट से केजरीवाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. 2013 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इससे दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस के ही सहयोग से केजरीवाल पहली बार दिल्ली के सीएम बने. यह केजरीवाल का भी पहला ही विधानसभा चुनाव था, जिसमें वह पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे. इसके बाद लगातार दो बार केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
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आतिशी: सितंबर 2024 में जब शराब घोटाले के आरोप में केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए प्रतिबंध लगा दिए तो उसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया. आतिशी भी 2020 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर कालकाजी सीट से विधायक बनी थीं. ऐसे में पहली बार की ही विधायक आतिशी को भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
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रेखा गुप्ता: दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के दौरान बरसों से चली आ रही परंपरा को साल 2025 में एक बार फिर भाजपा ने कायम रखते हुए पहली बार की ही विधायक रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाया. वह भी शालीमार बाग विधानसभा सीट से पहली बार ही जीतकर विधायक बनी हैं.
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