नई दिल्ली:आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कारण, राजधानी में नई सरकार बनी. आतिशी ने शनिवार को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इसके साथ ही वह दिल्ली में भाजपा की सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाली तीसरी महिला बन गईं. आतिशी के अलावा पांच विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. आइए जानते हैं दिल्ली की नई सरकार के बारे में...
- आतिशी का राजनीतिक सफर
2013 में राजनीति में रखा कदम: 2013 में AAP में शामिल हुईं और वह शिक्षा संबंधी नीतियों पर सरकार की सलाहकार के रूप में काम करती रहीं. 2019 में उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा. उन्होंने पूर्वी दिल्ली से भाजपा के गौतम गंभीर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि तब वह असफल रही थीं. सक्रिय राजनीति में आने से पहले आतिशी ने अपना उपनाम मार्लेना (जो मार्क्स और लेनिन का प्रतीक था) हटा दिया था, क्योंकि वह चाहती थीं कि उनकी राजनीतिक संबद्धता को गलत तरीके से न समझा जाए. 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह कालकाजी से विधायक चुनी गईं.
तेजी से पूरी करनी होगी योजनाएं:आतिशी का शीर्ष पद पर पहुंचना आम आदमी पार्टी के सफर के अहम मोड़ पर हुआ है, जब पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की तलाश कर रही है. ऐसे में उन्हें लोक कल्याण के लिए लंबित नीतियों और योजनाओं को तेजी से पूरा करना होगा, जिसमें मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 और सेवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी जैसी योजनाएं शामिल हैं.
कर चुकी हैं प्रमुख विभागों का नेतृत्व: हालांकि, आतिशी के लिए ऐसी परिस्थितियों से जूझना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वह तब कैबिनेट में शामिल हुई थीं, जब CBI ने शराब घोटाले में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद आतिशी, सौरभ भारद्वाज के साथ दिल्ली सरकार में शामिल हुई थीं. 43 वर्षीय आतिशी ने केजरीवाल सरकार में वित्त, राजस्व, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग सहित 13 प्रमुख विभागों का नेतृत्व किया. इसके बाद उनको विधायक दल की बैठक के दौरान उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता (मुख्यमंत्री) चुना गया था.
- कैलाश गहलोत:
वर्तमान में कैलाश गहलोत के पास दिल्ली सरकार कई महत्वपूर्ण विभाग हैं. 50 वर्षीय विधायक, ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और पार्टी के एक प्रमुख जाट नेता हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री पूरी करने वाले कैलाश गहलोत के पास परिवहन, महिला एवं बाल विकास, गृह और आईटी जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं. वहीं, उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ उनके अच्छे संबंध हैं. उन्हें ही केजरीवाल की अनुपस्थिति में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए एलजी ने नामित किया था. जबकि, अरविंद केजरीवाल ने तिरंगा फहराने के लिए आतिशी के नाम की सिफारिश की थी. लेकिन एलजी ने कैलाश गहलोत को चुना था, क्योंकि उनके पास गृह विभाग है.
2015 में पहली बार जीते: उन्होंने 2015 और 2020 में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दो बार जीत हासिल की. 2015 में जहां उन्होंने केवल 1,555 वोट से जीत हासिल की थी. वहीं, 2020 में उन्होंने न सिर्फ अपनी स्थिति मजबूत की, बल्कि जीत के अंतर को 6,231 वोटों तक बढ़ा दिया. साथ ही साथ लगातार दो बार सीट से जीतने का गौरव भी हासिल किया. 2017 में कपिल मिश्रा के इस्तीफे के बाद उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था.
कई योजनाओं का जाता है श्रेय: उन्हें दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन नीति और बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा के अलावा, फेसलेस परिवहन सेवाओं की शुरुआत सहित कई अन्य पहलों को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है. साल 2023 में सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद कुछ समय के लिए उन्हें वित्त विभाग भी दिया गया था. यहां तक कि वह दिल्ली का 2023-24 का बजट भी पेश कर चुके हैं. कैलाश गहलोत को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जो राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और कीचड़ उछालने से दूर रहता है और अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखता है.
- गोपाल राय: दिल्ली में नई AAP सरकार में पार्टी का पूर्वांचली चेहरा
बाबरपुर क्षेत्र से दो बार के विधायक गोपाल राय को आतिशी की अध्यक्षता वाली नई मंत्रिपरिषद में बरकरार रखा गया है. गोपाल राय पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के लंबे समय से सहयोगी और AAP के संस्थापक सदस्य हैं. वह उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से हैं और पार्टी का पूर्वांचली चेहरा हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय से ली शिक्षा: गोपाल राय एक छात्र के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे. वह भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दों पर अभियान चला रहे थे. उन्हें गोली भी लगी, जिसके चलते उन्हें आंशिक पक्षाघात भी सामना करना पड़ा. 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और केजरीवाल के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में शामिल हुए. इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए.
2013 में लड़ा पहला चुनाव: अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करते हुए गोपाल राय ने 2013 के विधानसभा चुनावों में बाबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जिसमें वह जीत दर्ज करने में असफल रहे. वहीं, 2015 और 2020 में लगातार बाबरपुर सीट जीतकर वह केजरीवाल सरकार में शामिल हो गए. 2015 में वह पहली बार मंत्री बने, उन्हें परिवहन और श्रम विभाग का प्रभार दिया गया था. 2017 में उन्हें आम आदमी पार्टी दिल्ली इकाई का संयोजक नियुक्त किया गया था और तब से वह इसी पद पर हैं. वह 2020 में बनी निवर्तमान केजरीवाल सरकार में पर्यावरण एवं वन, विकास और सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री बने.
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