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"वोटों की संख्या शेयर करने से कर रहे इनकार", केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर पारदर्शिता को लेकर लगाए गंभीर आरोप - DELHI ELECTIONS 2025

चुनाव आयोग पर अरविंद केजरीवाल का बड़ा आरोप, कहा चुनाव आयोग नहीं बरत रहा पारदर्शिता

केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर पारदर्शिता नहीं बरतने का लगाया आरोप
केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर पारदर्शिता नहीं बरतने का लगाया आरोप (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 7, 2025, 5:36 PM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव आयोग पर पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप लगाया है. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि चुनाव आयोग ने कई अनुरोधों के बावजूद फॉर्म 17C और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर पड़े वोटों की संख्या को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है.

अरविंद केजरीवाल ने बताया कि उनकी पार्टी ने इस संबंध में खुद पहल करते हुए transparentelections.in नामक एक वेबसाइट बनाई है. इस वेबसाइट पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के फॉर्म 17C को अपलोड किया गया है, जिसमें हर बूथ पर डाले गए वोटों का पूरा ब्यौरा मौजूद है.उन्होंने आगे कहा कि दिनभर में पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र और प्रत्येक बूथ का डाटा तालिका के रूप में प्रस्तुत करेगी,जिससे हर मतदाता को पूरी जानकारी मिल सके. उन्होंने चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए कहा कि यह काम आयोग को पारदर्शिता के हित में स्वयं करना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यवश वे ऐसा करने से इनकार कर रहे हैं.

आम आदमी पार्टी ने यह भी दावा किया कि इस पहल से चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी. पार्टी नेताओं का कहना है कि मतदाताओं को यह जानने का पूरा अधिकार है कि उनके मतदान केंद्रों पर कितने वोट डाले गए और क्या वह आधिकारिक रूप से घोषित आंकड़ों से मेल खाते हैं.

फॉर्म 17सी मतदान के बाद प्रत्येक मतदान केंद्र पर तैयार किया जाने वाला एक आधिकारिक दस्तावेज होता है, जिसमें कुल पड़े मतों का उल्लेख किया जाता है. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि चुनाव आयोग द्वारा इसे सार्वजनिक ना करना संदेह पैदा करता है और इससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं. इस मामले पर चुनाव आयोग की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चुनाव आयोग इन आंकड़ों को सार्वजनिक करता है तो इससे मतदाताओं का चुनावी प्रक्रिया में विश्वास और अधिक मजबूत होगा.
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