लखनऊ:भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से हर साल दिए जाने वाले ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा शनिवार को की गई. 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 के लिए दो लोगों के नाम की घोषणा की गई. इसमें जगतगुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलजार का नाम शामिल है. कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में इस पर निर्णय लिया गया.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 को सांडीखुर्द जौनपुर उत्तर प्रदेश में हुआ. इनके पिता का नाम पंडित राजदेव मिश्रा और माता का नाम शची देवी मिश्रा था. जगद्गुरु रामभद्राचार्य का असली नाम गिरधर मिश्र है. जो आगे चलकर रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य के नाम से प्रसिद्ध हुए. जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज जब केवल दो माह के थे, तभी आंखों की रोशनी चली गई थी. कहा जाता है कि उनकी आंखें ट्रेकोमा से संक्रमित हो गई थीं. इस कारण उनकी शिक्षा-दीक्षा नहीं हो सकी और केवल सुनकर ही सीखते गए. वह रामानंद संप्रदाय के वर्तमान में चार जगत गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं. इस पद पर वह 1988 से प्रतिष्ठित हैं.
रामानंदाचार्य महाराज ने बचपन से ही दृष्टिहीन होने के बाद भी 80 से अधिक ग्रंथ की रचना की. इतना ही नहीं उनमें सीखने की ललक ऐसी थी कि उन्होंने केवल आम लोगों की बातें सुनकर करीब 22 से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया. जन्म से ही दृष्टिहीन होने के बावजूद भी जगतगुरु रामभद्राचार्य को रामचरितमानस, गीता, वेद, उपनिषद, वेदांत आदि कंठस्थ है. वह धर्म चक्रवर्ती तुलसी पीठाधीश्वर के तौर पर भी जाने जाते हैं. इनकी पहचान एक शिक्षक के तौर पर होने के साथ ही संस्कृत के विद्वान, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, गायक, नाटककार, बहुभाषाविद के रूप में है. मौजूदा समय वह तुलसी पीठ चित्रकूट में निवास करते हैं. जगद्गुरु रामभद्राचार्य 4 साल की उम्र से ही कविता पाठ करने लगे थे. 8 साल की छोटी सी उम्र में ही भागवत व राम कथा करना शुरू कर दिया था.
राम जन्मभूमि मामले में दी थी गवाही