अमृतसर: पंजाब पुलिस ने मंगलवार सुबह खालिस्तान समर्थक सांसद और असम की जेल में बंद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह को उनके गांव जल्लूपुर खेड़ा में घर में नजरबंद कर दिया. तरसेम सिंह ने आज मोहाली में चल रहे बंदी सिखों की रिहाई के लिए विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा की थी.
नजरबंद किए गए लोगों में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान भी शामिल हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता इकबाल सिंह तिवाना के अनुसार, उन्हें फतेहगढ़ साहिब के तलानियां में उनके आवास तक ही सीमित रखा गया था. तिवाना ने कहा कि पंजाब पुलिस द्वारा मोहाली में लोगों को इकट्ठा होने से रोकने के कार्रवाई की गई. जहां विभिन्न सिख संगठन कैद सिखों की रिहाई और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने वाले थे. उन्होंने गिरफ्तारियों की निंदा करते हुए कहा आगे की कार्रवाई तय करने के लिए जल्द बैठक आयोजित की जाएगी.
अमृतपाल सिंह की नई पार्टी:अमृतपाल की अनुपस्थिति में, उनके पिता तरसेम सिंह उनकी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने हाल ही में माघी मेले में एक नए राजनीतिक दल के गठन की घोषणा की थी. इसके अलावा, उन्होंने मोहाली में हो रहे 'कौमी इंसाफ मोर्चा' में अपने समर्थकों के साथ शामिल होने की बात कही थी, जो बंदी सिखों की रिहाई की मांग कर रहा है.
'पुलिस ने पूरे गांव को घेर लिया'तरसेम सिंह ने कहा आज सुबह जैसे ही वो मोहाली जाने की तैयारी कर रहे थे, पुलिस ने जल्लूपुर खेड़ा गांव को घेर लिया और भारी नाकाबंदी कर दी. पुलिस ने तरसेम सिंह और उनके परिवार को घर में नजरबंद कर दिया.
इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तरसेम सिंह ने एक वीडियो जारी कर भगवंत मान सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गांव में आतंक का माहौल बनाया जा रहा है. तरसेम सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें मोहाली में हो रहे कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन पुलिस ने उन्हें गांव में ही नजरबंद कर दिया. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में मोर्चे पर पहुंचकर उनका समर्थन करें और जेल में बंद सिखों के अधिकारों की रक्षा करें.
वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे अपने अधिकारियों के आदेशों का पालन कर रहे हैं और उन्हें जो आदेश मिले हैं, उसके अनुसार ही कार्रवाई कर रहे हैं. बता दें कि 'कौमी इंसाफ़ मोर्चा' 7 जनवरी, 2023 से चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है. इस मोर्चे की मुख्य मांगें हैं उन सिख कैदियों की रिहाई जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है और गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं में शामिल लोगों को न्याय मिले.
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