नई दिल्ली:कृषि विशेषज्ञों ने टमाटर, प्याज और आलू जैसे फसलों की गिरती कीमतों से निपटने के लिए वास्तविक समय डेटा प्रणाली, गोदाम और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में सुधार पर जोर दिया है. कृषि विशेषज्ञ और धर्मेंद्र मलिक ने ईटीवी भारत से कहा, "मांग और आपूर्ति के आकलन के लिए कोई वास्तविक समय का डेटा नहीं है, जिसका किसानों की उपज पर असर पड़ता है. अगर सरकार वास्तविक समय के आंकड़ों के जरिए निगरानी करे तो उन्हें फसलों के उत्पादन का बेहतर परिणाम मिलेगा."
कृषि विशेषज्ञ नरेश सिरोही ने ईटीवी भारत से कहा, "सब्जी और फल उत्पादक किसानों को बचाने के लिए सरकार को खाद्य प्रौद्योगिकी प्रौद्योगिकियों और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. यदि सरकार को लगता है कि शीर्ष फसलों की कीमतों में गिरावट आ रही है, तो उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए और किसानों से इन कृषि-उत्पादों को खरीदना चाहिए, ताकि उन्हें बचाया जा सके. सरकार इन उत्पादों का उपयोग खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में कर सकती है, ताकि उन्हें पैकेजिंग प्रणाली में विभिन्न रूपों में विकसित किया जा सके."
विशेषज्ञों के सुझावः सरकार को किसानों की सहायता के लिए फसलों की गिरती कीमतों से निपटने के लिए वास्तविक समय के आंकड़ों, गोदामों और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में सुधार करना चाहिए. बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के परिवहन घटक को लागू करने के सरकार के हालिया फैसले पर कहा कि इस योजना के तहत जहां उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच शीर्ष फसलों की कीमत में अंतर है. उत्पादक राज्य से अन्य उपभोक्ता राज्यों में फसलों के भंडारण और परिवहन में होने वाली परिचालन लागत को उत्पादक राज्यों के किसानों के हित में नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) को प्रतिपूर्ति की जाएगी.
टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में टमाटर के लिए एमआईएस के परिवहन घटक को एनसीसीएफ के माध्यम से लागू करने की मंजूरी दे दी है. एनसीसीएफ जल्द ही परिवहन संचालन शुरू करने की व्यवस्था कर रहा है. उत्तर प्रदेश के किसान अमरपाल पाल ने ईटीवी भारत से कहा, "जब फसल अधिक होती है और कीमत कम होती है तो हमें नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में किसानों को सरकार से मदद की जरूरत है. किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी फसल खरीदकर उन्हें बचाने के लिए आगे आएगी."
नए गोदाम की जरूरत: आंकड़ों के अनुसार, जुलाई, 2023 तक भारतीय खाद्य निगम के पास केंद्रीय पूल के खाद्यान्नों के भंडारण के लिए 371.93 LMT की क्षमता वाले 1923 गोदामों (स्वामित्व/किराए पर) का नेटवर्क है. देश में खाद्यान्न भंडारण क्षमता की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 31 मई, 2023 को सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी, जिसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है.