श्रीनगर: शहर के खानयार इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में एक आतंकी ढेर हो गया, वहीं दो पुलिसकर्मियों और दो सैनिक घायल हो गए हैं. कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक ने पुष्टि की कि एक आतंकवादी मारा गया और पुलिस तथा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो-दो जवान घायल हुए.
उन्होंने मारे गए आतंकवादी की पहचान मोस्ट वांटेड पाकिस्तानी आतंकवादी कमांडर उस्मान उर्फ छोटा वलीद के रूप में की. उन्होंने कहा कि वह नवंबर 2023 में इंस्पेक्टर मसरूर अहमद वानी की हत्या में शामिल था. उन्होंने कहा, "आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता के बारे में विस्तृत जांच पूरी होने के बाद ही पता चलेगा. सीआरपीएफ के दो और जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो कर्मियों को भी ऑपरेशन के दौरान मामूली चोटें आईं."
वहीं एक अधिकारी ने बताया कि घायलों को छर्रे लगे, क्योंकि छिपे हुए आतंकवादी ने आवासीय घर से सुरक्षा बलों की ओर ग्रेनेड फेंका. अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी के शव को बरामद कर लिया गया है और उसे मेडिकल लीगल औपचारिकताओं के लिए श्रीनगर के पुलिस नियंत्रण कक्ष में भेज दिया गया हैय उस्मान लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था. इस संगठन पर घाटी में गैर-स्थानीय प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है. मुठभेड़ के अंतिम चरण में, आवासीय घर में आग लगने से हवा में धुएं का बड़ा गुबार उठने लगा, जिससे काफी नुकसान हुआ.
घटनास्थल पर लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया है, क्योंकि किसी भी तरह के विस्फोट से बचने के लिए इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. दिन में गोलीबारी और विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं, जिससे इलाके में दुकानें बंद हो गईं और वाहनों का आवागमन वैकल्पिक मार्गों से किया गया. सुरक्षा बलों को आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर श्रीनगर के खानयार में तलाशी अभियान के दौरान सुबह-सुबह मुठभेड़ शुरू हो गई थी. छिपे हुए आतंकवादी ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जिस आवासीय घर में आतंकवादी फंसा हुआ था, वह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के एक मारे गए आत्मघाती हमलावर के भाई का है. खानयार के 12वीं कक्षा के युवा छात्र अफाक शाह ने 2002 में श्रीनगर के बादामी बाग छावनी में मारुति 800 कार में विस्फोट किया था और कश्मीर के तीन दशक लंबे उग्रवाद में पहला स्थानीय आत्मघाती हमलावर बन गया था. श्रीनगर के बीचोबीच हुआ यह हमला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले सत्र से दो दिन पहले और बडगाम में दो गैर-स्थानीय कार्यकर्ताओं पर आतंकवादियों द्वारा हमला किए जाने के कुछ घंटों बाद हुआ है.