प्रयागराज:प्रोन्नत वेतनमान के लिए करीब 43 साल की कानूनी लड़ाई के बार रेलवे कर्मी को आखिरकार न्याय मिल सका. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर-मध्य रेलवे प्रयागराज के कर्मचारी मलिक हाफिज उद्दीन की 13 जनवरी 1981 में मैटीरियल क्लर्क पद पर प्रोन्नति देने के निचली अदालतों के फैसले को सही करार देते हुए रेलवे और केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी.
श्रम अदालत ने रेलवे कर्मी को 1981से प्रोन्नत मानते हुए वेतन भुगतान करने का अवार्ड दिया था. इसे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण इलाहाबाद ने भी सही माना. मगर केंद्र सरकार और रेलवे ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने श्रम अदालत के निष्कर्ष को सही करार देते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और भारत संघ की याचिका खारिज कर दी.
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने भारत संघ व अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया. कर्मचारी के बेटे अधिवक्ता इरफान अहमद मलिक ने भारत सरकार की याचिका का विरोध किया. मलिक हाफिज उद्दीन 1967 मे रेलवे में खलासी नियुक्त हुए थे. और डिविजनल सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर प्रयागराज ने 13 जनवरी 1981 को उसे मैटीरियल क्लर्क पद पर पदोन्नति दी थी, लेकिन वेतन नहीं दिया गया.