देहरादून: दस मई को गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2024 की शुरुआत हो गई थी. 12 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुले थे. इन 13 दिनों में जहां 8 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने चारधाम में दर्शन किए हैं. तो वहीं इन 13 दिनों में 42 श्रद्धालुओं की चारधाम यात्रा के दौरान मौत भी हुई है.
उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार चारों धामों (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ) में 22 मई शाम साढ़े पांच बजे तक 42 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. आज बुधवार 22 मई को भी तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई. सबसे ज्यादा 19 मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं.
केदारनाथ धाम के बाद यमुनोत्री धाम में 12 श्रद्धालु, बदरीनाथ में 9 और गंगोत्री धाम में दो तीर्थयात्रियों की जान गई है. चारधाम यात्रा के दौरान जान गंवाने वाले सभी श्रद्धालुओं की उम्र 55 साल से ज्यादा बताई जा रही है. अधिकांश श्रद्धालुओं की मौत का कारण हार्ट अटैक और अन्य बीमारियां बताई जा रही हैं. चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की बढ़ती मौत का आंकड़ा सरकार के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. यही कारण है कि सरकार लगातार हेल्थ स्क्रीनिंग पर जोर दे रही है.
उत्तराखंड सरकार लगातार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं खासकर 55 साल से ज्यादा उम्र के तीर्थ यात्रियों से हेल्थ स्क्रीनिंग जरूर कराने की अपील कर रही है. साथ ही सरकार ही तरफ से कहा जा रहा है कि यदि डॉक्टर तीर्थ यात्रियों को चारधाम यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं देते हैं तो वो स्वस्थ होने के बाद ही यात्रा पर आएं. हालांकि, कुछ श्रद्धालु डॉक्टरों की सलाह को दरकिनार करते हुए सेल्फ रिस्क का फॉर्म भरकर चारधाम की यात्रा पर जा रहे हैं.
बता दें कि, यमुनोत्री धाम तक जाने के लिए तीर्थ यात्रियों को करीब 5 किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. केदारनाथ धाम की बात की जाए तो यहां भक्तों को बाबा के दर पर जाने के लिए करीब 16 किमी लंबा पैदल ट्रैक तय करना पड़ा है. ऐसे में पहाड़ी इलाकों और ठंड अधिक होने के कारण कई बार उम्रदराज और अन्य बीमारियों से ग्रस्त श्रद्धालुओं का शरीर जवाब दे जाता है, जिस कारण विपरित परिस्थितियों में उनकी मौत भी हो जाती है.