शिवपुरी.जिले के करैरा के ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया. बौद्ध धर्म अपनाने वालों को शपथ दिलाई गई कि वे हिंदू देवी-देवताओं को न मानेंगे और ना ही उनकी पूजा करेंगे. 40 दलित परिवारों के धर्म परिवर्तन के पीछे छुआछूत को वजह बताया जा रहा है. जबकि गांव के सरपंच का कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं. ग्रामीणों को बहलाफुसला कर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है.
शिव, राम, कृष्ण किसी को नहीं मानेंगे
ग्राम बहगवां से एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें जाटव समाज के लोगों को बौद्ध धर्म अपनाने के लिए शपथ दिलाई जा रही है. शपथ में ये कहने के लिए कहा जा रहा है कि हम शिव, राम, कृष्ण या हिंदू देवी-देवताओं को न मानेंगे और ना ही उनकी पूजा करेंगे. साथ ही यह भी शपथ दिलाई गई कि वे इस बात पर भरोसा नहीं करेंगे कि हिंदू धर्म में भगवान ने अवतार लिया या भगवान बुद्द विष्णु के अवतार हैं.
दलित परिवारों ने क्यों अपनाया बौद्ध धर्म?
जानकारी के अनुसार ग्राम बहगवां में लोगों ने साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन करवाया था। गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया. भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली. महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए, इसी क्रम में जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी.