नई दिल्ली: नेशनल डेंगू दिवस हर साल 16 मई को मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य मानव जाति को डेंगू बुखार के प्रति जागरूक करना है. डेंगू वायरस संक्रमित मादा मच्छरों खास कर एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है. डेंगू बीमारी गर्मी के दिनों में लोगों में फैलता है. जिससे कई बार मरीज की जान तक चली जाती है. आज हम इस खबर के माध्यम से लोगों को डेंगू के प्रति जागरूक करना चाहते हैं. 'डेंगू की रोकथाम: सुरक्षित कल के लिए हमारी जिम्मेदारी' थीम के साथ, भारत सरकार 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाएगी, जिसमें बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और निवारक उपायों को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा.
ईटीवी भारत के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल भारत में सामने आए डेंगू के कुल 94 हजार198 मामलों में से केरल में 9 हजार 770 मामले, कर्नाटक में 9 हजार185 और महाराष्ट्र में 8 हजार 496 डेंगू के मामले दर्ज किए गए. स्वास्थ्य मंत्रालय में आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई कुल 91 मौतों में से 37 मौतें केरल में और 14 मौतें उत्तराखंड में हुईं. ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, असम कुछ अन्य राज्य हैं जहां डेंगू के अधिकतम मामले सामने आए हैं.
राष्ट्रीय डेंगू दिवस का महत्व
डेंगू एक तेजी से उभरने वाला, फैलने वाला और मच्छर जनित वायरल बुखार है. यह एक गंभीर, फ्लू जैसी बीमारी है. हाल के वर्षों में कई राज्यों और नए इलाकों में बार-बार फैलने के साथ डेंगू की घटनाएं बढ़ रही हैं. वर्तमान में, लद्दाख को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं. यह एक वायरल बीमारी है जो एडीज एजिप्टी मच्छर के संक्रामक काटने से फैलती है. संक्रामक मच्छर द्वारा काटे जाने के 5-6 दिन बाद व्यक्ति को यह रोग हो जाता है. 2024 के लिए राष्ट्रीय डेंगू दिवस का विषय 'डेंगू रोकथाम: सुरक्षित कल के लिए हमारी जिम्मेदारी' है. यह दिन डेंगू के बारे में जागरूकता बढ़ाने और निवारक उपायों को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालता है. यह इस बीमारी को नियंत्रित करने और खत्म करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विचार करने का भी एक अवसर है.
भारत में पहली बार 1945 में डेंगू वायरस को आइसोलेट किया गया था. देश में डेंगू बुखार होने का पहला प्रमाण 1956 में तमिलनाडु के वेल्लोर जिले से मिला था. पहला डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) का प्रकोप 1963 में कोलकाता में हुआ था. पिछले दो दशकों के दौरान 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 35 (लक्षद्वीप को छोड़कर) में डेंगू के मामले सामने आए हैं. आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से डेंगू बुखार डीएचएफ के बार-बार फैलने की सूचना मिली है. हर साल जुलाई-नवंबर की अवधि के दौरान डेंगू/डीएचएफ के मामलों में वृद्धि देखी गई है. यह बीमारी मौसम के हिसाब से फैलता है. हालांकि, देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में राज्य बारह महीने संचरण की रिपोर्ट करते हैं.