ग्वालियर :शहर के गोपाल जी मंदिर पर हजारों की संख्या में श्रीकृष्ण भक्त उनकी 1 झलक पाने को इकट्ठा हुए हैं. वैसे तो यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां का माहौल मथुरा से कम नज़र नहीं आता. पूर देश में इस मंदिर के चर्चे यहां की अनोखी परंपरा की वजह से हैं. पिछले कई वर्षों से यहां जन्माष्टमी के दिन गोपाल जी का असली गहनों से भव्य शृंगार किया जाता है, जिनकी कीमत 100 करोड़ रु तक बताई जाती है.
मंदिर में जेवरों से श्रृंगार की परंपरा
इस मंदिर की परंपरा के अनुसार इस भव्य शृंगार का स्वरूप बहुत ही अलग है. मंदिरों में सोने चांदी के आभूषण तो भगवान पर कई जगह दिखाई देते हैं लेकिन ग्वालियर के गोपालजी मंदिर में साल में एक दिन जन्माष्टमी पर उनका श्रृंगार प्राचीन और बेशकीमती आभूषणों से किया जाता है. कहा जाता है कि इन आभूषणों में मंदिर में चढ़ाए गए और आभूषण भी जुड़ते चले जाते हैं और इनकी कीमत लगातार बढ़ती जाती है. वहीं यहां कुछ ऐसे दुर्लभ रत्न भी हैं, जो विश्व में शायद ही कहीं देखने मिलें.
सिंधिया राजवंश ने चढ़ाए थे आभूषण
जन्माष्टमी पर सोमवार को भी भगवान गोपाल जी और माता राधा रानी का वैसा ही भव्य श्रृंगार किया गया. उन्हें हीरा, पन्ना, माणिक और मोती से तैयार प्राचीन आभूषण पहनाकर तैयार किया गया जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक उनके मुकुट थे जिन पर पन्ना और हीरे रत्न जड़े हुए हैं. ग्वालियर नगर निगम के सभापति मनोज सिंह तोमर ने बताया, '' यह मंदिर लगभग सौ साल पुराना है जिसे आजादी से पहले सिंधिया रियासत के दौरान राजघराने द्वारा बनवाया गया था. और उसी दौरान सिंधिया राजवंश ने भगवान पर यह बेशकीमती आभूषण चढ़ाए थे.''