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مخبر کی پٹائی کی

قومی دارالحکومت دہلی کے اتم نگر علاقے میں غیر قانونی طور پر شراب بیچنے والے خاندان کی چند خواتین نے مخبر پر حملہ کردیا۔

غیر قانونی شراب بیچنے والوں نے مخبر کی پٹائی کی
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Published : Aug 14, 2019, 6:01 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 12:28 AM IST

ایکسائز انٹیلی جنس بیورو ٹیم کے ساتھ موقع پر پہنچے مخبر کی جم کر خواتین نے پٹائی کی۔
اطراف کے لوگوں نے موبائل پر پٹائی کا ویڈیو بھی بنایا لیکن کوئی بھی شخص سرکاری ٹیم کے بچاؤ میں آگے نہیں آیا۔

غیر قانونی شراب بیچنے والوں نے مخبر کی پٹائی کی

ٹیم کے ہیڈ کانسٹبل مہیش نے پولیس کو اپنی تحریری شکایت میں بتایا کہ 'وہ ایکسائز انٹیلی جنس بیورو کے ایل بلاک کے وکاس بھون آئی ٹی او میں ملازمت کرتے ہیں۔ انہیں مخبر سے اطلاع ملی تھی کہ اتم نگر کے اہستسال ویہارعلاقے میں غیرقانونی شراب رکھی گئی ہے۔

مخبر کی اطلاع پر ہیڈ کانسٹبل مہیش اپنے ساتھی کانسٹبل ارون اور مخبر کے ساتھ موقع پر پہنچے اور اطلاع کے مطابق اس پتے سے 14 پیٹی شراب بھی برآمد کی۔

اتم پورنگر پولیس اسٹیشن کے لینڈ لائن پر فون کرنے کے باوجود پولیس موقع پر نہیں پہنچی جب ایکسائز کی ٹیم اپنا کام کررہی تھی تب ہی غیر قانونی شراب بیچنے والے خاندان کی خواتین نے ان کی ٹیم کو گھیر لیا اور خوب پٹائی کی۔

تحریری شکایت کے مطابق ٹیم اور مخبر نے ملزمین کی شناخت راجا اور اس کی بیوی شوبھا، دیپک مہاجن، موہت اور ان کی بیوی کے طور پر کی ہے۔'

ایکسائز انٹیلی جنس بیورو ٹیم کے ساتھ موقع پر پہنچے مخبر کی جم کر خواتین نے پٹائی کی۔
اطراف کے لوگوں نے موبائل پر پٹائی کا ویڈیو بھی بنایا لیکن کوئی بھی شخص سرکاری ٹیم کے بچاؤ میں آگے نہیں آیا۔

غیر قانونی شراب بیچنے والوں نے مخبر کی پٹائی کی

ٹیم کے ہیڈ کانسٹبل مہیش نے پولیس کو اپنی تحریری شکایت میں بتایا کہ 'وہ ایکسائز انٹیلی جنس بیورو کے ایل بلاک کے وکاس بھون آئی ٹی او میں ملازمت کرتے ہیں۔ انہیں مخبر سے اطلاع ملی تھی کہ اتم نگر کے اہستسال ویہارعلاقے میں غیرقانونی شراب رکھی گئی ہے۔

مخبر کی اطلاع پر ہیڈ کانسٹبل مہیش اپنے ساتھی کانسٹبل ارون اور مخبر کے ساتھ موقع پر پہنچے اور اطلاع کے مطابق اس پتے سے 14 پیٹی شراب بھی برآمد کی۔

اتم پورنگر پولیس اسٹیشن کے لینڈ لائن پر فون کرنے کے باوجود پولیس موقع پر نہیں پہنچی جب ایکسائز کی ٹیم اپنا کام کررہی تھی تب ہی غیر قانونی شراب بیچنے والے خاندان کی خواتین نے ان کی ٹیم کو گھیر لیا اور خوب پٹائی کی۔

تحریری شکایت کے مطابق ٹیم اور مخبر نے ملزمین کی شناخت راجا اور اس کی بیوی شوبھا، دیپک مہاجن، موہت اور ان کی بیوی کے طور پر کی ہے۔'

Intro:पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ले अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक दिया लेकिन उनसे लड़ने में सक्षम ना होने के कारण उन्हें हथियारों की आवश्यकता होने लगी और हत्यारों की व्यवस्था के लिए राम प्रसाद बिस्मिल ले उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से एक बार फिर अपने पैतृक गांव मध्य प्रदेश के मुरैना जिले का रुख किया जो तत्कालीन समय में ग्वालियर रियासत का हिस्सा हुआ करता था राम प्रसाद बिस्मिल ले बरवाई में रहकर ग्वालियर से हत्यारों की व्यवस्था की और फिर अपनी कर्मभूमि या कहें क्रांति की धरती जहां से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर पहुंचे और अंग्रेजो के खिलाफ वुगुल बजा डाला ।
राम प्रसाद बिस्मिल के दादा मुरैना जिले की बरवाई के मूल निवासी थे लेकिन तात्कालिक परिस्थितियों और आर्थिक तंगी के चलते हुए अपने परिचितों से मदद लेने के लिए उत्तर प्रदेश चले गए और वहीं स्थाई रूप से बस गए राम प्रसाद बिस्मिल का ननिहाल आगरा जिले की बात है सील के अशीष नेहरा गांव में था जहां राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ लेकिन कुछ समय बाद वह शाहजहांपुर पहुंच गए और वहीं उनकी आर्य समाज के संपर्क में आने के बाद शिक्षा दीक्षा हुई आर्य समाज दीक्षित होकर जब भी भारतीय सनातन धर्म मे आस्था रखने लगे तथा पूजा पाठ करने लगे तो लोगों ने उन्हें पंडित कहकर बुलाना शुरू कर दिया। जब राम प्रसाद ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया और अपनी युवा साथियों की एक टोली बनाकर विद्रोह को अंजाम देना शुरू किया तो अंग्रेजों के निशाने पर आ गए इसी दौरान रामप्रसाद के साथ रहने वाले उनके अभिन्न मित्र जिन्हें परमानंद भाई कहकर पुकारते थे को अंग्रेजों ने असम है फांसी पर चढ़ा दिया ताकि रामप्रसाद को डराया धमकाया जाए और वह और क्रांति की राह छोड़ दे।





Body:रामप्रसाद बिस्मिल आजादी के महानायक थे उन्हें चंबल की वीर प्रसूता धरती का सपूत माना जाता है यद्यपि आज उनके पैतृक गांव बरवाई में उनके परिवार का कोई भी सदस्य निवास नहीं करता एक परिवार उनके दादाजी उत्तर प्रदेश चले गए वहां निवास करने लगा और बिस्मिल के दादाजी के जो भाई या परिवार के सदस्य थे वह भी वर्तमान समय में गांव छोड़कर ग्वालियर अथवा अन्य शहरों में रहने लगे हैं लेकिन समूचा अंचल आज बिस्मिल को अपने परिवार सदस्य मानता है । यही कारण है कि मुरैना जिले में बरवाई में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है तो मुरैना शहर में उनके नाम से शहीद स्मारक बनाया गया ह । मुरैना की न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित मुख्य चौराहे पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा स्थापित की गई है । यही नहीं मुरैना में अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का मंदिर बना कर नियमित पूजा भी होती है मुरैना के डाइट परिसर में पहले से हनुमान जी का मंदिर हुआ करता था उसे और विकसित कर वहां राम प्रसाद बिस्मिल अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल के मंदिर का उद्घाटन हुआ तो उसमें तत्कालीन सांसद नरेंद्र सिंह तोमर भी उपस्थित रहे ।
राम प्रसाद बिस्मिल के जीवन पर पुस्तक लिखने वाले अंचल के साहित्यकार भक्त प्रहलाद बताते हैं कि जब काकोरी कांड से पहले अंग्रेजों ने बिस्मिल के द्वारा चलाई जा रही बगावत के लिए जनमत तैयार किया तब उन्हें अंग्रेजों ने दबाने का प्रयास किया और उन पर अत्याचार करने लगे उस समय बिस्मिल की माताजी उन्हें अपने साथ अपने पैतृक गांव मध्य प्रदेश ले आई और कुछ समय यहां व्यतीत किया इस दौरान उन्होंने अपने खेतों में काम किया और यहां धीरे धीरे कुछ धन एकत्रित कर ग्वालियर से हथियार खरीदे और हथियारों को ग्वालियर से शाहजहांपुर तक ले जाने के लिए उनकी बहन ने उनकी मदद की और अपने कपड़ों में छुपते छुपाते हुए इन हत्यारों को शाहजहांपुर तक ले गए ।


Conclusion:आगामी समय में मुरैना जिले में अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के पैतृक गांव की पैतृक जमीन में एक शहीद पीठ बनाने की कार्य योजना अंचल के लोगों ने तैयार की है इस जमी पर बनने वाले शहीद पीठ में न केवल राम प्रसाद बिस्मिल व उनके साथ काकोरी कांड को अंजाम देने वाले खुदीराम बोस सुखदेव पास है जैसे अनेक क्रांतिकारियों की प्रतिमा स्थापित कर विशाल और भव्य बनाया जाएगा इसके लिए सरकार से 112 भी गए भूमि आवंटन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है वर्तमान समय में 11 जून को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती और 19 दिसंबर को शहादत दिवस मनाया जाता है इस दौरान लोगों को उनकी वीर गाथा का पता लगे और आजादी के महत्व को आने वाली पीढ़ी समझ सके इसके लिए उनकी पैतृक गांव तक रैलियां निकालकर तिरंगा यात्रा निकाल कर अन्य शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को इतिहास से अवगत कराने का काम शहर के राष्ट्रवादी विचारधारा या देशभक्ति की विचारधारा रखने वाले शहीदों का सम्मान करने वाले लोग प्रतिवर्ष करते हैं और गुनगुनाते हैं सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है यह पंक्तियां अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को सदैव जीवंत रखेंगी और क्रांति की कहानी पीढ़ियों तक गुनगुन आई जाएगी ।
बाईट 1 -बिसेन्द्र पाल सिंह - पंडित रामप्रसाद विस्मिल के मंदिर के निर्माता
बाईट - 2 प्रहलाद भक्त - विस्मिल के जीवन पर पुस्तक लिखने वाले अंचल के साहित्यकार ।
Last Updated : Sep 27, 2019, 12:28 AM IST
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