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ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ ଶିକ୍ଷା ଋଣ ଛାଡ କରିବାକୁ କରିଥିଲେ ନିବେଦନ, ଶେଷରେ କଲେ ଆତ୍ମହତ୍ୟା

ବିର୍ଲା ଇଷ୍ଟିଚ୍ୟୁଟ ଅଫ ଟେକ୍ନୋଲୋଜିର ଛାତ୍ର ଶଶୀକାନ୍ତ ସିହ୍ନା ଆତ୍ମହତ୍ୟା କରିଥିବା ଜଣାପଡିଛି । ଋଣ ବୋଝ କାରଣରୁ କରିଛନ୍ତି ଆତ୍ମହତ୍ୟା ।

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ଫଟୋ ସୌଜନ୍ୟ: ଇଟିଭି ଭାରତ
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Published : Dec 4, 2019, 12:48 PM IST

ରାଞ୍ଚି: ଋଣ ବୋଝ କାରଣରୁ ବିର୍ଲା ଇଷ୍ଟିଟ୍ୟୁଟ ଅଫ ଟେକ୍ନୋଲୋଜିର ଛାତ୍ର ଶଶୀକାନ୍ତ ସିହ୍ନା ଆତ୍ମହତ୍ୟା କରିଛନ୍ତି । ତାଙ୍କ ମୃତ ଦେହକୁ ଗତ 1 ତାରିଖରେ ଏକ ପୋଖରୀରୁ ଉଦ୍ଧାର କରାଯାଇଥିଲା । ସେତେବେଳେ ତାଙ୍କର ପରିଚୟ ମିଳିପାରି ନଥିଲା । ଋଣଭାର ଓ ବେକାର ଥିବା କାରଣରୁ ସେ ଆତ୍ମହତ୍ୟା କରିଥିବା ତାଙ୍କ ବାପା କହିଛନ୍ତି ।

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ଫଟୋ ସୌଜନ୍ୟ: ଇଟିଭି ଭାରତ

ସୂଚନାଯୋଗ୍ୟ, 25 ବର୍ଷୀୟ ଶଶୀକାନ୍ତ ବ୍ୟାଙ୍କରୁ 7.5 ଲକ୍ଷ ଟଙ୍କାର ଶିକ୍ଷାଋଣ କରିଥିଲେ । ଯାହା ପରବର୍ତ୍ତୀ ସମୟରେ ସୁଧ ବଢିବଢି 11ଲକ୍ଷ ଟଙ୍କାରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲା । ସେ ନିଜର ଋଣକୁ ପରିଶୋଧ କରିବାରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ ପାଖକୁ ଏକ ପତ୍ର ମଧ୍ୟ ଲେଖିଥିଲେ ମଧ୍ୟ ତାହା ବିଫଳ ହୋଇଥିଲା । ଏପରିକି ବିଭିନ୍ନ ସ୍ଥାନରେ ଚାକିରି ପାଇଁ ଯାଇଥିଲେ ମଧ୍ୟ ତାହା ସମ୍ଭବ ହୋଇପାରି ନଥିଲା । ଏହାପରେ ସେ ଏହି ଚରମ ପଦକ୍ଷେପ ନେଇଥିବା ଜଣାପଡିଛି । ସେ ପ୍ରାୟ 7 ମାସ ପୂର୍ବରୁ ଘରୁ ଆସିଥିବା କଥା ତାଙ୍କ ବାପା ପ୍ରକାଶ କରିଛନ୍ତି ।

ରାଞ୍ଚି: ଋଣ ବୋଝ କାରଣରୁ ବିର୍ଲା ଇଷ୍ଟିଟ୍ୟୁଟ ଅଫ ଟେକ୍ନୋଲୋଜିର ଛାତ୍ର ଶଶୀକାନ୍ତ ସିହ୍ନା ଆତ୍ମହତ୍ୟା କରିଛନ୍ତି । ତାଙ୍କ ମୃତ ଦେହକୁ ଗତ 1 ତାରିଖରେ ଏକ ପୋଖରୀରୁ ଉଦ୍ଧାର କରାଯାଇଥିଲା । ସେତେବେଳେ ତାଙ୍କର ପରିଚୟ ମିଳିପାରି ନଥିଲା । ଋଣଭାର ଓ ବେକାର ଥିବା କାରଣରୁ ସେ ଆତ୍ମହତ୍ୟା କରିଥିବା ତାଙ୍କ ବାପା କହିଛନ୍ତି ।

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ଫଟୋ ସୌଜନ୍ୟ: ଇଟିଭି ଭାରତ

ସୂଚନାଯୋଗ୍ୟ, 25 ବର୍ଷୀୟ ଶଶୀକାନ୍ତ ବ୍ୟାଙ୍କରୁ 7.5 ଲକ୍ଷ ଟଙ୍କାର ଶିକ୍ଷାଋଣ କରିଥିଲେ । ଯାହା ପରବର୍ତ୍ତୀ ସମୟରେ ସୁଧ ବଢିବଢି 11ଲକ୍ଷ ଟଙ୍କାରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲା । ସେ ନିଜର ଋଣକୁ ପରିଶୋଧ କରିବାରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ ପାଖକୁ ଏକ ପତ୍ର ମଧ୍ୟ ଲେଖିଥିଲେ ମଧ୍ୟ ତାହା ବିଫଳ ହୋଇଥିଲା । ଏପରିକି ବିଭିନ୍ନ ସ୍ଥାନରେ ଚାକିରି ପାଇଁ ଯାଇଥିଲେ ମଧ୍ୟ ତାହା ସମ୍ଭବ ହୋଇପାରି ନଥିଲା । ଏହାପରେ ସେ ଏହି ଚରମ ପଦକ୍ଷେପ ନେଇଥିବା ଜଣାପଡିଛି । ସେ ପ୍ରାୟ 7 ମାସ ପୂର୍ବରୁ ଘରୁ ଆସିଥିବା କଥା ତାଙ୍କ ବାପା ପ୍ରକାଶ କରିଛନ୍ତି ।

Intro:लोन नही भर पाने के कारण BIT के छात्र ने दी जान , PM से भी लगाई थी गुहार

झारखंड के नामी इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुमार बीआईटी मेसरा के  छात्र शशिकांत सिन्हा ने बैंक से लिये गए कर्ज से परेशान हो कर आत्महत्या कर ली। शशिकांत का एक दिसंबर को रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र के बड़ा तालाब से बरामद किया गया था। उस समय उसकी पहचान नहीं हो पाई थी।

आत्महत्या से पहले पीएम को भी लिखा था पत्र

रांची के बड़ा तालाब में बीते एक दिसंबर को मिले 25 वर्षीय युवक के शव की पहचान कर ली गई है। शव बीआइटी मेसरा के इंजियनरिंग के छात्र शशिकांत सिन्हा  का निकला। नौकरी नहीं मिलने और बैंक कर्ज के दबाव में शशिकांत ने आत्महत्या कर ली थी। जान देने से पहले उसने पीएमओ को पत्र भेजा था। जिसमें 11 लाख लोन चुकता करने के लिए समय और प्रधानमंत्री राहत कोष से कुछ माफी की गुहार लगाई थी। इसके बावजूद बेरोजगारी का दंश और परेशानी कम होता नहीं दिखाई देने पर घर से बीते 29 दिसंबर की शाम निकल गया। 30 दिसंबर को पूरे दिन लालपुर के कई कोचिंग इंस्टीट्यूट सहित प्रतिष्ठानों में नौकरी मांगी। नौकरी की कोई आस दिखाई नहीं देने पर बड़ा तालाब पहुंचा और वहां डूबकर जान दे दी। दूसरे दिन तालाब से शव बरामद किया। दो दिसंबर के अखबारों में लाश की तस्वीरें देख पिता अनिल सिन्हा सहित अन्य परिजनों ने शव की पहचान की। इसके बाद शव लेकर अंतिम संस्कार किया। शशिकांत की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता अनिल कुमार ने बताया है कि लोन के दबाव में शशिकांत डिप्रेशन में चला गया था। इससे उसकी मानसिक स्थिति भी बिगड़ गई थी। सीआइपी में उसका इलाज भी करवाया गया था।


पीएम को पत्र में कहा, मुझे थोड़ा समय दें अभी बेरोजगार

शशिकांत ने पीएमओ को लिखे पत्र में लिखा है कि फिलहाल मैं बेरोजगार हूं, मुझे थोड़ा समय चाहिए। नौकरी की तलाश में हूं। नौकरी कर ईमानदारी से लोन चुकता कर दूंगा। पीएमओ को लिखे पत्र के संबंध में परिजनों को तब जानकारी हुई, जब शशिकांत के बड़े भाई शिवकांत सिन्हा ने लैपटॉप खोला। उसमें देखा कि पीएमओ को एक पत्र भेजा गया है। जिसे ऑनलाइन कंप्लेन सिस्टम में दर्ज कराया गया है।

सात माह पहले भी घर छोड़ गया था शशिकांत

शशिकांत लोन के दबाव में पिछले आठ से दस महीनों से डिप्रेशन में चल रहा था। बीते 19 मई 2019 को वह घर छोड़कर चला गया था। हालांकि 30 मई 2019 की रात वह घर लौट आया था। उस समय परिजनों ने सुखदेवनगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। उसकी इस स्थिति पर परिजन काफी समझाते थे, लेकिन उसके दिमाग में बस लोन का दबाव और बेरोजगारी की समस्या था।

7.50 लाख लिया था लोन, ब्याज जुड़कर हो गए 11 लाख

शशिकांत के पिता ने बताया कि बीआइटी मेसरा में वर्ष 2014 में दाखिला के बाद उसके लिए 7.50 लाख का एजुकेशन लोन लिया गया था। पढ़ाई पूरी करने की अवधि में सेमेस्टर बैक व अन्य कारणों से समय पर कोर्स पूरा नहीं कर पाया। इसके बाद ब्याज की रकम के साथ लोन 11 लाख तक पहुंच गया। इसके बाद नोटिस आना शुरू हुआ। इसके बाद से ही शशिकांत डिप्रेशन में चला गया था। इधर, हाल में पिता के खाते को लोन एकाउंट में जोड़ दिया गया। इसके बाद उसका डिप्रेशन और बढ़ गया था ,डिप्रेसन में ही उसने आत्महत्या कर लिया।

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- पीएम को लिखा पत्र
फाइल फोटो- शशिकांतBody:शशिकांत ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अपनी सारी व्यथा सुनाई है उसमें लिखा है कि

प्रिय महोदय, मैं शशिकांत सिन्हा रांची, झारखंड भारत का निवासी हूं। मैं मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो चुका हैं। बीआइटी मेसरा (2014-18) बैच का छात्र था, इसके लिए एसबीआई दीपाटोली से 7.5 लाख का एजुकेशन लोन लिया। कई समस्याओं के कारण कॉलेज की परीक्षा छूटी, कुछ में फेल हुआ। इससे समेस्टर पूरा नहीं हुआ। पढ़ाई जारी रखने के लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ी। इससे पढ़ाई छोड़ दी। फिर, नौकरी की तलाश की, लेकिन नहीं मिली। अब, बैंक के कर्ज का दबाव बढ़ गया। मेरे पिता के बैंक खाते को जब्त कर लिया गया है। एफआइआर दर्ज कराने की धमकी मिल रही है। लेकिन यह जानबूझकर डिफॉल्ट बनने का मामला नहीं है। मैं किसी तरह नौकरी करूंगा और खुद पूरी लोन चुकता करूंगा। फिलहाल इसके लिए सक्षम नहीं हूं। मेरी इस परेशानी पर किसी ने मदद के लिए नहीं पूछा। अब तनाव महसूस कर रहा हूं। आप या किसी और के साथ मदद के लिए संपर्क करने से डरता रहा हूं। लेकिन एक रुपया भी धोखाधड़ी का काम नहीं किया हूं, कानून के मुताबिक सभी काम करूंगा और पूरी इमानदारी से लोन चुकाउंगा। आपसे अनुरोध है कि मेरे इस लोन की राशि को चुकाने में मदद करें हो सके तो मेरी परिस्थति को देखते हुए प्रधानमंत्री राहत कोष के तहत भुगतान कर इसे माफ कर दें। मैं विश्वास दिलाता हूं कि एक बार मैं सफलतापूर्वक नौकरी कर लूं, तो पूरी लोन चुका दूंगा। 

    मैं समस्याओं से, भय से, चिंता से और समस्या को अपने पास रखने से बचने की कोशिश कर रहा हूं। मैं अलग-अलग विचारों और तनाव में फंसा रहता हूं। मैं केवल अपने बारे में सोचता हूं और दूसरों को छोड़ देता हूं।  अब नौकरी की तलाश में भी बाहर जाने की सोच रहा हूं। आर्थिक परेशानी व दबाव के कारण सामाजिक जीवन रुक गया, अवसादग्रस्त रहा और फिर मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया। इसकी वजह से इलाज के लिए सीआइपी जाना पड़ा। मैं अगर अपनी परीक्षा पास करता तो हर परेशान लोगों की मदद करता, न्याय लाता, समाज में कानून-व्यवस्था लाता। लेकिन सबकुछ बिगड़ता चला गया। इसलिए सबकुछ छोडऩे का निर्णय किया। मेरी लोन की राशि बढ़ता गया अब मैसेज आ रहे हैं। बहुत हिम्मत करके लिखा हूं सर, प्लीज मदद करें।Conclusion:1
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