हमारी आंखें हमारे संवेदी अंगों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, क्योंकि यह पूरी दुनिया से हमारा परिचय कराती हैं. लेकिन हमारी आंखें हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग भी मानी जाती हैं. क्योंकि इन में हल्की सी समस्या भी ना सिर्फ दृष्टि को कमजोर कर सकती है बल्कि कई बार दृष्टिहीनता का कारण भी बन सकती है. दुनिया भर में हर साल बड़ी संख्या में लोग लापरवाही, दुर्घटना या रोग के कारण अंधेपन या दृष्टि नुकसान का सामना करते हैं. अंंधेपन से बचाव (Blindness prevention) तथा नेत्र संबंधी समस्याओं (Eye problems) के बारे में आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल वैश्विक स्तर पर अक्टूबर माह के दूसरे गुरुवार को "विश्व दृष्टि दिवस" मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व दृष्टि दिवस 13 अक्टूबर (World eyesight day 13 October 2022) को मनाया जा रहा है. इस वर्ष यह विशेष आयोजन # Love Your Eyes ‘ यानी "अपने नेत्रों से प्रेम करें" थीम पर मनाया जा रहा है. World eyesight day theme love your eye .
विश्व दृष्टि दिवस मनाए जाने की शुरुआत लायंस क्लब इंटरनेशनल (Lions Club International) द्वारा की गई थी. इससे पूर्व अंतरराष्ट्रीय नेत्रहीनता रोकथाम एजेंसी (International Blindness Prevention Agency) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की मदद से 18 फरवरी 1999 में "विज़न 2020" (Vision 2020) की शुरुआत की. जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर नेत्र देखभाल संबंधी सेवाओं की आवश्यकता को बढ़ावा देना, लोगों को आम तथा जटिल नेत्र संबंधी समस्याओं को लेकर जागरूक करने, उनके इलाज के लिए मदद मुहैया कराना व निर्देशित करना तथा लोगों का ध्यान अंधपन तथा अन्य दृष्टि संबंधी मुद्दों पर केंद्रित करना था.
गौरतलब है कि Vision 2020 के अंतर्गत पिछले कई सालों से बेहतर नेत्र देखभाल तथा हर किसी के लिए दृष्टि का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए तथा हर उम्र में दृष्टिहीनता या दृष्टि के नुकसान के कारणों तथा उनके उपचारों जैसे मुद्दों को संबोधित किया जाता रहा है. विशेषतौर पर इसके तहत मोतियाबिंद, ट्रेकोमा, कम दृष्टि, क्रोनियल, ग्लूकोमा और अपवर्तक त्रुटियों (Cataract trachoma low vision cranial glaucoma refractive errors) को रोकने तथा उनके उपचार से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाते रहे हैं.
जांच जरूरी : आमतौर पर चिकित्सक 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित तौर पर आंखों की जांच कराने पर जोर देते हैं. गौरतलब है कि सामान्य तौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद दृष्टि में हल्की-फुल्की कमजोरी आने लगती है. वही बढ़ती उम्र के साथ ही कुछ विशेष प्रकार की बीमारियों जैसे ग्लूकोमा या काला मोतिया तथा Age Related Macular Degeneration (ARMD) आदि का प्रभाव आंखों पर नजर आने की आशंका भी बढ़ जाती है.
इंदौर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ महेश जोशी (Dr Mahesh Joshi ophthalmologist Indore) बताते हैं कि सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों की नियमित नेत्र जांच भी बहुत जरूरी होती है. आमतौर पर छोटे बच्चे लगातार सिर में दर्द होने, नेत्रों में कोई समस्या होने, या दृष्टि संबंधी समस्या को समझ नहीं पाते हैं और अपने परिजनों को इस बारे में सूचित नहीं कर पाते हैं. ऐसे में नियमित नेत्र जांच से बच्चों में होने वाली नेत्र संबंधी समस्याओं के बारे में समय रहते जानकारी ली जा सकती है.
Dr Mahesh Joshi ophthalmologist Indore बताते हैं कि माता-पिता को बच्चों की आंख में लगातार खुजली होने, उनकी आंख में लालिमा आने या आंख में किसी प्रकार का धब्बा या दाग नजर आने की अवस्था को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ से आंखों की जांच करानी चाहिए. बताते हैं कि वर्तमान समय में एक अन्य सबसे बड़ी समस्या ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों के लिए भी कई नेत्र संबंधी समस्याओं का कारण (Mobile laptop or computer screen time) बन रही है. वह है मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर उनका बढ़ता स्क्रीन टाइम.
कैसे रखें आंखों को स्वस्थ : Ophthalmologist Dr Mahesh Joshi बताते हैं कि स्क्रीन टाइम के बढ़ने के कारण उत्पन्न समस्याओं से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि जहां तक संभव हो कंप्यूटर और मोबाइल पर समय बिताने की सीमा को सीमित किया जाए. यदि पढ़ाई, नौकरी या अन्य कारणों से ऐसा संभव ना हो तो कार्य करते समय नियमित अंतराल पर स्क्रीन से कुछ समय के लिए दूरी बनाने का प्रयास करना जरूरी है. इसके लिए 20:20 प्रक्रिया का भी पालन किया जा सकता है जिसके तहत हर 20 मिनट बाद कम से कम 20 सेकंड के लिए अपनी आंखों को आराम दें और किसी अन्य स्थान पर देखें.
Dr Mahesh Joshi Ophthalmologist बताते हैं कि हमारी दृष्टि मजबूत रहे और नेत्र स्वस्थ रहें, इसमें हमारा आहार, शारीरिक स्वच्छता तथा व्यायाम भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वहीं कई बार कुछ लोग आंखों में खुजली या किसी प्रकार की समस्या होने पर बगैर चिकित्सक से सलाह लिए किसी जानकार या केमिस्ट की सलाह पर ड्रॉप लेकर आंखों में डाल देते हैं, जो कई बार दृष्टि दोष या नेत्र रोग का कारण भी बन सकता है. इसलिए आंखों में किसी भी प्रकार कि समस्या होने पर चिकित्सक से जांच व परामर्श लिए बिना किसी दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए. यहीं नहीं दृष्टिहीनता या आंखों के चोटिल होने के लिए कई बार दुर्घटनाएं भी जिम्मेदार होती हैं. ऐसे में कोई भी ऐसा कार्य करते समय जिसमें आंखों के चोटिल होने की आशंका हो सुरक्षात्मक चश्मे अवश्य पहनने चाहिए. इसके अलावा धूप में निकलते समय आंखों को सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाने के लिए हमेशा अच्छी क्वालिटी वाला चश्मा पहनना चाहिए.
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