नई दिल्ली : वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार मनोवैज्ञानिक तनाव, आहार, शारीरिक गतिविधि, कैफीन का सेवन, उच्च वृषण तापमान सहित, संशोधित जीवन शैली का इनफर्टिलिटी और नपुंसकता के विकास में काफी योगदान है. तनाव और पुरुष इनफर्टिलिटी के बीच संबंधों पर वर्षों से बहस चल रही है, और इस पर दुनिया भर में कई अध्ययन किए जा रहे हैं. इस संबंध में बीएचयू के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण खोज की है. चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया कि सब-क्रोनिक तनाव से ग्रस्त वयस्क चूहों में ऐसे लक्षण विकसित हुए जो प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. BHU research on stress and male infertility . fertility affected by sub chronic psychological stress .
शोध दल ने चूहों को 30 दिनों की अवधि के लिए हर दिन 1.5 से 3 घंटे के लिए सब-क्रोनिक तनाव में रखा और शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा को मापा. शोधकर्ताओं ने देखा कि दैनिक शुक्राणु उत्पादन में गंभीर गिरावट आई. उन्होंने शुक्राणु में रूपात्मक या संरचनात्मक असामान्यता भी पाई. विशेष रूप से, एपिडीडिमल शुक्राणु (शुक्राणु पुरुष प्रजनन सहायक संरचनाओं में से एक में संग्रहित और परिपक्व होता है जिसे एपिडीडिमिस कहा जाता है), तनाव के जोखिम से प्रतिकूल रूप से प्रभावित थे. Sub chronic psychological stress affects sperm .
सामान्य शुक्राणु में तीन भाग होते हैं जिन्हें सिर, गर्दन और पूंछ नाम दिया गया है. अध्ययन ने शुक्राणु की मूल संरचना में असामान्यताएं पाईं, जिनमें सिर की असामान्यता वाले शुक्राणुओं की तुलना में पूंछ असामान्यताओं के साथ शुक्राणुओं की संख्या अधिक थी. यह खोज Dr Raghav Kumar Mishra , Department of Biology , BHU Institute of Science व उनके मार्गदर्शन में पीएच.डी. कर रहे Anupam Yadav ने की है . अनुपम यादव ने चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया कि सब-क्रोनिक तनाव से ग्रस्त वयस्क चूहों में ऐसे लक्षण विकसित हुए जो प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
सब-क्रोनिक तनाव के कारण परिवर्तन
डॉ. राघव कुमार मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि वृषण की आंतरिक संरचना में भी सब-क्रोनिक तनाव के कारण परिवर्तन पाया गया. इससे वृषण में अर्धसूत्रीविभाजन और अर्धसूत्रीविभाजन के बाद जर्म सेल कैनेटीक्स (जर्म कोशिकाओं से शुक्राणु के निर्माण में शामिल प्रक्रियाएं) को बाधित करके दैनिक शुक्राणु उत्पादन भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ. तनाव ने पुरुष हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन) संश्लेषण को भी बाधित किया और वृषण में ऑक्सीडेटिव तनाव (हानिकारक अणुओं और एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइमों के बीच असंतुलन) में भी वृद्धि की.
अनुपम यादव के मुताबिक यह सब-क्रोनिक तनाव और पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बीच संबंधों का अध्ययन करने वाले कुछ चुनिंदा विस्तृत कार्यों में से एक है. डॉ. राघव कुमार मिश्रा ने कहा कि यह अध्ययन मनोवैज्ञानिक तनाव और प्रजनन कल्याण के संबंध में विश्लेषण के नए क्षेत्रों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है. अध्ययन के निष्कर्ष पुरुष प्रजनन शरीर विज्ञान के विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित जर्नल - एन्ड्रोलोजीया में प्रकाशित हुए हैं. अनुसंधानों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रजनन संकट का संकेत शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट और पुरुष प्रजनन प्रणाली की असामान्यताओं में वृद्धि के प्रमाण से मिलता है. हालांकि, कई अज्ञात कारक लगभग 50 प्रतिशत ऐसे मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.--आईएएनएस