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यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर हुआ खतरनाक भूस्खलन, बाल-बाल बचे लोग

पहाड़ों में बिना बारिश के भी भूस्खलन हो रहा है. यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर भंगेली गाड़ के पास एक बार फिर भूस्खलन हुआ है. भूस्खलन से जहां कई लोग बाल-बाल बचे वहीं रास्ता बंद हो गया है.

Uttarkashi Landslide
उत्तरकाशी न्यूज
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Published : Oct 5, 2020, 8:11 AM IST

उत्तरकाशी: यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर भंगेली गाड़ के पास भूस्खलन एक बार फिर सक्रिय हो गया है, जो किसी भी वक्त जानलेवा हो सकता है. भूस्खलन का एक वीडियो ईटीवी भारत को भी मिला है. बताया जा रहा है कि भूस्खलन के दौरान यमुनोत्री धाम से लौट रहे यात्री और खच्चर संचालक बाल-बाल बचे हैं, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है.

भूस्खलन के चलते यमुनोत्री धाम का पैदल मार्ग बाधित.

स्थानीय लोगों का कहना है कि यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में भंगेली गाड़ के पास रुक-रुककर हो रहा भूस्खलन बड़े हादसे को न्योता दे रहा है. भूस्खलन में कई यात्री भी बाल-बाल बचे हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यात्रियों के लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने की मांग की है.

पढ़ें- बिहार चुनाव : पीएम मोदी ने भाजपा नेताओं से की सीट बंटवारे पर चर्चा

गौरतलब है कि यहां गत सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में बिना बारिश के बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिसमें एक साधु की जान बाल-बाल बची थी. वहीं, उसके बाद जिला प्रशासन ने करीब एक सप्ताह यात्रा रोकी थी. लोक निर्माण विभाग ने वैकल्पिक मार्ग बनाकर आवाजाही शुरू करवाई थी. अब दोबारा भूस्खलन होने से खतरा बढ़ गया है.

उत्तरकाशी: यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर भंगेली गाड़ के पास भूस्खलन एक बार फिर सक्रिय हो गया है, जो किसी भी वक्त जानलेवा हो सकता है. भूस्खलन का एक वीडियो ईटीवी भारत को भी मिला है. बताया जा रहा है कि भूस्खलन के दौरान यमुनोत्री धाम से लौट रहे यात्री और खच्चर संचालक बाल-बाल बचे हैं, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है.

भूस्खलन के चलते यमुनोत्री धाम का पैदल मार्ग बाधित.

स्थानीय लोगों का कहना है कि यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में भंगेली गाड़ के पास रुक-रुककर हो रहा भूस्खलन बड़े हादसे को न्योता दे रहा है. भूस्खलन में कई यात्री भी बाल-बाल बचे हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यात्रियों के लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने की मांग की है.

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गौरतलब है कि यहां गत सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में बिना बारिश के बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिसमें एक साधु की जान बाल-बाल बची थी. वहीं, उसके बाद जिला प्रशासन ने करीब एक सप्ताह यात्रा रोकी थी. लोक निर्माण विभाग ने वैकल्पिक मार्ग बनाकर आवाजाही शुरू करवाई थी. अब दोबारा भूस्खलन होने से खतरा बढ़ गया है.

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