उत्तरकाशी: अस्सीगंगा घाटी के राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में 'विश्व पृथ्वी दिवस 2022' मनाया गया. इस मौके पर 'हमारे ग्रह में निवेश करें' विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया गया. इस दौरान शिक्षकों व छात्र छात्राओं ने वृक्षारोपण कर लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश दिया. गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण संस्थान कोलकाता के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुमार अविनाश (Scientist Dr Kumar Avinash) ने शिरकत की.
इस मौके पर डॉ. अविनाश ने कहा कि हिमालय की जैव विविधता का संरक्षण किया जाना अत्यंत जरूरी है. जड़ी-बूटियों के दोहन को रोककर इन पर व्यापक शोध की आवश्यकता है. इसके साथ ही उन्होंने छात्रों को हर्बेरियम (सूखी वनस्पतियों का संग्राह) बनाने की सटीक जानकारी दी. वहीं, विद्यालय में वर्चुअल शैक्षणिक योगदान के लिए बोटैनिकल सर्वे आफ इंडिया (Botanical Survey of India) के तरफ से निःशुल्क सुविधा प्रदान किये जाने की सहमति भी दी. जिससे दुर्गम विद्यालय भंकोली के छात्रों को अब समय-समय पर बीएसआई कोलकाता के विशेषज्ञों की तरफ से वनस्पतियों पर बेहतरीन जानकारी प्रदान की जायेगी.
इस मौके पर प्रधानाचार्य कामदेव सिंह पंवार ने कहा कि पृथ्वी दिवस हमें पृथ्वी पर अन्य जीवित प्राणियों के प्रति हमारे कर्तव्य की याद दिलाता है. क्योंकि इस धरती पर जीवित रहने का सभी को अपना-अपना हक है. लेकिन हम एक दूसरे का हक छीनने की कोशिश में लगे हुए हैं. जगह-जगह विकास के नाम पर स्वच्छ व प्राणवायु देने वाले पेड़-पौधों की कटाई की जा रही है, जो प्रकृति का दोहन है. इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझें.
कार्यक्रम संयोजक विज्ञान शिक्षक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि पृथ्वी दिवस मनाने का वास्तविक उद्देश्य पृथ्वी को प्रदूषण से होने वाले खतरे से बचाकर उसका सम्मान करना है. क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बढ़ रहा है, जो आने वाले समय में मानव जीवन के साथ-साथ अन्य जीव जंतुओं के अस्तित्व पर काफी काफी खतरा उत्पन्न करेगा. लेकिन अधिकाधिक पेड़ लगाकर हम पृथ्वी की इस समस्या का हल निकाल सकते हैं.
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भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता अमेन्द्र असवाल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अक्षय ऊर्जा के उपायों पर ध्यान आकर्षित किया. वहीं, रसायन विज्ञान के शिक्षक दीपेन्द्र ने प्राकृतिक संसाधनों के समुचित प्रबंधन पर बल दिया. जीव विज्ञान शिक्षक पिंकी बहुगुणा ने भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण संस्थान के योगदान व वनस्पतियों के संरक्षण पर जानकारी दी.