उत्तरकाशी: सावन के महीने में भगीरथी नदी का पानी एक बार फिर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. ऐसे में गंगोत्री धाम में घाटों का निर्माण ना होने और जलस्तर बढ़ने के चलते श्रद्धालु भी नदी में स्नान नहीं कर पाएंगे. वहीं, मंदिर समिति का कहना है कि नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण गंगोत्री धाम में भी खतरा मंडराने लगा है.
बता दें कि गंगोत्री धाम में बरसात के दौरान गंगा का जलस्तर हर बार बढ़ जाता है. सोमवार को गंगोत्री धाम में ये नजारा देखने को मिला. जब नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण पानी स्नान घाटों के ऊपर बह रहा था. ऐसे में श्रद्धालु भी जान जोखिम में डालकर घाटों पर स्नान और गंगा जल भर रहे हैं.
मंदिर समिति का आरोप है कि सालों से भगीरथी नदी में सिल्ट जमा होने और घाटों का पुनर्निमाण में देरी होने के कारण गंगोत्री धाम पर भी खतरा बना हुआ है. यहां नदी का पानी स्नान घाटों के ऊपर बह रहा है. जबकि, कई बार प्रशासन को इसकी सूचना दी गई लेकिन मामला सिफर ही रहा. वैसे ये पहली बार नहीं है जब भगीरथी का जलस्तर इतना बढ़ा हो. पूर्व के वर्षों में भी गंगा नदी विकराल रूप धारण कर कर चुकी हैं, लेकिन उसके बाद भी गंगा घाटों का पुनर्निमाण कार्य नहीं हो पाया है.
गंगोत्री धाम मन्दिर समिति के सह सचिव राजेश सेमवाल का कहना है कि साल 2012 और 13 की आपदा के दौरान गंगोत्री धाम के स्नान घाट बह गए थे, तब से अबतक धाम में नए घाटों का निर्माण नहीं हो पाया है. साथ ही श्रद्धालुओं के स्नान के लिए भी कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किये गए हैं. जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.