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बीमार महिला को 8 किमी पैदल चलकर डंडी-कंडी से पहुंचाया अस्पताल, उत्तरकाशी की है ये बदहाली - कंडी से पहुंचाया अस्पताल

उत्तराखंड सरकार भले ही विकास के नग्मे गा रही हो, लेकिन हकीकत कोसों दूर है. यकीन ना हो तो उत्तरकाशी में पुरोला ब्लॉक के सर बडियार पट्टी का हाल देख सकते हैं. यहां आज तक सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. आज भी एक महिला को ग्रामीण डंडी कंडी के सहारे बमुश्किल अस्पताल ले गए.

Kandi in Uttarkashi
कंडी से मरीज को अस्पताल ले जाते ग्रामीण
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Published : Jul 18, 2022, 1:35 PM IST

Updated : Jul 18, 2022, 1:43 PM IST

उत्तरकाशीः सर बडियार पट्टी के डिगाड़ी गांव की बीमार शंकुतला देवी को ग्रामीणों ने आठ किलोमीटर पैदल चलकर डंडी-कंडी से बड़कोट अस्पताल पहुंचाया. बड़कोट में प्रा‌‌थमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने उसे देहरादून रेफर कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि सर बडियार पट्टी के आठ गांवों के लिए जो ऐलोपैथिक सेंटर बनाया गया, उसमें लंबे समय से मेडिकल स्टाफ न होने के कारण ताला लटका हुआ है.

बता दें कि पुरोला ब्लॉक के सुदूरवर्ती क्षेत्र सर बडियार पट्टी के सर, डिगाड़ी, लिवटाड़ी, कसलूं, किमडार, पौंटी, गोल व छानिका गांव के ग्रामीणों को लंबे समय से सड़क न होने का खमियाजा भुगतान पड़ा रहा है. पट्टी के आठ गांव अभी तक सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं. जिस कारण ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. इन आठ गांव में सबसे बुरा हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है. गांव में गर्भवती हो या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित मरीज को हमेशा डंडी-कंडी पर लाद कर सात से आठ किलोमीटर पैदल चलकर उपचार के लिए बड़कोट अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.

ये भी पढ़ेंः विडंबनाः बीमार युवती को 10 KM पैदल कंडी के सहारे पहुंचाया अस्पताल, तोड़ा दम

सर बडियार क्षेत्र के 8 गांवों के लोग आज भी आदम युवग जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं. साल 2020 में भी सर बडियार क्षेत्र की लेवटाड़ी गांव की कंचन (20) की समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई थी. ताजा मामला डिगाड़ी गांव का है. यहां 49 साल की शंकुतला देवी एक हफ्ते से बीमार थी. सोमवार को शंकुतला की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. ऐसे में ग्रामीण विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच शंकुतला देवी को डंडी-कंडी में लादकर बड़कोट अस्पताल ले आए. बड़कोट अस्पताल में प्राथमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने शंकुतला को हायर सेंटर देहरादून रेफर कर दिया है.

ये भी पढ़ेंः कंधे पर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीणों ने 15 किमी मरीज को ढोकर पहुंचाया अस्पताल

आजाद भारत के गांवों का यह हाल किसी से छुपा नहीं है. पुरोला और मोरी विकासखंड के ज्यादातर गांव सड़क, संचार और अस्पताल की सुविधा से वंचित हैं. डंडी कंडी में मरीजों को लाना कोई नई और पहली घटना नहीं है. यहां अब तक कई लोग जान गंवा चुके हैं. मामले में सरकार के नुमाइंदे सिर्फ कागजों में ही विकास दिखाकर राजनीतिक आकाओं को खुश करते हैं. वहीं, राजनीति करने वाले लोग सिर्फ चुनाव में वोट बैंक के लिए इन गांवों की ओर रुख करते हैं. चुनाव के बाद शायद ही उन्हें क्षेत्र का नाम याद हो.

उत्तरकाशीः सर बडियार पट्टी के डिगाड़ी गांव की बीमार शंकुतला देवी को ग्रामीणों ने आठ किलोमीटर पैदल चलकर डंडी-कंडी से बड़कोट अस्पताल पहुंचाया. बड़कोट में प्रा‌‌थमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने उसे देहरादून रेफर कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि सर बडियार पट्टी के आठ गांवों के लिए जो ऐलोपैथिक सेंटर बनाया गया, उसमें लंबे समय से मेडिकल स्टाफ न होने के कारण ताला लटका हुआ है.

बता दें कि पुरोला ब्लॉक के सुदूरवर्ती क्षेत्र सर बडियार पट्टी के सर, डिगाड़ी, लिवटाड़ी, कसलूं, किमडार, पौंटी, गोल व छानिका गांव के ग्रामीणों को लंबे समय से सड़क न होने का खमियाजा भुगतान पड़ा रहा है. पट्टी के आठ गांव अभी तक सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं. जिस कारण ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. इन आठ गांव में सबसे बुरा हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है. गांव में गर्भवती हो या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित मरीज को हमेशा डंडी-कंडी पर लाद कर सात से आठ किलोमीटर पैदल चलकर उपचार के लिए बड़कोट अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.

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सर बडियार क्षेत्र के 8 गांवों के लोग आज भी आदम युवग जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं. साल 2020 में भी सर बडियार क्षेत्र की लेवटाड़ी गांव की कंचन (20) की समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई थी. ताजा मामला डिगाड़ी गांव का है. यहां 49 साल की शंकुतला देवी एक हफ्ते से बीमार थी. सोमवार को शंकुतला की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. ऐसे में ग्रामीण विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच शंकुतला देवी को डंडी-कंडी में लादकर बड़कोट अस्पताल ले आए. बड़कोट अस्पताल में प्राथमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने शंकुतला को हायर सेंटर देहरादून रेफर कर दिया है.

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आजाद भारत के गांवों का यह हाल किसी से छुपा नहीं है. पुरोला और मोरी विकासखंड के ज्यादातर गांव सड़क, संचार और अस्पताल की सुविधा से वंचित हैं. डंडी कंडी में मरीजों को लाना कोई नई और पहली घटना नहीं है. यहां अब तक कई लोग जान गंवा चुके हैं. मामले में सरकार के नुमाइंदे सिर्फ कागजों में ही विकास दिखाकर राजनीतिक आकाओं को खुश करते हैं. वहीं, राजनीति करने वाले लोग सिर्फ चुनाव में वोट बैंक के लिए इन गांवों की ओर रुख करते हैं. चुनाव के बाद शायद ही उन्हें क्षेत्र का नाम याद हो.

Last Updated : Jul 18, 2022, 1:43 PM IST
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