उत्तरकाशी: कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था पर विराम सा लगा दिया है. इस महामारी से सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीणों का हुआ है. शहरों से पलायन के लिए मजबूर ग्रामीण वापस तो आ गए हैं, लेकिन उनके सामने रोजगार की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. ग्रामीण जन प्रतिनिधियों से रोजगार की मांग कर रहे हैं. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्हें निर्देश हैं कि कोविड-19 में संक्रमण को रोकने के लिए अभी कोई कार्य न कराए जाएं.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
जनपद उत्तरकाशी की बात करें तो यहां पर 6 विकासखण्ड हैं. जिले के सीमान्त भटवाड़ी विकासखण्ड के पंचायत प्रतिनिधियों ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि गत एक माह से विकासखण्ड में विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में केंद्र सरकार की तरफ से संचालित की जाने वाली मनरेगा भी गत 3 माह से अधर में लटकी हुई है. इसके पीछे मनरेगा कर्मियों की हड़ताल बताई जा रही है. समस्या यही नहीं है. जिन पंचायतों में काम हुए हैं उसका भुगतान भी 6 माह से नहीं हो पाया है.
पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि कोरोनाकाल में प्रवासी युवा और ग्रामीण रोजगार की मांग कर रहे हैं, लेकिन रोजगार नहीं है. लोगों के सामने जीवन-यापन करने की समस्या भी खड़ी हो रही है. कोरोनाकाल में कर्मचारी भी कार्यालयों में नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि सभी ऑनलाइन कार्य कर रहे हैं. इससे ग्रामीणों के सामने चुनौती और अधिक बढ़ गई है.
विकासखंड अधिकारियों का क्या कहना है?
विकासखण्ड अधिकारियों का कहना है कि अभी उन्हें निर्देश हैं कि इस विषम परिस्थिति में सबसे पहले सबकी जान बचाई जाए. उसके बाद प्रभावित हुए कार्यों की गति और क्षतिपूर्ति के लिए विचार किया जाएगा.