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उत्तरकाशी: लॉकडाउन में पैसे कमा रहे ग्रामीण, पढ़िए पूरी खबर

कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ की निकरा (NICRA) योजना के सहयोग से इस लॉकडाउन की अवधि में भड़कोट के ग्रामीण सब्जी उत्पादन से अपनी आजीविका चला रहे हैं.

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Published : May 3, 2020, 3:57 PM IST

पैसे कमा रहे ग्रामीण
पैसे कमा रहे ग्रामीण

उत्तरकाशी: जिस गांव के लोग आज से 4 वर्ष पहले खेती करने के लिए बारिश का इंतजार करते थे. वहीं चिन्यालीसौड़ ब्लॉक का भड़कोट गांव खेती और सब्जी फल उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर हो चुका है. कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ की निकरा (NICRA) योजना के सहयोग से इस लॉकडाउन में भड़कोट के ग्रामीण सब्जी उत्पादन से अपनी आजीविका चला रहे हैं. साथ ही आसपास के गांव में भी सब्जी की आपूर्ति कर रहे हैं.

पैसे कमा रहे ग्रामीण

बता दें कि, वर्ष 2017 में कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ ने भड़कोट गांव को (NICRA) नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलेंट एग्रीकल्चर के तहत गोद लिया था. इस योजना के तहत ग्रामीणों को बेमौसमी सब्जी उत्पादन सहित मन्चिंग शीट आदि का प्रयोग किया था. साथ ही ग्रामीणों को ऑर्गनिक खाद उत्पादन और जल सरक्षण के लिए टैंकों का निर्माण किया गया.

इस योजना के कारण आज लॉकडाउन के दौरान भड़कोट के ग्रामीण सब्जी उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बने हैं. साथ ही आसपास के क्षेत्रों में सब्जी आपूर्ति को पूरा कर रोजगार पा रहे हैं. प्रगतिशील किसान गंभीर सिंह राणा का कहना है कि केंद्र के छप्पन कद्दू के प्रयोग से आज वह अपनी आजीविका को मजबूत कर रहे हैं. वहीं युवा किसान कुलवीर सिंह ने कहा कि NICRA योजना की मदद से उन्होंने अपना बगीचा तैयार किया है. जिसमें आम सहित टमाटर की ऑर्गनिक खेती होती है.

पढ़ें-लॉकडाउन में 'मैडम सर' ने यादगार बना दी बुजुर्ग दंपत्ति की शादी की 50वीं सालगिरह

वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ पंकज नौटियाल ने कहा कि ग्रामीणों की मेहनत और आजीविका को देखकर लॉकडाउन में घर वापसी कर चुके लोग भी केंद्र और प्रगतिशील किसानों से खेती के गुर सीखने के लिए संपर्क कर रहे हैं.

उत्तरकाशी: जिस गांव के लोग आज से 4 वर्ष पहले खेती करने के लिए बारिश का इंतजार करते थे. वहीं चिन्यालीसौड़ ब्लॉक का भड़कोट गांव खेती और सब्जी फल उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर हो चुका है. कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ की निकरा (NICRA) योजना के सहयोग से इस लॉकडाउन में भड़कोट के ग्रामीण सब्जी उत्पादन से अपनी आजीविका चला रहे हैं. साथ ही आसपास के गांव में भी सब्जी की आपूर्ति कर रहे हैं.

पैसे कमा रहे ग्रामीण

बता दें कि, वर्ष 2017 में कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ ने भड़कोट गांव को (NICRA) नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलेंट एग्रीकल्चर के तहत गोद लिया था. इस योजना के तहत ग्रामीणों को बेमौसमी सब्जी उत्पादन सहित मन्चिंग शीट आदि का प्रयोग किया था. साथ ही ग्रामीणों को ऑर्गनिक खाद उत्पादन और जल सरक्षण के लिए टैंकों का निर्माण किया गया.

इस योजना के कारण आज लॉकडाउन के दौरान भड़कोट के ग्रामीण सब्जी उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बने हैं. साथ ही आसपास के क्षेत्रों में सब्जी आपूर्ति को पूरा कर रोजगार पा रहे हैं. प्रगतिशील किसान गंभीर सिंह राणा का कहना है कि केंद्र के छप्पन कद्दू के प्रयोग से आज वह अपनी आजीविका को मजबूत कर रहे हैं. वहीं युवा किसान कुलवीर सिंह ने कहा कि NICRA योजना की मदद से उन्होंने अपना बगीचा तैयार किया है. जिसमें आम सहित टमाटर की ऑर्गनिक खेती होती है.

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वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ पंकज नौटियाल ने कहा कि ग्रामीणों की मेहनत और आजीविका को देखकर लॉकडाउन में घर वापसी कर चुके लोग भी केंद्र और प्रगतिशील किसानों से खेती के गुर सीखने के लिए संपर्क कर रहे हैं.

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