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उत्तरकाशीः नीचे उफनती नदी, ऊपर टूटी बल्लियों पर लटकती 'जिंदगी'

सांकरी-तालुका मोटर मार्ग हलारा गाड़ के पास बह गया है. लिहाजा, ओसला, गंगाड, पवाणी, ढाटमीर और श्रीगड़ के लोगों को बल्लियों के सहारे जान जोखिम में डालकर आवाजाही करना पड़ रहा है.

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नदी पार करते लोग
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Published : Aug 9, 2020, 4:01 PM IST

Updated : Aug 9, 2020, 6:27 PM IST

उत्तरकाशीः आजादी के सात दशक बाद और राज्य गठन के 20 साल बाद भी दूरस्थ क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है. जहां बड़े-बड़े मंचों और बैठकों में कहा जाता है कि अंतिम छोर तक विकास पहुंच गया है, लेकिन हकीकत ठीक उलट है. इसकी बानगी मोरी तहसील के पांच गांवों में देखने को मिल रहा है. जहां ग्रामीण उफनती नदी के ऊपर टूटी हुई बल्लियों के सहारे आवाजाही कर रहे हैं. यहां थोड़ी सी चूक और जिंदगी नदी में समा सकती है. इसके बावजूद हैरानी करने वाली बात ये है कि प्रशासनिक अधिकारी भी मामला ऐसा है तो दिखवा लेने की बात कह रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे ग्रामीण.

दरअसल, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 220 किमी की दूरी पर स्थित मोरी ब्लॉक के पांच गांव ओसला, गंगाड, पवाणी, ढाटमीर और श्रीगड़ स्थित हैं. जहां ग्रामीण उफान पर बह रही हलारा गाड़ के ऊपर से टूटी हुई बल्लियों के सहारे जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गोविंद वन्य जीव विहार के अंतर्गत सांकरी-तालुका मोटर मार्ग हलारा गाड़ के ऊफान में आने से बह गया है. जिससे ग्रामीण बीते 8 से 10 दिनों से जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या की सुध नहीं ली जा रही है.

ये भी पढ़ेंः दलदल में तब्दील हुई सात गांवों को जोड़ने वाली सड़क, जान जोखिम में डालकर कर रहे आवाजाही

स्थानीय निवासी और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजपाल रावत का कहना है कि अब यह नियति बन कर रह गई है. सरकारें बदलती रही, लेकिन आज भी इन पांच गांव के लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. जबकि, हर साल मानसून में ग्रामीण इसी तरह टूटी हुई बल्लियों के सहारे गांव पहुंचते हैं. उधर, मामले में एसडीएम पुरोला सोहन सिंह सैनी का कहना है कि अगर ऐसी स्थिति है तो इसे संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर इसे दिखवा लेते हैं.

उत्तरकाशीः आजादी के सात दशक बाद और राज्य गठन के 20 साल बाद भी दूरस्थ क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है. जहां बड़े-बड़े मंचों और बैठकों में कहा जाता है कि अंतिम छोर तक विकास पहुंच गया है, लेकिन हकीकत ठीक उलट है. इसकी बानगी मोरी तहसील के पांच गांवों में देखने को मिल रहा है. जहां ग्रामीण उफनती नदी के ऊपर टूटी हुई बल्लियों के सहारे आवाजाही कर रहे हैं. यहां थोड़ी सी चूक और जिंदगी नदी में समा सकती है. इसके बावजूद हैरानी करने वाली बात ये है कि प्रशासनिक अधिकारी भी मामला ऐसा है तो दिखवा लेने की बात कह रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे ग्रामीण.

दरअसल, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 220 किमी की दूरी पर स्थित मोरी ब्लॉक के पांच गांव ओसला, गंगाड, पवाणी, ढाटमीर और श्रीगड़ स्थित हैं. जहां ग्रामीण उफान पर बह रही हलारा गाड़ के ऊपर से टूटी हुई बल्लियों के सहारे जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गोविंद वन्य जीव विहार के अंतर्गत सांकरी-तालुका मोटर मार्ग हलारा गाड़ के ऊफान में आने से बह गया है. जिससे ग्रामीण बीते 8 से 10 दिनों से जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या की सुध नहीं ली जा रही है.

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स्थानीय निवासी और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजपाल रावत का कहना है कि अब यह नियति बन कर रह गई है. सरकारें बदलती रही, लेकिन आज भी इन पांच गांव के लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. जबकि, हर साल मानसून में ग्रामीण इसी तरह टूटी हुई बल्लियों के सहारे गांव पहुंचते हैं. उधर, मामले में एसडीएम पुरोला सोहन सिंह सैनी का कहना है कि अगर ऐसी स्थिति है तो इसे संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर इसे दिखवा लेते हैं.

Last Updated : Aug 9, 2020, 6:27 PM IST
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