उत्तरकाशी: उत्तराखंड के जंगलों में दिनोंदिन आग भड़कती जा रही है. उत्तरकाशी में हालांकि अबतक कोई बड़ी वनाग्नि का मामला सामने नहीं आया है, लेकिन वन विभाग का दावा है कि आग से निपटने के लिए उनकी तैयारी पूरी है. वन विभाग के निर्देश पर 65 गांवों में ग्राम पंचायत की ओर से 80 फायर वाचर्स नियुक्त कर लिए गये हैं, जो वनाग्नि की जानकारी तुरंत विभाग को देंगे. इस जानकारी के आधार पर तुरंत आग बुझाने के लिए एक्शन लिया जा सकेगा.
उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू होते देख उत्तरकाशी वन विभाग ने दावा किया है कि उनके पास आग बुझाने के सभी संसाधनों हैं और हर तरह की आग से निपटने के लिए टीम भी तैयार है. उत्तरकाशी के डीएफओ ने बताया संदीप कुमार ने बताया कि वन विभाग ने उत्तरकाशी वन प्रभाग में 65 ऐसे गांवों को चिन्हित किया है, जो चीड़ के पेड़ से आच्छादित हैं.
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विभाग के पास 160 फायर वाचर्स
डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि अतिरिक्त फायर वाचर्स भी जिले में नियुक्त कर लिए गए किये हैं, जो कि आगजनी की घटनाओं पर नज़र बनाए रखेंगे. उन्होंने बताया कि विभाग के पास 80 फायर वाचर्स पहले से ही थे और अब 80 नए लोगों की नियुक्ति के बाद विभाग के पास 160 वाचर्स हैं, जिनकी मदद से जंगलों में आग लगते ही तुरंत कार्रवाई की जाएगी. डीएफओ के मुताबिक भविष्य में फायर वाचर्स की जरूरत पड़ेगी तो इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी.
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ग्रामीणों से सीधा संपर्क करेगा वन विभाग
संदीप कुमार ने कहा कि उत्तरकाशी वन प्रभाग के अंतर्गत 35 क्रू स्टेशन हैं, जहां आग बुझाने के लिए सभी प्रकार के उपकरण मौजूद हैं. इसके अलावा कई क्रू-स्टेशन ऐसी जगहों पर स्थापित किये गए हैं, जहां से पूरी घाटी में कहा-कहा आग लगी है ये पता चल सके. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा आग दक्षिणी छोर पर लगती हैं, इसलिए इस बार ग्रामीणों से विभाग सीधा संपर्क में है.
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ग्रामीण के खिलाफ होगा मुकदमा
डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि सबसे ज्यादा आग ग्रामीण क्षेत्रों में इसलिए लगती है, क्योंकि ग्रामीण खेतों में कबाड़ जलाने के बाद छोड़ देते हैं. एक हल्की हवा से वो आग वनों में फैल जाती है. इस बार ग्राम प्रहरी और फायर वाचर्स इस बात की मॉनिटरिंग करेंगे कि कोई भी कबाड़ जलाकर खेतों में न छोड़े. फिर भी ऐसा होता है तो वन अधिनियम के तहत कबाड़ जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
बता दें कि उत्तरकाशी में फायर सीजन 2019 में अबतक तीन वनाग्नि की घटनाए सामने आईं हैं. आग लगने का दायरा काफी छोटा होने की वजह से विभाग ने तुरंत उस आग पर काबू पा लिया था. लेकिन, उत्तराखंड के अन्य जिलों में बढ़ते पारे के साथ जंगलों में आग बेकाबू होती जा रही है. खासकर कुमाऊं के पिथौरागढ़ और नैनीताल में वनाग्नि के कई मामले सामने आ रहे हैं. जंगल की आग नैनीताल के पटवाडांगर जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के पुराने भवन की छत तक पहुंच गई है. हल्द्वानी में तो चार दिनों से जंगल धधक रहे हैं.