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उत्तरकाशी में वनाग्नि को लेकर सतर्क हुआ विभाग, आग की रोकथाम के लिए बनाया ये प्लान - uttarakhand forest fire season 2019

उत्तरकाशी वन विभाग जंगलों की आग से निपटने के लिए तैयार. वनाग्नि पर नजर बनाए रखने के लिए 80 फायर वाचर्स नियुक्त.

उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू.
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Published : May 10, 2019, 8:10 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के जंगलों में दिनोंदिन आग भड़कती जा रही है. उत्तरकाशी में हालांकि अबतक कोई बड़ी वनाग्नि का मामला सामने नहीं आया है, लेकिन वन विभाग का दावा है कि आग से निपटने के लिए उनकी तैयारी पूरी है. वन विभाग के निर्देश पर 65 गांवों में ग्राम पंचायत की ओर से 80 फायर वाचर्स नियुक्त कर लिए गये हैं, जो वनाग्नि की जानकारी तुरंत विभाग को देंगे. इस जानकारी के आधार पर तुरंत आग बुझाने के लिए एक्शन लिया जा सकेगा.

उत्तरकाशी वन विभाग वनाग्नि से निपटने को तैयार.

उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू होते देख उत्तरकाशी वन विभाग ने दावा किया है कि उनके पास आग बुझाने के सभी संसाधनों हैं और हर तरह की आग से निपटने के लिए टीम भी तैयार है. उत्तरकाशी के डीएफओ ने बताया संदीप कुमार ने बताया कि वन विभाग ने उत्तरकाशी वन प्रभाग में 65 ऐसे गांवों को चिन्हित किया है, जो चीड़ के पेड़ से आच्छादित हैं.

पढ़ें- 'दावानल के दानव' की भूख बड़ा रहा चीड़, हर साल होती है करोड़ों की वन संपदा खाक

विभाग के पास 160 फायर वाचर्स
डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि अतिरिक्त फायर वाचर्स भी जिले में नियुक्त कर लिए गए किये हैं, जो कि आगजनी की घटनाओं पर नज़र बनाए रखेंगे. उन्होंने बताया कि विभाग के पास 80 फायर वाचर्स पहले से ही थे और अब 80 नए लोगों की नियुक्ति के बाद विभाग के पास 160 वाचर्स हैं, जिनकी मदद से जंगलों में आग लगते ही तुरंत कार्रवाई की जाएगी. डीएफओ के मुताबिक भविष्य में फायर वाचर्स की जरूरत पड़ेगी तो इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी.

पढ़ें- सड़क हादसों पर नहीं लग रही लगाम, 3 साल के आंकड़े देखकर चौंक जाएंगे आप

ग्रामीणों से सीधा संपर्क करेगा वन विभाग
संदीप कुमार ने कहा कि उत्तरकाशी वन प्रभाग के अंतर्गत 35 क्रू स्टेशन हैं, जहां आग बुझाने के लिए सभी प्रकार के उपकरण मौजूद हैं. इसके अलावा कई क्रू-स्टेशन ऐसी जगहों पर स्थापित किये गए हैं, जहां से पूरी घाटी में कहा-कहा आग लगी है ये पता चल सके. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा आग दक्षिणी छोर पर लगती हैं, इसलिए इस बार ग्रामीणों से विभाग सीधा संपर्क में है.

पढ़ें- कुमाऊं मंडल में वनाग्नि के 223 मामले आए सामने, वन विभाग कर रहा 'इंद्र देव' का इंतजार

ग्रामीण के खिलाफ होगा मुकदमा

डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि सबसे ज्यादा आग ग्रामीण क्षेत्रों में इसलिए लगती है, क्योंकि ग्रामीण खेतों में कबाड़ जलाने के बाद छोड़ देते हैं. एक हल्की हवा से वो आग वनों में फैल जाती है. इस बार ग्राम प्रहरी और फायर वाचर्स इस बात की मॉनिटरिंग करेंगे कि कोई भी कबाड़ जलाकर खेतों में न छोड़े. फिर भी ऐसा होता है तो वन अधिनियम के तहत कबाड़ जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

बता दें कि उत्तरकाशी में फायर सीजन 2019 में अबतक तीन वनाग्नि की घटनाए सामने आईं हैं. आग लगने का दायरा काफी छोटा होने की वजह से विभाग ने तुरंत उस आग पर काबू पा लिया था. लेकिन, उत्तराखंड के अन्य जिलों में बढ़ते पारे के साथ जंगलों में आग बेकाबू होती जा रही है. खासकर कुमाऊं के पिथौरागढ़ और नैनीताल में वनाग्नि के कई मामले सामने आ रहे हैं. जंगल की आग नैनीताल के पटवाडांगर जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के पुराने भवन की छत तक पहुंच गई है. हल्द्वानी में तो चार दिनों से जंगल धधक रहे हैं.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के जंगलों में दिनोंदिन आग भड़कती जा रही है. उत्तरकाशी में हालांकि अबतक कोई बड़ी वनाग्नि का मामला सामने नहीं आया है, लेकिन वन विभाग का दावा है कि आग से निपटने के लिए उनकी तैयारी पूरी है. वन विभाग के निर्देश पर 65 गांवों में ग्राम पंचायत की ओर से 80 फायर वाचर्स नियुक्त कर लिए गये हैं, जो वनाग्नि की जानकारी तुरंत विभाग को देंगे. इस जानकारी के आधार पर तुरंत आग बुझाने के लिए एक्शन लिया जा सकेगा.

उत्तरकाशी वन विभाग वनाग्नि से निपटने को तैयार.

उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू होते देख उत्तरकाशी वन विभाग ने दावा किया है कि उनके पास आग बुझाने के सभी संसाधनों हैं और हर तरह की आग से निपटने के लिए टीम भी तैयार है. उत्तरकाशी के डीएफओ ने बताया संदीप कुमार ने बताया कि वन विभाग ने उत्तरकाशी वन प्रभाग में 65 ऐसे गांवों को चिन्हित किया है, जो चीड़ के पेड़ से आच्छादित हैं.

पढ़ें- 'दावानल के दानव' की भूख बड़ा रहा चीड़, हर साल होती है करोड़ों की वन संपदा खाक

विभाग के पास 160 फायर वाचर्स
डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि अतिरिक्त फायर वाचर्स भी जिले में नियुक्त कर लिए गए किये हैं, जो कि आगजनी की घटनाओं पर नज़र बनाए रखेंगे. उन्होंने बताया कि विभाग के पास 80 फायर वाचर्स पहले से ही थे और अब 80 नए लोगों की नियुक्ति के बाद विभाग के पास 160 वाचर्स हैं, जिनकी मदद से जंगलों में आग लगते ही तुरंत कार्रवाई की जाएगी. डीएफओ के मुताबिक भविष्य में फायर वाचर्स की जरूरत पड़ेगी तो इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी.

पढ़ें- सड़क हादसों पर नहीं लग रही लगाम, 3 साल के आंकड़े देखकर चौंक जाएंगे आप

ग्रामीणों से सीधा संपर्क करेगा वन विभाग
संदीप कुमार ने कहा कि उत्तरकाशी वन प्रभाग के अंतर्गत 35 क्रू स्टेशन हैं, जहां आग बुझाने के लिए सभी प्रकार के उपकरण मौजूद हैं. इसके अलावा कई क्रू-स्टेशन ऐसी जगहों पर स्थापित किये गए हैं, जहां से पूरी घाटी में कहा-कहा आग लगी है ये पता चल सके. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा आग दक्षिणी छोर पर लगती हैं, इसलिए इस बार ग्रामीणों से विभाग सीधा संपर्क में है.

पढ़ें- कुमाऊं मंडल में वनाग्नि के 223 मामले आए सामने, वन विभाग कर रहा 'इंद्र देव' का इंतजार

ग्रामीण के खिलाफ होगा मुकदमा

डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि सबसे ज्यादा आग ग्रामीण क्षेत्रों में इसलिए लगती है, क्योंकि ग्रामीण खेतों में कबाड़ जलाने के बाद छोड़ देते हैं. एक हल्की हवा से वो आग वनों में फैल जाती है. इस बार ग्राम प्रहरी और फायर वाचर्स इस बात की मॉनिटरिंग करेंगे कि कोई भी कबाड़ जलाकर खेतों में न छोड़े. फिर भी ऐसा होता है तो वन अधिनियम के तहत कबाड़ जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

बता दें कि उत्तरकाशी में फायर सीजन 2019 में अबतक तीन वनाग्नि की घटनाए सामने आईं हैं. आग लगने का दायरा काफी छोटा होने की वजह से विभाग ने तुरंत उस आग पर काबू पा लिया था. लेकिन, उत्तराखंड के अन्य जिलों में बढ़ते पारे के साथ जंगलों में आग बेकाबू होती जा रही है. खासकर कुमाऊं के पिथौरागढ़ और नैनीताल में वनाग्नि के कई मामले सामने आ रहे हैं. जंगल की आग नैनीताल के पटवाडांगर जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के पुराने भवन की छत तक पहुंच गई है. हल्द्वानी में तो चार दिनों से जंगल धधक रहे हैं.

Intro:हेडलाइन- वन विभाग का दावा,आग से निपटने को तैयार। उत्तरकाशी। हालांकि अभी तक उत्तरकाशी में बड़ी आगजनी की घटनाएं सामने नहीं आई हैं। लेकिन छोटी छोटी घटनाएं कई बार विभाग की वनाग्नि पर सवाल खड़े कर रही है। इसको लेकर वन विभाग ने दावा किया है कि वह इस वर्ष सभी संसाधनों से युक्त हैं और हर तरह की आग से निपटने के लिए तैयार हैं। वन विभाग ने इस वर्ष उत्तरकाशी वन प्रभाग में 65 ऐसे गांव को चिन्हित किया है। जो कि चीड़ अच्छादित सबसे ज्यादा हैं। विभाग ने उन 65 गांव में ग्राम पंचायत की और से 80 फायर वाचर्स नियुक्त किये हैं। जो कि आगजनी की घटनाओं पर तत्काल नजर बना कर रखेंगे। साथ ही विभाग के पास 80 फायर वाचर्स पहले से उप्लब्ध हैं। जो कि 160 वाचर्स विभाग के पास हर समय मौजूद रहेंगे।


Body:वीओ-1, उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि जो गांव चीड़ के पेड़ों से सबसे ज्यादा आच्छादित हैं। उनमें अगर आवश्यकता पढ़ती है। तो फायर वाचर्स की संख्या को बढ़ाया जाएगा। साथ ही बताया कि वर्तमान में उत्तरकाशी वन प्रभाग के अंतर्गत 35 क्रू स्टेशन हैं। जहाँ पर सभी स्टेशन में एक एक गाड़ियां और आग बुझाने के लिए सभी प्रकार के उपकरण मौजूद हैं। कुमार ने बताया कि क्रू स्टेशन ऐसी जगहों पर स्थापित किये गए हैं। जहाँ से पूरी घाटी के पता चल सके कि कहाँ पर आग लगी हुई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा आग दक्षिणी छोर पर लगती हैं। जहां पर आगजनी की घटनाओं का पता नहीं लग पाता है। इसलिए इस बार ग्रामीणों से विभाग सीधा संपर्क में है।


Conclusion:वीओ-2, साथ ही विभाग आग को रोकने के लिए इस बार सख्त कदम उठा रही है। डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि सबसे ज्यादा आग ग्रामीण क्षेत्रों में इसलिए लगती है। क्योंकि ग्रामीण खेतों में आड़ा जलाने के बाद छोड़ देते हैं। एक हल्की हवा से वह आड़ा वनों की आग के रुप में बदल जाता है। इसलिए इस बार ग्राम प्रहरी और फायर वाचर्स इस बात की मोनेटरिंग करेंगे कि कोई व्यक्ति जानबूझ कर जला हुआ आड़ा खेतों में न छोड़े। जो ऐसा करता हुआ पाया गया। तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। बाईट- संदीप कुमार,डीएफओ उत्तरकाशी वन प्रभाग।
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