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रोमांच और एडवेंचर से भरा भराड़सर ताल का सफर, मखमली घास के मैदान करते हैं आकर्षित - Baraadsar Alpine Meadows

भराड़सर ताल उत्तरकाशी जिले के मोरी विकासखंड में स्थित है. ये ताल समुद्रतल से 16200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. भराड़सर ताल का ये बुग्याल क्षेत्र सर्दियों में 5 से 6 महीने बर्फ से ढका रहता है. यहां पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां कई बीमारियों की रामबाण दवा है.

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रोमांच और एडवेंचर से भरा है भराड़सर ताल का सफर
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Published : Sep 27, 2020, 3:08 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 9:54 PM IST

पुरोला: नदियां, जगंल, झरने और प्रकृति की छांव में सुकून के दो पल कौन नहीं बिताना चाहता है? एलपाइन मेडोज ऐसी ही खूबसूरत जगहों में से एक हैं, जो कि उत्तराखंड के उंचाई वाले इलाकों में पाये जाते हैं. उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के सीमांत क्षेत्र भराड़सर इलाके में भी प्रकृति ने कुछ ऐसी खूबसूरती बिखेरी है, जिससे मन तरोताजा हो जाता है. भराड़सर उत्तराखंड और हिमाचल का बॉर्डर एरिया होने के साथ ही चीन सीमा से जुड़ता है, जो कि 17 से 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहीं मौजूद है भराड़सर ताल, जिसकी मौजूदगी यहां दैवीय अनूभूति कराती है.

रोमांच और एडवेंचर से भरा भराड़सर ताल का सफर

भराड़सर ताल नीलाग बौंधार की गोद में बसा एक स्वर्गिक पावन स्थल है. इस इलाके में पहुंचते-पहुंचते जंगल खत्म हो जाते हैं, अबोहवा बदलने लगती है, पेड़ों की जगह छोटी-छोटी मखमली हरी घास ले लेती है. जिसे अल्पाइन मेडोज कहा जाता है.अल्पाइन मेडोज पहाड़ों में वह घास के मैदान हैं जो इन इलाकों की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं. जहां से अल्पाइन मेडोज शुरू होते हैं उस क्षेत्र को टिंबर लाइन या ट्री-लाइन कहा जाता है.

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भराड़सर ताल.

पढ़ें- उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पहली बर्फबारी, ठंड ने दी दस्तक

हिमालय में ट्री-लाइन की ऊंचाई को लेकर विशेषज्ञ बताते हैं कि 3000 से 4000 मीटर के बाद ट्री-लाइन खत्म हो जाती है. जैसे-जैसे इस क्षेत्र में आगे की तरफ बढ़ा जाता है परेशानियां बढ़ने लगती है. यहां ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होता है. ट्री लाइन के बाद आप एक ऐसी खूबसूरत दुनिया में होते हैं जहां प्रकृति के सिवाय और कुछ नहीं होता है.

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भराड़सर ताल झील.

पढ़ें- खुशखबरी: घोड़ाखाल सैनिक स्कूल में अब बेटियों को भी मिलेगा दाखिला

भराड़सर ताल का ये बुग्याल क्षेत्र सर्दियों में 5 से 6 महीनें बर्फ से ढका रहता है. यहां पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां कई बीमारियों की रामबाण दवा है. स्थानीय लोगों के लिए ये इलाका किसी खजाने से कम नहीं है.

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भराड़सर ताल की शांत वादियां.

पढ़ें- आज नहीं चुकाया बिल तो यूपी सिंचाई विभाग की बत्ती होगी गुल

भराड़सर में मौजूद ठंडे पानी का तालाब यहां की एक अलग ही विशेषता है. स्थानीय लोग इसे दैवीय और अध्यात्म से जोड़ते हुए साल में एक बार देव चिह्नों के साथ यहां जरूर पहुंचते हैं. कहा जाता है कि इस तालाब के ठंडे पानी में स्नान करने से कुष्ठ रोग दूर होते हैं. इसके अलावा ये बुग्याल क्षेत्र कई नदियों का उद्गम स्थल भी है.

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भराड़सर ताल झील.

पढ़ें- BJP ने MLA पूरन फर्त्याल को दिया नोटिस, एक हफ्ते में मांगा जवाब

भराड़सर ताल का पल-पल बदलता मौसम कभी आपको डराता है तो कभी आपके मन को सुकून देता है. यहां के घास के मैदान, वादियों की खामोशियां मन को एक अलग ही सूकून देती हैं. जिसे सिर्फ पहाड़ के इसी तरह के मैदानों में महसूस किया जा सकता है.

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भराड़सर ताल की झील.

पढ़ें- देहरादून को मिलेगी सौगात, रक्षामंत्री 28 सितंबर को दो अंडरपास का करेंगे शिलान्यास

क्यों खास है भराड़सर ताल

  • उत्तरकाशी जिले में मोरी क्षेत्र में स्थित है भराड़सर ताल.
  • भराड़सर ताल उत्तराखंड का मानसरोवर कहा जाता है.
  • जखोल से देववासा तक तीन कैंप करने के बाद दिखता है भराड़सर ताल.
  • डेढ़ किमी व्यास में पसरी है ठंडे पानी की झील.
  • पर्यटन के लिहाज से खास है भराड़सर ताल.

कहा जाता है कि यहां पर देवी ने एक भराड़ नाम के एक कुख्यात राक्षस का संहार किया था. जिसके कारण इसका नाम भराड़सर पड़ा. यहां मौजूद ठंडे पानी की झील के कारण इसे भराड़सर ताल कहा जाता है.

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भराड़सर ताल के रास्ते में कैंपिंग करते हुए स्थानीय.

पढ़ें- बिना लाइसेंस रेस्टोरेंट्स में छलक रहे जाम, आबकारी विभाग ने मारा छापा

सुपिन घाटी के जखोल से रेक्चा, कासला, राला होते हुए देववासा तक फैले खूबसूरत बुग्याल, भेड़-बकरियों के झुंड, जंगलों में कुलांचे भरते भरड़, खूबसूरत बागान, नकदी फसलों से लकदक खेत, भोजवृक्ष व देवदार के जंगल यहां पहुंचने वालों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.

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रास्तों में भेड़-बकरियों के झुंड,

पढ़ें- देहरादून: CR फाइल मामले ने पकड़ा तूल, मंत्रियों को मिला भाजपा अध्यक्ष का समर्थन

प्राकृतिक धरोहर रोजगार का साधन

अपने आप में खूबसूरती समेटे भराड़सर ताल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां ट्रैकिंग, एडवेंचर जैसी बहुत सी चीजें बड़े स्तर पर शुरू की जा सकती हैं. जिससे यहां के स्थानीय लोगों को आसानी से रोजगार मिल सकता है.

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दैवीय और अध्यात्म से जोड़ती झील.

पुरोला: नदियां, जगंल, झरने और प्रकृति की छांव में सुकून के दो पल कौन नहीं बिताना चाहता है? एलपाइन मेडोज ऐसी ही खूबसूरत जगहों में से एक हैं, जो कि उत्तराखंड के उंचाई वाले इलाकों में पाये जाते हैं. उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के सीमांत क्षेत्र भराड़सर इलाके में भी प्रकृति ने कुछ ऐसी खूबसूरती बिखेरी है, जिससे मन तरोताजा हो जाता है. भराड़सर उत्तराखंड और हिमाचल का बॉर्डर एरिया होने के साथ ही चीन सीमा से जुड़ता है, जो कि 17 से 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहीं मौजूद है भराड़सर ताल, जिसकी मौजूदगी यहां दैवीय अनूभूति कराती है.

रोमांच और एडवेंचर से भरा भराड़सर ताल का सफर

भराड़सर ताल नीलाग बौंधार की गोद में बसा एक स्वर्गिक पावन स्थल है. इस इलाके में पहुंचते-पहुंचते जंगल खत्म हो जाते हैं, अबोहवा बदलने लगती है, पेड़ों की जगह छोटी-छोटी मखमली हरी घास ले लेती है. जिसे अल्पाइन मेडोज कहा जाता है.अल्पाइन मेडोज पहाड़ों में वह घास के मैदान हैं जो इन इलाकों की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं. जहां से अल्पाइन मेडोज शुरू होते हैं उस क्षेत्र को टिंबर लाइन या ट्री-लाइन कहा जाता है.

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भराड़सर ताल.

पढ़ें- उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पहली बर्फबारी, ठंड ने दी दस्तक

हिमालय में ट्री-लाइन की ऊंचाई को लेकर विशेषज्ञ बताते हैं कि 3000 से 4000 मीटर के बाद ट्री-लाइन खत्म हो जाती है. जैसे-जैसे इस क्षेत्र में आगे की तरफ बढ़ा जाता है परेशानियां बढ़ने लगती है. यहां ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होता है. ट्री लाइन के बाद आप एक ऐसी खूबसूरत दुनिया में होते हैं जहां प्रकृति के सिवाय और कुछ नहीं होता है.

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भराड़सर ताल झील.

पढ़ें- खुशखबरी: घोड़ाखाल सैनिक स्कूल में अब बेटियों को भी मिलेगा दाखिला

भराड़सर ताल का ये बुग्याल क्षेत्र सर्दियों में 5 से 6 महीनें बर्फ से ढका रहता है. यहां पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां कई बीमारियों की रामबाण दवा है. स्थानीय लोगों के लिए ये इलाका किसी खजाने से कम नहीं है.

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भराड़सर ताल की शांत वादियां.

पढ़ें- आज नहीं चुकाया बिल तो यूपी सिंचाई विभाग की बत्ती होगी गुल

भराड़सर में मौजूद ठंडे पानी का तालाब यहां की एक अलग ही विशेषता है. स्थानीय लोग इसे दैवीय और अध्यात्म से जोड़ते हुए साल में एक बार देव चिह्नों के साथ यहां जरूर पहुंचते हैं. कहा जाता है कि इस तालाब के ठंडे पानी में स्नान करने से कुष्ठ रोग दूर होते हैं. इसके अलावा ये बुग्याल क्षेत्र कई नदियों का उद्गम स्थल भी है.

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भराड़सर ताल झील.

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भराड़सर ताल का पल-पल बदलता मौसम कभी आपको डराता है तो कभी आपके मन को सुकून देता है. यहां के घास के मैदान, वादियों की खामोशियां मन को एक अलग ही सूकून देती हैं. जिसे सिर्फ पहाड़ के इसी तरह के मैदानों में महसूस किया जा सकता है.

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भराड़सर ताल की झील.

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क्यों खास है भराड़सर ताल

  • उत्तरकाशी जिले में मोरी क्षेत्र में स्थित है भराड़सर ताल.
  • भराड़सर ताल उत्तराखंड का मानसरोवर कहा जाता है.
  • जखोल से देववासा तक तीन कैंप करने के बाद दिखता है भराड़सर ताल.
  • डेढ़ किमी व्यास में पसरी है ठंडे पानी की झील.
  • पर्यटन के लिहाज से खास है भराड़सर ताल.

कहा जाता है कि यहां पर देवी ने एक भराड़ नाम के एक कुख्यात राक्षस का संहार किया था. जिसके कारण इसका नाम भराड़सर पड़ा. यहां मौजूद ठंडे पानी की झील के कारण इसे भराड़सर ताल कहा जाता है.

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भराड़सर ताल के रास्ते में कैंपिंग करते हुए स्थानीय.

पढ़ें- बिना लाइसेंस रेस्टोरेंट्स में छलक रहे जाम, आबकारी विभाग ने मारा छापा

सुपिन घाटी के जखोल से रेक्चा, कासला, राला होते हुए देववासा तक फैले खूबसूरत बुग्याल, भेड़-बकरियों के झुंड, जंगलों में कुलांचे भरते भरड़, खूबसूरत बागान, नकदी फसलों से लकदक खेत, भोजवृक्ष व देवदार के जंगल यहां पहुंचने वालों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.

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रास्तों में भेड़-बकरियों के झुंड,

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प्राकृतिक धरोहर रोजगार का साधन

अपने आप में खूबसूरती समेटे भराड़सर ताल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां ट्रैकिंग, एडवेंचर जैसी बहुत सी चीजें बड़े स्तर पर शुरू की जा सकती हैं. जिससे यहां के स्थानीय लोगों को आसानी से रोजगार मिल सकता है.

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दैवीय और अध्यात्म से जोड़ती झील.
Last Updated : Sep 28, 2020, 9:54 PM IST
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