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Gangotri Seat: जिस पार्टी ने यहां हासिल की जीत, प्रदेश में बनी उसी की सरकार

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी है जहां मिथक है कि यहां से जीतने वाले विधायक के पार्टी की ही सरकार बनती रही है. जानिए क्या है इस सीट का इतिहास.

uttarakhand election 2022
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Published : Feb 14, 2022, 8:51 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में नई सरकार चुनने के लिए प्रदेश की जनता आज वोटिंग कर रही हैं. आज हम आपको उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से जुड़े एक ऐसे मिथक के बारे में बताते है, जो पीछे 70 सालों से कायम है.

मां गंगा के उद्गम क्षेत्र और करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र रहे गंगोत्री धाम से जुड़ी गंगोत्री विधानसभा सीट प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है. यह विधानसभा सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जिला मुख्यालय भी इसी के अंतर्गत आता है. आजादी के बाद से इस सीट पर जो भी चुनाव हुए है जिस भी पार्टी का प्रत्याशी इस सीट से जीतता है सरकार उसी की बनी है.

सनातन धर्म में गंगा को विशेष महत्व दिया गया है. यही वजह है कि गंगोत्री धाम से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. एक और जहां गंगोत्री धाम करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. वहीं, गंगोत्री विधानसभा सीट की भी प्रदेश की राजनीति में एक अहम भूमिका रही है.

पढ़ें- PM मोदी की जनसभा में उमड़ी भीड़ से गदगद नेता, प्रत्याशी धन सिंह का रिकॉर्ड वोटों से जीत का दावा

1993 में हुए चुनाव ने इस मिथक को दिया बल: गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े मिथक को उत्तर प्रदेश में साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव की स्थिति और बल दे रही है. 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के 177, समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाजवादी पार्टी को 67 सीटें मिलीं. उस दौरान राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे घूमे की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने मिलकर सरकार बना दी. उस दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज हुई. खास बात यह रही कि उस दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी बर्फिया लाल चुनाव जीते थे. बता दें कि 1993 में गंगोत्री धाम उत्तरकाशी विधानसभा सीट के तहत आता था.

गंगोत्री विधानसभा सीट इतिहास: गंगोत्री विधानसभा सीट को पहले उत्तरकाशी विधानसभा सीट के नाम से जाना था. हालांकि बाद में इसका नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया. टिहरी रियासत का हिस्सा रहे उत्तरकाशी विधानसभा सीट को साल 1960 में अलग जिला बनाया गया. साल 2000 तक उत्तरकाशी जिला विधानसभा सीट ही रही. साल 2000 में पहाड़ी राज्य बनने के बाद उत्तरकाशी जिले को तीन विधानसभा क्षेत्र में बांट दिया गया.

जिसमें पुरोला, गंगोत्री और यमुनोत्री विधानसभा सीट शामिल हैं. उत्तरकाशी का जिला मुख्यालय गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र में ही है. गंगोत्री विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं में 43003 पुरुष मतदाता हैं, जबकि यहां महिला मतदाताओं की संख्या 40278 है. वहीं, जातिगत आधार के अनुसार इस विधानसभा में ठाकुर 62%, ब्राह्मण 17% हैं. अनुसूचित जाति 19% और अनुसूचित जनजाति 15% है. इसके साथ ही यहां मुस्लिम आबादी 0.5 फीसदी है.

पढ़ें- शिवराज सिंह ने कांग्रेस को बताया 'केकड़ा पार्टी', बोले- यहां वो हालत हैं, हम डूबेंगे ही सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे

गंगोत्री विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की पकड़ मजबूत: राज्य गठन के बाद से ही गंगोत्री विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस से दो ही नेताओं की बड़ी पकड़ रही है. जिसमें कांग्रेस से विजयपाल सजवाण और भाजपा से गोपाल सिंह रावत का नाम सबसे आगे हैं. यही दोनों नेता बारी-बारी से गंगोत्री विधानसभा सीट से विधायक बनते रहे हैं. साल 2021 में अस्वस्थ होने के चलते गंगोत्री विधानसभा सीट से विधायक रहे गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया था. हालांकि इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणिय है. क्योंकि आम आदमी पार्टी ने गंगोत्री विधानसभा सीट से कर्नल अजय कोठियाल को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने यहां पर विजयपाल सजवाण को टिकट दिया है. बीजेपी की तरफ से सुरेश चौहान को मैदान में उतारा है.

लोगों की भावनाएं होती हैं परिलक्षित: गंगोत्री विधानसभा सीट के इस मिथक को लेकर उत्तराखंड के वरिष्ट पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि राज्य बनने के बाद से ही राज्य में अभी तक 4 चुनाव हुए हैं. चारों चुनाव में गंगोत्री विधानसभा सीट से जिस भी पार्टी का उम्मीदवार जीता है, उसी ने राज्य में सरकार बनाई है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों की जो भावनाएं हैं, वह गंगोत्री विधानसभा सीट से परिलक्षित होती हैं.

उत्तराखंड के गठन से पहले उत्तरकाशी विस सीट का इतिहास:

  • देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब ये सीट उत्तरकाशी विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. 1952 के विधानसभा चुनाव में यहां से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे. हालांकि बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उस दौरान उत्तर प्रदेश में पं. गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी.
  • साल 1957 के विधानसभा चुनाव में जयेंद्र निर्विरोध निर्वाचित हुए. फिर कांग्रेस ही सत्तासीन हुई, लेकिन साल 1958 में उत्तरकाशी से विधायक जयेंद्र की मृत्यु के बाद कांग्रेस के रामचंद्र उनियाल विधायक बने.
  • साल 1962 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1967 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1969 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1974 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट रिजर्व कर दी गई थी. उस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1977 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1980 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1989 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1991 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी.

गंगोत्री विस सीट से सत्ता काबिज होने का इतिहास

  • 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद भी यह मिथक बरकरार रहा. ये बात अलग है कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट का नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया.
  • उत्तराखंड में साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने चुनाव जीता. तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी.
  • साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण चुनाव जीता था. उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था. अभी प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं.
  • गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद निर्वाचन आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव नहीं कराए.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में नई सरकार चुनने के लिए प्रदेश की जनता आज वोटिंग कर रही हैं. आज हम आपको उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से जुड़े एक ऐसे मिथक के बारे में बताते है, जो पीछे 70 सालों से कायम है.

मां गंगा के उद्गम क्षेत्र और करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र रहे गंगोत्री धाम से जुड़ी गंगोत्री विधानसभा सीट प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है. यह विधानसभा सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जिला मुख्यालय भी इसी के अंतर्गत आता है. आजादी के बाद से इस सीट पर जो भी चुनाव हुए है जिस भी पार्टी का प्रत्याशी इस सीट से जीतता है सरकार उसी की बनी है.

सनातन धर्म में गंगा को विशेष महत्व दिया गया है. यही वजह है कि गंगोत्री धाम से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. एक और जहां गंगोत्री धाम करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. वहीं, गंगोत्री विधानसभा सीट की भी प्रदेश की राजनीति में एक अहम भूमिका रही है.

पढ़ें- PM मोदी की जनसभा में उमड़ी भीड़ से गदगद नेता, प्रत्याशी धन सिंह का रिकॉर्ड वोटों से जीत का दावा

1993 में हुए चुनाव ने इस मिथक को दिया बल: गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े मिथक को उत्तर प्रदेश में साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव की स्थिति और बल दे रही है. 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के 177, समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाजवादी पार्टी को 67 सीटें मिलीं. उस दौरान राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे घूमे की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने मिलकर सरकार बना दी. उस दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज हुई. खास बात यह रही कि उस दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी बर्फिया लाल चुनाव जीते थे. बता दें कि 1993 में गंगोत्री धाम उत्तरकाशी विधानसभा सीट के तहत आता था.

गंगोत्री विधानसभा सीट इतिहास: गंगोत्री विधानसभा सीट को पहले उत्तरकाशी विधानसभा सीट के नाम से जाना था. हालांकि बाद में इसका नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया. टिहरी रियासत का हिस्सा रहे उत्तरकाशी विधानसभा सीट को साल 1960 में अलग जिला बनाया गया. साल 2000 तक उत्तरकाशी जिला विधानसभा सीट ही रही. साल 2000 में पहाड़ी राज्य बनने के बाद उत्तरकाशी जिले को तीन विधानसभा क्षेत्र में बांट दिया गया.

जिसमें पुरोला, गंगोत्री और यमुनोत्री विधानसभा सीट शामिल हैं. उत्तरकाशी का जिला मुख्यालय गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र में ही है. गंगोत्री विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं में 43003 पुरुष मतदाता हैं, जबकि यहां महिला मतदाताओं की संख्या 40278 है. वहीं, जातिगत आधार के अनुसार इस विधानसभा में ठाकुर 62%, ब्राह्मण 17% हैं. अनुसूचित जाति 19% और अनुसूचित जनजाति 15% है. इसके साथ ही यहां मुस्लिम आबादी 0.5 फीसदी है.

पढ़ें- शिवराज सिंह ने कांग्रेस को बताया 'केकड़ा पार्टी', बोले- यहां वो हालत हैं, हम डूबेंगे ही सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे

गंगोत्री विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की पकड़ मजबूत: राज्य गठन के बाद से ही गंगोत्री विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस से दो ही नेताओं की बड़ी पकड़ रही है. जिसमें कांग्रेस से विजयपाल सजवाण और भाजपा से गोपाल सिंह रावत का नाम सबसे आगे हैं. यही दोनों नेता बारी-बारी से गंगोत्री विधानसभा सीट से विधायक बनते रहे हैं. साल 2021 में अस्वस्थ होने के चलते गंगोत्री विधानसभा सीट से विधायक रहे गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया था. हालांकि इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणिय है. क्योंकि आम आदमी पार्टी ने गंगोत्री विधानसभा सीट से कर्नल अजय कोठियाल को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने यहां पर विजयपाल सजवाण को टिकट दिया है. बीजेपी की तरफ से सुरेश चौहान को मैदान में उतारा है.

लोगों की भावनाएं होती हैं परिलक्षित: गंगोत्री विधानसभा सीट के इस मिथक को लेकर उत्तराखंड के वरिष्ट पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि राज्य बनने के बाद से ही राज्य में अभी तक 4 चुनाव हुए हैं. चारों चुनाव में गंगोत्री विधानसभा सीट से जिस भी पार्टी का उम्मीदवार जीता है, उसी ने राज्य में सरकार बनाई है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों की जो भावनाएं हैं, वह गंगोत्री विधानसभा सीट से परिलक्षित होती हैं.

उत्तराखंड के गठन से पहले उत्तरकाशी विस सीट का इतिहास:

  • देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब ये सीट उत्तरकाशी विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. 1952 के विधानसभा चुनाव में यहां से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे. हालांकि बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उस दौरान उत्तर प्रदेश में पं. गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी.
  • साल 1957 के विधानसभा चुनाव में जयेंद्र निर्विरोध निर्वाचित हुए. फिर कांग्रेस ही सत्तासीन हुई, लेकिन साल 1958 में उत्तरकाशी से विधायक जयेंद्र की मृत्यु के बाद कांग्रेस के रामचंद्र उनियाल विधायक बने.
  • साल 1962 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1967 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1969 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1974 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट रिजर्व कर दी गई थी. उस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1977 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1980 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 1989 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1991 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी.
  • साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता था. उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी.

गंगोत्री विस सीट से सत्ता काबिज होने का इतिहास

  • 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद भी यह मिथक बरकरार रहा. ये बात अलग है कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट का नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया.
  • उत्तराखंड में साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने चुनाव जीता. तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी.
  • साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण चुनाव जीता था. उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
  • साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता था. अभी प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं.
  • गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद निर्वाचन आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव नहीं कराए.
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