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LOCKDOWN के बीच यहां चुपके से राशन रख जाता है कोई, न सेल्फी की फिक्र न नाम का लोभ - जरुरतमंदों के लिए राशन

देश-दुनिया में लॉकडाउन के बीच हर जगह से कुछ ऐसी भी तस्वीर आ रही है, जिसमें लोग सेवा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने नाम के प्रचार का कोई लोभ नहीं है. ऐसा ही एक नजारा उत्तरकाशी में देखने को मिल रहा है.

dehradun news
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Published : Apr 23, 2020, 11:07 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के सुदूर जनपद उत्तरकाशी की सड़कों का एक नजारा बेहद सुकून भरा है. लॉकडाउन के बाद पटरी से उतरी जिंदगी के कारण इस जनपद में भी कई लोग ऐसे हैं जो, दो वक्त का राशन खरीदने में असमर्थ हैं. ऐसे में जिला प्रशासन तो राशन देकर इनकी सहायता कर ही रहा है. लेकिन कोई अनजान व्यक्ति या समूह भी है जो बिना अपनी पहचान बताए क्षेत्र के जरूरतमंदों के लिए कुछ कर रहा है.

जी हां ये नजारा है उत्तरकाशी के मुख्य चौराहे का. जब लोग सुबह उठकर घरों से बाहर निकल कर लॉकडाउन में दी गई छूट के समय बाजारों में निकलते हैं तो विश्वनाथ चौक के आसपास रेलिंग पर चारों तरफ खाने-पीने के सामानों के पैकेट बंधे रहते हैं. इतना ही नहीं इन पैकेट में जूस, बिस्किट, ड्राई-फ्रूट्स, नमकीन के साथ-साथ खाने-पीने के दूसरे सामान भी मौजूद होते हैं.

स्थानीय लोगों को भी नहीं मालूम कि आखिरकार कौन देर रात या तड़के शहर के मुख्य चौराहों पर जरूरतमंदों के लिए सामान बांध कर चला जाता है. इतना ही नहीं, इन बांधे गए सामानों को लोग चुपचाप खोलकर अपने साथ ले जाते हैं और ऐसा करने वाले को दुआएं दे जाते हैं.

पढ़े: उत्तराखंड: 9 माह के बच्चे ने छह दिन में दी कोरोना को मात, डॉक्टर भी हैरान

हालांकि, इस बीच एक बात दिलचस्प है कि ऐसा करने के दौरान न तो उनके आसपास कोई सेल्फी लेने वाला होता है और न ही कोई यह पूछने वाला कि आपने ये सामान दोबारा लिया है या तीसरी बार. इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तरकाशी की ये तस्वीर देश के तमाम जनपदों के लिए एक मिसाल पेश कर सकती है.

बहरहाल, ईटीवी भारत भी आम जनता से अपील करता है कि सेवा भाव करते समय किसी का चित्र न देखकर जरूरतमंद से उसका हालचाल जरूर पूछे, क्योंकि कोरोना लॉकडाउन का ये वक़्त ही है जो मानवता दिखाने का सुनहरा मौका है.

देहरादून: उत्तराखंड के सुदूर जनपद उत्तरकाशी की सड़कों का एक नजारा बेहद सुकून भरा है. लॉकडाउन के बाद पटरी से उतरी जिंदगी के कारण इस जनपद में भी कई लोग ऐसे हैं जो, दो वक्त का राशन खरीदने में असमर्थ हैं. ऐसे में जिला प्रशासन तो राशन देकर इनकी सहायता कर ही रहा है. लेकिन कोई अनजान व्यक्ति या समूह भी है जो बिना अपनी पहचान बताए क्षेत्र के जरूरतमंदों के लिए कुछ कर रहा है.

जी हां ये नजारा है उत्तरकाशी के मुख्य चौराहे का. जब लोग सुबह उठकर घरों से बाहर निकल कर लॉकडाउन में दी गई छूट के समय बाजारों में निकलते हैं तो विश्वनाथ चौक के आसपास रेलिंग पर चारों तरफ खाने-पीने के सामानों के पैकेट बंधे रहते हैं. इतना ही नहीं इन पैकेट में जूस, बिस्किट, ड्राई-फ्रूट्स, नमकीन के साथ-साथ खाने-पीने के दूसरे सामान भी मौजूद होते हैं.

स्थानीय लोगों को भी नहीं मालूम कि आखिरकार कौन देर रात या तड़के शहर के मुख्य चौराहों पर जरूरतमंदों के लिए सामान बांध कर चला जाता है. इतना ही नहीं, इन बांधे गए सामानों को लोग चुपचाप खोलकर अपने साथ ले जाते हैं और ऐसा करने वाले को दुआएं दे जाते हैं.

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हालांकि, इस बीच एक बात दिलचस्प है कि ऐसा करने के दौरान न तो उनके आसपास कोई सेल्फी लेने वाला होता है और न ही कोई यह पूछने वाला कि आपने ये सामान दोबारा लिया है या तीसरी बार. इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तरकाशी की ये तस्वीर देश के तमाम जनपदों के लिए एक मिसाल पेश कर सकती है.

बहरहाल, ईटीवी भारत भी आम जनता से अपील करता है कि सेवा भाव करते समय किसी का चित्र न देखकर जरूरतमंद से उसका हालचाल जरूर पूछे, क्योंकि कोरोना लॉकडाउन का ये वक़्त ही है जो मानवता दिखाने का सुनहरा मौका है.

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