उत्तरकाशी: तीन दिवसीय दौरे पर उत्तरकाशी पहुंचे केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों ने सिलक्यारा टनल का निरीक्षण किया. इसी बीच अधिकारियों की छह सदस्यीय टीम ने सुरंग में हुए भूस्खलन का जायजा लिया. साथ ही टनल का ट्रीटमेंट और दोबारा निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा की.
सिलक्यारा टनल में फंसे थे 41 मजदूर: बीते माह 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन के चलते 41 मजूदर फंस गए थे. जिन्हें बचाने के लिए यहां राज्य व केंद्र की 15 से अधिक एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हुई थी. 17 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी मजदूरों को सकुशल बाहर निकाला गया था. इस हादसे के बाद से ही सुरंग के निर्माण और इसमें हुए भूस्खलन के ट्रीटमेंट को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
13 दिसंबर को पहुंची थी टीम: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों की छह सदस्यीय टीम 13 दिसंबर को हेलीकॉप्टर से स्यालना पहुंची थी, जो स्यालना से सड़क मार्ग द्वारा सिलक्यारा पहुंची. टीम में शामिल अधिकारियों ने सुरंग के सिलक्यारा मुहाने के 200 मीटर आगे हुए भारी भूस्खलन का भी स्थलीय निरीक्षण किया. साथ ही इसके ट्रीटमेंट को लेकर भी चर्चा की और बीते शुक्रवार को वापस लौट गई.
प्रधानमंत्री कार्यालय सुरंग निर्माण की कर रहा पुष्टि: सुरंग निर्माण से जुड़े एक अधिकारी ने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारियों के दौरे की पुष्टि की है. अधिकारी ने बताया कि बैठक में सुरंग में सुरक्षित आवाजाही के लिए भूस्खलन वाले हिस्से के ट्रीटमेंट व सुरक्षात्मक कार्य को लेकर चर्चा हुई. साथ ही हादसे के बाद सुरंग का निर्माण दोबारा शुरु करने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय भी निगरानी कर रहा है.
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सुरंग के बाहर पीआरडी जवान तैनात: हादसे के एक माह बाद सिलक्यारा में तैनात पुलिसकर्मी भी हट गए हैं. यहां सुरक्षा का जिम्मा अब पीआरडी(प्रांतीय रक्षक दल) के जवानों ने संभाल लिया है. पीआरडी के दस जवान यहां सुरक्षा में तैनात किए गए हैं. जिससे कोई भी सुरंग के अंदर प्रवेश न करें. वहीं हादसे के बाद यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.