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उत्तरकाशी: दो बहनें योग को दे रहीं नया आयाम, युवाओं को दे रहीं रोजगार - युवाओं को दे रहीं रोजगार

उत्तरकाशी की दो बहनें स्थानीय युवाओं को योग सिखाकर उन्हें रोजगार से जोड़ रही हैं.

Two sisters are giving new dimension to yoga
दो बहनें योग को दे रहीं नया आयाम.
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Published : Jun 20, 2020, 8:51 PM IST

उत्तरकाशी: हिमालय के शिखरों के बीच उत्तरकाशी की पहचान हिमालय योग नगरी के रूप में भी है. योग तन और मन से जुड़े तमाम तरह के रोग और विकारों को दूर कर मनुष्य का जीवन आसान कर देता है. उत्तरकाशी के कोटबंगला के क्षत्रपाल गांव की दो बहनें योग को नया आयाम देने में जुटी हुई हैं.

दो बहनें योग को दे रहीं नया आयाम

क्षत्रपाल गांव की जुड़वा बहनें पूनम और नीलम सेमवाल ने योग को अपने करियर के रूप में चुनकर नई बुलंदियों को छू रही हैं. केरल, दिल्ली में योग प्रशिक्षक के रूप में कुछ समय काम करने के बाद दोनों बहनें अब स्थानीय युवाओं को योग सिखाकर उन्हें रोजगार से जोड़ रही हैं.

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूनम और नीलम सेमवाल 16 साल की उम्र से योग कर रहीं हैं. 16 साल की उम्र में दोनों बहनों ने विष्णुदेवानन्द आश्रम के स्वामी जनार्दन और स्वामी हरिओमानंद के संपर्क में आईं. इस दौरान दोनों बहनों ने योग का प्रशिक्षण लिया और केरल, दिल्ली में योग प्रशिक्षक के रूप में काम किया. वापस उत्तरकाशी लौटने पर दोनों बहनों योग की समृद्ध विरासत को नया रूप में जुटी हुईं हैं.

ये भी पढ़ें: कोरोना संकट के बीच योग भी होगा वर्चुअल, जानिए कैसी है 21 जून की तैयारी

पूनम और नीलम सेमवाल अपने गांव क्षत्रपाल में युवाओं को योगा सीखा रहीं हैं. इसके साथ ही दोनों बहनें माता-पिता के साथ होम स्टे योजना के तहत भी कार्य कर करती हैं. जहां पर देश विदेश से आने वाले पर्यटकों को योग सिखाती हैं. दोनों बहनों का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा युवाएं योग की समृद्ध विरासत से जुड़कर विश्वभर में भारत की संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकें.

उत्तरकाशी: हिमालय के शिखरों के बीच उत्तरकाशी की पहचान हिमालय योग नगरी के रूप में भी है. योग तन और मन से जुड़े तमाम तरह के रोग और विकारों को दूर कर मनुष्य का जीवन आसान कर देता है. उत्तरकाशी के कोटबंगला के क्षत्रपाल गांव की दो बहनें योग को नया आयाम देने में जुटी हुई हैं.

दो बहनें योग को दे रहीं नया आयाम

क्षत्रपाल गांव की जुड़वा बहनें पूनम और नीलम सेमवाल ने योग को अपने करियर के रूप में चुनकर नई बुलंदियों को छू रही हैं. केरल, दिल्ली में योग प्रशिक्षक के रूप में कुछ समय काम करने के बाद दोनों बहनें अब स्थानीय युवाओं को योग सिखाकर उन्हें रोजगार से जोड़ रही हैं.

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूनम और नीलम सेमवाल 16 साल की उम्र से योग कर रहीं हैं. 16 साल की उम्र में दोनों बहनों ने विष्णुदेवानन्द आश्रम के स्वामी जनार्दन और स्वामी हरिओमानंद के संपर्क में आईं. इस दौरान दोनों बहनों ने योग का प्रशिक्षण लिया और केरल, दिल्ली में योग प्रशिक्षक के रूप में काम किया. वापस उत्तरकाशी लौटने पर दोनों बहनों योग की समृद्ध विरासत को नया रूप में जुटी हुईं हैं.

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पूनम और नीलम सेमवाल अपने गांव क्षत्रपाल में युवाओं को योगा सीखा रहीं हैं. इसके साथ ही दोनों बहनें माता-पिता के साथ होम स्टे योजना के तहत भी कार्य कर करती हैं. जहां पर देश विदेश से आने वाले पर्यटकों को योग सिखाती हैं. दोनों बहनों का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा युवाएं योग की समृद्ध विरासत से जुड़कर विश्वभर में भारत की संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकें.

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