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सालों से हादसों का सबब बना हुआ तिलोथ पुल, प्रशासन की लापरवाही जनता पर पड़ रही भारी

2012-13 की आपदा में तिलोथ पुल का बड़ा हिस्सा बह गया था. जिसके बाद लोकनिर्माण विभाग ने पुल के आधे हिस्से में वैली ब्रिज बनाकर पैदल और दोपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू करवाई थी. मगर, कई साल बीत जाने के बाद भी इस पुल के स्थाई निर्माण के लिए कोई काम शुरू नहीं हो पाया है.

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Published : Feb 1, 2020, 7:07 PM IST

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सालों बाद भी हादसों का सबब बना तिलोथ पुल

उत्तरकाशी: जनपद का तिलोथ पुल शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते दिनों-दिन जर्जर होता जा रहा है. जिसके कारण स्थानीय लोगों सहित सैकड़ों स्कूली बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूली बच्चे हर दिन जान हथेली पर रखकर इस पुल को पार करने के लिए मजबूर हैं. करीब 6 सालों से अधर में लटका ये पुल कभी भी किसी बड़े हादसे को न्यौता दे सकता है.

सालों से हादसों का सबब बना हुआ तिलोथ पुल.

बता दें कि साल 2012-13 की आपदा में तिलोथ पुल का बड़ा हिस्सा बह गया था. जिसके बाद लोकनिर्माण विभाग ने पुल के आधे हिस्से में वैली ब्रिज बनाकर पैदल और दोपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू करवाई थी. मगर, कई साल बीत जाने के बाद भी इस पुल के स्थाई निर्माण के लिए कोई काम शुरू नहीं हो पाया है. विभाग की ओर से इसके एक तरफ बनाये गए एबेडमेंट को की बार-बार रिपेयर कर सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है. हर साल अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस पुल का निरीक्षण करते हैं.

पढ़ें-बजट 2020-21 : गांव, गरीब, किसान और रोजगार पर रहा फोकस

तिलोथ पुल और वैली ब्रिज पर बड़े वाहनों की आवाजाही से पैदा होने वाली कंपन साफ तौर पर देखा और महसूस किया जा सकता है. इस पुल से लगातार ओवरलोडड वाहन आवाजाही कर रहे हैं, जो कि कभी भी किसी भी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते पुल का निर्माणकार्य 6 सालों से अधर में लटका है. कई बार निर्माण की मांग करने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.

उत्तरकाशी: जनपद का तिलोथ पुल शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते दिनों-दिन जर्जर होता जा रहा है. जिसके कारण स्थानीय लोगों सहित सैकड़ों स्कूली बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूली बच्चे हर दिन जान हथेली पर रखकर इस पुल को पार करने के लिए मजबूर हैं. करीब 6 सालों से अधर में लटका ये पुल कभी भी किसी बड़े हादसे को न्यौता दे सकता है.

सालों से हादसों का सबब बना हुआ तिलोथ पुल.

बता दें कि साल 2012-13 की आपदा में तिलोथ पुल का बड़ा हिस्सा बह गया था. जिसके बाद लोकनिर्माण विभाग ने पुल के आधे हिस्से में वैली ब्रिज बनाकर पैदल और दोपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू करवाई थी. मगर, कई साल बीत जाने के बाद भी इस पुल के स्थाई निर्माण के लिए कोई काम शुरू नहीं हो पाया है. विभाग की ओर से इसके एक तरफ बनाये गए एबेडमेंट को की बार-बार रिपेयर कर सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है. हर साल अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस पुल का निरीक्षण करते हैं.

पढ़ें-बजट 2020-21 : गांव, गरीब, किसान और रोजगार पर रहा फोकस

तिलोथ पुल और वैली ब्रिज पर बड़े वाहनों की आवाजाही से पैदा होने वाली कंपन साफ तौर पर देखा और महसूस किया जा सकता है. इस पुल से लगातार ओवरलोडड वाहन आवाजाही कर रहे हैं, जो कि कभी भी किसी भी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते पुल का निर्माणकार्य 6 सालों से अधर में लटका है. कई बार निर्माण की मांग करने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.

Intro:उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जनपद का मुख्य तिलोथ पुल, जो कि पहले ही शासन और प्रशासन की अनदेखी को झेल रहा है। तो वहीं अब प्रशासन की उदासीनता के चलते क्षतिग्रस्त पुल पर हादसों को न्यौता दिया जा रहा है। जो कि स्थानीय लोगों सहित सैकड़ों स्कूली बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ का इंतजार किया जा रहा है। करीब 6 वर्षों से अधर में लटके और अपने जीवनकाल को गिन रहे पुल पर काल को बुलाया जा रहा है। क्षतिग्रस्त पुल पर बड़े वाहनों की आवाजाही के कारण कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। शायद जिम्मेदार महकमा किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।


Body:वीओ-1, वर्ष 2012 और 13 की आपदा के दौरान तिलोथ पुल का आधा हिस्सा बाढ़ में बह गया था। उसके बाद लोक निर्माण विभाग ने आधे हिस्से में वैली ब्रिज बनाकर पैदल और दोपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू करवाई। लेकिन इस पुल के स्थाई निर्माण के लिए अभी तक कोई कार्यवाही शुरू नहीं हो पाई है। विभाग की और से इसके एक तरफ के बनाये गए एबेडमेन्ट को की बार- बार रिपेयर कर सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है। हर वर्ष अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इस पुल का निरीक्षण करते हैं। लेकिन इसके निर्माण की फाइल कहां अटक जाती है। इसका जवाब किसी के पास नहीं होता है।


Conclusion:वीओ-2, वहीं अब क्षतिग्रस्त पुल और वैली ब्रिज पर बड़े वाहनों की आवाजाही की जा रही है। जिससे कि पुल पर भारी कम्पन देखने को मिलता है। जो कि लगातार हो रहे ओवरलोड वाहनों की आवाजाही कभी भी बड़े हादसे को न्यौता दे सकता है। क्योंकि स्कूल टाइम में बड़ी बड़ी बसों के साथ इस पुल से सैकड़ों स्कूली बच्चे भी गुजरते हैं। तो वहीं अन्य समय पर स्थानीय लोग लगातार इस पुल से आवाजाही करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते पुल 6 वर्षों से अधर में लटका हुआ है। कई बार की मांग के बाद भी शासन प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। बाइट- सन्तोष भट्ट,स्थानीय निवासी। बाइट- खेमराज सिंह राणा,स्थानीय निवासी।
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