देहरादून: देश के निचले सदन (लोकसभा) और उच्च सदन (राज्यसभा) में उत्तराखंड प्रदेश का कुल 8 सांसद प्रतिनिधित्व करते हैं. सभी बीजेपी से हैं, लेकिन सदन में प्रदेश से जुड़े सवाल कांग्रेस सांसद पूछ रही हैं, और वो भी किसी अन्य राज्य की. दरसअल, वर्तमान बजट सत्र में देश के सामने जो मुद्दा उत्तराखंड के आठ सांसद नहीं उठा पाए, उस मसले को छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने सदन में उठाया और पूरे देश का ध्यान इस ओर खींचा. ये मुद्दा उत्तराखंड के पर्यावरण से जुड़ा था.
दरअसल, बीती 6 फरवरी को राज्यसभा में सत्र के दौरान कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने मंत्री से सवाल किया कि उत्तराखंड के चमोली जिले में शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित भगवान बदरीनाथ का विग्रह रुप लक्ष्मी नारायण का मंदिर है, जिसे एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) रिपोर्ट द्वारा प्रमाणित किया गया है. लेकिन इस क्षेत्र को अधिग्रहण कर वहां बन रही बांघ परियोजना का डंपिग जोन घोषित किया गया है, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. रंजीत रंजन ने सरकार से पूछा कि क्या हाट गांव को गोद लेकर परंपरागत शैली का पुनर्निर्माण करने के लिए डंपिग जोन को हटाया जाएगा?
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन इससे पहले भी उत्तराखंड के पर्यावरण से जुड़े मुद्दे सदन में उठा चुकी हैं. वहीं, अब कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी उत्तराखंड के बीजेपी सांसदों को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी का कहना है कि उत्तराखंड की जनता ने बीजेपी के 8 सांसदों को सदन में चुनकर भेजा है, लेकिन उनमें से एक भी सांसद ने उत्तराखंड की पीड़ा का सदन में नहीं रखा, जबकि छत्तीसगढ़ से आने वाली कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन सदन में उत्तराखंड के जुड़े पर्यावरण के मुद्दे को उठा रही हैं.
इस बारे में उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट से सवाल किया गया. बता दें कि, महेंद्र भट्ट बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.
राज्यसभा सांसद सिर्फ प्रदेश का नहीं, बल्कि पूरे देश का होता है. सभी सांसद सदन में प्रदेश के मुद्दे उठा रहे हैं. उन्होंने भी उत्तराखंड के मुद्दों को सदन में रखा है. शून्य काल में पर्ची निकलती है और जिसकी पर्ची निकलेगी वो सवाल कर सकता है. इसमें ऐसी कोई ताज्जुब की बात नहीं है, वो भी दूसरे राज्य के मुद्दे उठा सकता है.
- महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद -
बता दें कि, साल 2024 में भी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रंजीत रंजन ने उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड के लिए पेड़ काटे जाने और पहाड़ों पर विस्फोट होने की वजह से आई आपदाओं की विषय सदन में उठाया था. वो करीब तीन मिनट तक इस मसले पर बोली थीं. इसके अलावा जोशीमठ भू-धंसाव मसले को भी उन्होंने सदन के पटल पर रखा था.
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