उत्तरकाशी: रामलीला मैदान में आयोजित मंगसीर बग्वाल में मुख्य बग्वाल का आयोजन किया गया. इसमें ओपन पुरुष वर्ग की रस्साकसी प्रतियोगिता आकर्षण का केंद्र रही. प्रतियोगिता में छह टीमों ने प्रतिभाग किया. इनमें आईटीबीपी की टीम विजेता और सेना की टीम उप विजेता रही. सेना के बैंड के साथ वीरभड़ जीतू बगड़वाल व नरु बिजोला की वेशभूषा में सजे कलाकारों के साथ भव्य सांस्कृतिक यात्रा निकाली गई. रामलीला मैदान में रासों और भैलू नृत्य कर बग्वाल मनाई गई.
मंगसीर बग्वाल मेला संपन्न: अनघा फाउंडेशन की ओर से आयोजित मंगसीर बग्वाल के तीसरे और अंतिम दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. जौनसार, बावर व मोरी पर्वत क्षेत्र के कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी. इस दौरान बग्वाल में रस्साकसी प्रतियोगिता आकर्षण का केंद्र रही. प्रतियोगिता का शुभारंभ पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने किया. प्रतियोगिता में कल्चर क्लब, बाड़ाहाट, सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ व गंगोत्री फिजिकल एकेडमी की टीमों ने प्रतिभाग किया. फाइनल में पहुंची आईटीबीपी और सेना की टीम के बीच तीन राउंड खेले गए. जिसमें दोनों ही टीमों के बीच जबर्दस्त टक्कर देखने को मिली.
रस्साकसी में आईटीबीपी ने सेना को हराया: पहले व दूसरे राउंड में दोनों ही टीमों ने एक-एक अंक प्राप्त कर बराबरी की. तीसरे और आखिरी राउंड में आईटीबीपी के हिमवीर सेना के जवानों पर भारी पड़े. इसके बाद सेना के बैंड की धुन के साथ कंडार देवता मंदिर से वीरभड़ जीतू बगड़वाल व नरु बिजोला की वेशभूषा में सजे कलाकारों के साथ भव्य सांस्कृतिक यात्रा निकाली गई. यात्रा भैरव चौक, विश्वनाथ चौक और फिर कोर्ट रोड व हनुमान चौक होकर रामलीला मैदान पहुंची. इस दौरान कलाकारों ने चौक-चौराहों पर सांस्कृतिक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी. इसके बाद रामलीला मंच पर आरजे काव्य व हिमाचली गायक ऋषि भारद्वाज ने अपने लोकगीतों से समां बांधा. देर रात तक रामलीला मैदान में रासो व भैलू नृत्य खेलकर बग्वाल मनाई गई.
गढ़भोज रहा आकर्षण का केंद्र: मंगसीर बग्वाल में गढ़भोज का भी आयोजन किया गया. इसमें लोगों ने पहाड़ी पकवान गहत का सूप, कंडाली का साग, स्वाले, पकौड़े, गहत के मोमो, फाणा, चौंसा, लाल भात आदि का आनंद उठाया. यहां कूपन सिस्टम से लोगों के लिए गर्मागर्म पकवान परोसने की व्यवस्था की गई थी.
ये रहे मौजूद: इस मौके पर जिला जज गुरुबख्श सिंह, विधायक सुरेश चौहान, अध्यक्ष राघवेंद्र उनियाल, संयोजक अजय पुरी, सुभाष कुमाईं, शैलेंद्र नौटियाल, रवि नेगी, उत्तम गुसाईं, रमा डोभाल, कन्हैया सेमवाल, महेश उनियाल, शूरवीर मार्तोलिया, प्रताप बिष्ट, सुरेंद्र गंगाड़ी, सुरेंद्र उनियाल, हेमराज बनूनी, जमुना उनियाल, अजय नौटियाल, कृष्णा, राजेश, राजेंद्र, उमेश, संजीव, राम मोहन, मोहन डबराल आदि मौजूद रहे.
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जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम: उधर जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में इन दिनों बूढ़ी दीवाली का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. क्षेत्र के गांव बूढ़ी दीवाली के जश्न में डूबे हुए हैं. जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में 12 दिसंबर से शुरू हो चुकी बूढी दीपावली का जश्न गांव गांव में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जनजाति परंपरा के अनुसार इस दीपावली के जश्न को मनाने के लिए नौकरी पेशा लोग भी अपने अपने गांव छुट्टी लेकर पंहुंचते हैं. अपनी संस्कृति और परम्पराओं के पर्व को मनाते हैं. यह पर्व चार से पांच दिन तक मनाया जाता है. जौनसार बावर के गांव के पंचायती आंगन इन पांच दिनों तक लोक संस्कृति और पारंपरिक वेशभूषा देखने को मिलती है.